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जानें कब है दिसंबर की पहली एकादशी मोक्षदा, पूजा के शुभ मुहूर्त और सही विधि विधान पर एक नजर - MOKSHADA EKADASHI 2024

मोक्षदा एकादशी का व्रत करने के क्या फायदें हैं और कब रख सकेंगे व्रत, कब करेंगे पारण इस रिपोर्ट में विस्तार से जानें.

Mokshada Ekadashi 2024
Mokshada Ekadashi 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 9, 2024, 1:14 PM IST

Updated : Dec 9, 2024, 1:24 PM IST

करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व होता है. एक साल में 24 एकादशी होती है. क्योंकि एक महीने में दो एकादशी आती है. मार्गशीर्ष महीना चल रहा है और इसमें दो एकादशी आती है. जिसमें शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व हिंदू धर्म में बताया गया है. मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है.

उस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. इसलिए इस एकादशी का सभी एकादशी में से ज्यादा महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान कृष्ण और विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और इस दिन उपवास रखना काफी अच्छा माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि मोक्ष का एकादशी के दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. तो आईए जानते हैं कि पूजा का शुभ मुहूर्त का समय क्या है और इसका क्या महत्व है.

कब है मोक्षदा एकादशी: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 11 नवंबर को सुबह 3:42 से शुरू होगी. जबकि इसका समापन अगले दिन सुबह 1:09 पर होगा और इसका पारण 12 दिसंबर को सुबह 7 बजे से 9 बजकर 9 मिनट तक किया जा सकता है.

मोक्षदा एकादशी के दिन कई शुभ योग बनेंगे. भद्रावास योग दोपहर 2 27 मिनट से शुरू होगा. जो रात के 1:00 तक रहेगा. किस युग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं, दूसरा योग रवि योग बनता हुआ दिखाई दे रहा है. रवि योग की शुरुआत सुबह 7:04 से होगी जो दोपहर से पहले 11:48 तक रहेगा. किस योग में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सुख समृद्धि मिलती है. तीसरा वारियान योग सुबह 6:48 मिनट तक रहेगा.

मोक्षदा एकादशी का महत्व: स्वच्छता एकादशी के दिन भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. इसलिए जो भी इच्छा रखकर इस दिन जातक व्रत रखते हैं. उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि के साथ-साथ लक्ष्मी का आगमन होता है और शुभ कार्य बनते हैं. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से इंसान को जन्म मरण के बंधन से छुटकारा मिल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इस दिन दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. यह सर्दियों में आती है इसलिए इस दिन गर्म कपड़े दान करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. इस दिन अन्न दान करना भी काफी लाभकारी माना जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन मूंगफली और गुड़ का दान करना चाहिए. इस सारे बिगड़े हुए काम बनते चले जाते हैं. इस दिन गीता जयंती होती है. इसलिए गीता दान करना भी काफी अच्छा माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि उसे मोक्ष के द्वार खुलते हैं.

पूजा का विधि-विधान: एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करें या फिर घर में ही गंगाजल डालकर पानी में स्नान करें उसके उपरांत साफ कपड़े पहने. फिर अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें और एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जला कर उनको पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें. जो भी इस दिन व्रत रखना चाहता है, वह व्रत रखने का प्रण लें. दिन में मोक्षदा एकादशी की कथा सुनें और शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे प्रसाद का भोग लगाकर उनकी आरती करें. अगले दिन व्रत के पारण के समय अपने व्रत का पारण करें. ब्राह्मण, गरीब, जरूरतमंद, गाय को भोजन अवश्य कराएं.

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करनाल: सनातन धर्म में एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व होता है. एक साल में 24 एकादशी होती है. क्योंकि एक महीने में दो एकादशी आती है. मार्गशीर्ष महीना चल रहा है और इसमें दो एकादशी आती है. जिसमें शुक्ल पक्ष की एकादशी का विशेष महत्व हिंदू धर्म में बताया गया है. मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है.

उस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. इसलिए इस एकादशी का सभी एकादशी में से ज्यादा महत्व होता है. इस दिन विधिवत रूप से भगवान कृष्ण और विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है और इस दिन उपवास रखना काफी अच्छा माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि मोक्ष का एकादशी के दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. तो आईए जानते हैं कि पूजा का शुभ मुहूर्त का समय क्या है और इसका क्या महत्व है.

कब है मोक्षदा एकादशी: पंडित विश्वनाथ ने बताया कि मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार मोक्षदा एकादशी की शुरुआत 11 नवंबर को सुबह 3:42 से शुरू होगी. जबकि इसका समापन अगले दिन सुबह 1:09 पर होगा और इसका पारण 12 दिसंबर को सुबह 7 बजे से 9 बजकर 9 मिनट तक किया जा सकता है.

मोक्षदा एकादशी के दिन कई शुभ योग बनेंगे. भद्रावास योग दोपहर 2 27 मिनट से शुरू होगा. जो रात के 1:00 तक रहेगा. किस युग में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. वहीं, दूसरा योग रवि योग बनता हुआ दिखाई दे रहा है. रवि योग की शुरुआत सुबह 7:04 से होगी जो दोपहर से पहले 11:48 तक रहेगा. किस योग में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सुख समृद्धि मिलती है. तीसरा वारियान योग सुबह 6:48 मिनट तक रहेगा.

मोक्षदा एकादशी का महत्व: स्वच्छता एकादशी के दिन भगवान विष्णु और कृष्ण की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि आती है. इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है. इसलिए जो भी इच्छा रखकर इस दिन जातक व्रत रखते हैं. उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है. भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने से घर में सुख समृद्धि के साथ-साथ लक्ष्मी का आगमन होता है और शुभ कार्य बनते हैं. मोक्षदा एकादशी का व्रत करने से इंसान को जन्म मरण के बंधन से छुटकारा मिल जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है.

इस दिन दान करने से कई गुना फल की प्राप्ति होती है. यह सर्दियों में आती है इसलिए इस दिन गर्म कपड़े दान करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है. इस दिन अन्न दान करना भी काफी लाभकारी माना जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन मूंगफली और गुड़ का दान करना चाहिए. इस सारे बिगड़े हुए काम बनते चले जाते हैं. इस दिन गीता जयंती होती है. इसलिए गीता दान करना भी काफी अच्छा माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि उसे मोक्ष के द्वार खुलते हैं.

पूजा का विधि-विधान: एकादशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करें या फिर घर में ही गंगाजल डालकर पानी में स्नान करें उसके उपरांत साफ कपड़े पहने. फिर अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें और एक चौकी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. उनके आगे देसी घी का दीपक जला कर उनको पीले रंग के फल फूल वस्त्र मिठाई अर्पित करें. जो भी इस दिन व्रत रखना चाहता है, वह व्रत रखने का प्रण लें. दिन में मोक्षदा एकादशी की कथा सुनें और शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के आगे प्रसाद का भोग लगाकर उनकी आरती करें. अगले दिन व्रत के पारण के समय अपने व्रत का पारण करें. ब्राह्मण, गरीब, जरूरतमंद, गाय को भोजन अवश्य कराएं.

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Last Updated : Dec 9, 2024, 1:24 PM IST
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