भोपाल। केन्द्र के समान महंगाई भत्ते की आस लगाए बैठे प्रदेश के कर्मचारियों को निराशा हाथ लगी है. कर्मचारियों के मुद्दे पर मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में चर्चा ही नहीं हुई. मंत्री विजयवर्गीय से जब कर्मचारियों के डीए के प्रस्ताव पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि इस पर कोई चर्चा ही नहीं हुई है, यह प्रस्ताव एजेंडे में ही नहीं था. उधर, अब कर्मचारी संगठन महंगाई भत्ते के मुद्दे को लेकर शुक्रवार को प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे.
कर्मचारी संगठन लगातार कर रहे मांग
मध्य प्रदेश कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र सिंह का कहना है कि "कर्मचारियों को उम्मीद थी कि सरकार केन्द्र के समान डीए बढ़ाकर कर्मचारियों को राहत देगी. केन्द्र सरकार ने जनवरी 2024 से 50 फीसदी महंगाई भत्त दिए जाने के आदेश कर दिए हैं, इसके बाद प्रदेश के अधिकारी कर्मचारी एवं पेंशनर महंगाई भत्ते के मामले में लगभग 8 फीसदी पीछे हो गए हैं. इसको लेकर राज्य सरकार को पहले भी ज्ञापन दिए जा चुके हैं. कर्मचारी अधिकारी जनवरी 2023 की स्थिति में महंगाई भत्ता प्राप्त कर रहे हैं. उम्मीद थी कि राज्य सरकार कैबिनेट की बैठक में कर्मचारियों से जुड़े प्रस्ताव पर विचार करेगी. अब कर्मचारी पूर्व कार्यक्रम के तहत 15 मार्च को प्रदेश भर में सभी कलेक्टरों को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपेंगे. इसके बाद आगे की रणनीति बनाई जाएगी."
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अब लोकसभा चुनाव के बाद ही होगा फैसला
कैबिनेट में महंगाई भत्ते का प्रस्ताव न आने के चलते अब जो स्थिति बन रही है, उसके हिसाब से अब लोकसभा चुनाव के बाद ही कर्मचारियों को महंगाई भत्ता मिल सकेगा. आचार संहिता लग जाने से इसे चुनाव आयोग की अनुमति के बिना नहीं दिया जा सकेगा. विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसी ही स्थिति बनी थी, उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों को भत्ता दिए जाने का ऐलान किया था, लेकिन आयोग ने इसकी अनुमति नहीं दी थी.