कोटा. वन पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने मंगलवार को कोटा में वन एवं पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में मौजूद लाडपुरा की विधायक कल्पना देवी ने एयरपोर्ट का निर्माण नहीं होने का मुद्दा उठा दिया. उन्होंने कहा कि कोटा में इको सेंसेटिव जोन या चंबल नदी के किनारे एक किलोमीटर तक का निर्माण नहीं होने की बात कही जाती थी. इसके बावजूद भी रिवरफ्रंट का निर्माण करवा दिया गया है, लेकिन एयरपोर्ट का निर्माण नहीं करवाया गया. इसमें वन विभाग के अधिकारी अड़ंगा अड़ा रहे हैं. जबकि रिवरफ्रंट के लिए नियमों को ताक पर रख दिया गया था.
कल्पना देवी ने यह भी कहा कि कोटा में रिवरफ्रंट की मांग किसी भी व्यक्ति ने नहीं की थी, लेकिन एयरपोर्ट की मांग हर व्यक्ति कर रहा है. विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि वन विभाग शंभूपुरा में एयरपोर्ट के लिए प्रस्तावित जमीन के लिए प्रोजेक्ट कॉस्ट का दो फीसदी यानी 20 करोड़ रुपए की मांग कर रहा है. यह गैर वाजिब मांग है. यह 20 करोड़ रुपए हम एक्सेम्प्ट करवाना चाहते हैं.
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नहीं बर्दाश्त करेंगे अवैध खनन: मंत्री संजय शर्मा ने बैठक में अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा कि कोई भी तरह का अवैध खनन कोटा में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वन भूमि पर अवैध खनन को हर हालत में रोक दें, क्रेशर भी बंद कर दें. वन विभाग की जमीन पर अब कोई अतिक्रमण भी नहीं होने दिया जाएगा. कोटा अवैध खनन का एक गढ़ है, यहां बड़ी मात्रा में अवैध खनन हो रहा है तो अधिकारियों से पूछा कि रोकने के लिए क्या कर रहे हैं.
बैठक के दौरान वन विभाग के अधिकारियों ने सलाह दी कि 10 किलोमीटर के रेडियस में कोई लीज नहीं है, इसीलिए इसका सॉल्यूशन खोज कर शिवायचक जमीन पर लीज जारी करनी होगी, क्योंकि निर्माण भी यहां पर होते हैं. जब बड़ी मात्रा में निर्माण हो रहा है, तो उसके लिए पत्थर और गिट्टी सभी चाहिए. इस पर मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि अगर आप स्वीकार कर रहे हैं कि अवैध खनन हो रहा है तो क्यों ना अधिकारियों पर ही कार्रवाई की जाए.
केमिकल से सफेद हो गए मगरमच्छ: विधायक कल्पना देवी ने मुद्दा उठाया कि उनके विधानसभा एरिया से गुजर रहे चंद्रसेल नाले में मौजूद पॉल्यूशन की वजह से मगरमच्छ का कलर सफेद हो गया है. इस पर मंत्री ने पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों से पूछा कि आप लोग इंस्पेक्शन नहीं करते हैं क्या? पॉल्यूशन कंट्रोल के अधिकारियों ने कहा कि जिन इंडस्ट्री पर आरोप लगाते हैं. उनके सैंपल लिए गए थे, लेकिन वह सही रिपोर्ट आई थी. अब लगातार मॉनिटरिंग करके निगरानी रखते हैं, ऑनलाइन सेंसर भी लगाए हुए हैं. उनकी रिपोर्ट सही आ रही है, लेकिन उसके बगल से घरेलू सीवरेज का पानी आ रहा है. इससे भी मगरमच्छों के कलर बदलने की समस्या हो रही है.