लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय से संबंध 545 डिग्री कॉलेज में लगातार आवेदनों की संख्या घटने का असर अब उनके प्रवेश पर दिख रहा है. लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध डिग्री कॉलेज (लखनऊ) उनमें प्रवेश प्रक्रिया को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है. डिग्री कॉलेजों के लिए मौजूद सत्र में प्रवेश लेना काफी चुनौती पूर्ण हो गया है. ऐसे में राजधानी लखनऊ के कई बड़े अनुदानिक डिग्री कॉलेजों ने अपने यहां "पहले आओ पहले पाओ" की तर्ज पर प्रवेश देने की बात कही है. इन काॅलेजों में बीते सालों में पहले प्रवेश के लिए लंबी चौड़ी मेरिट जारी होती थी.
लखनऊ विश्वविद्यालय से जुड़े शहर के अनुदानित डिग्री कॉलेजों ने सीटें भरने के लिए छात्रों को कई तरह के ऑफर दिए हैं. इन डिग्री कॉलेज में पढ़ाने के लिए शिक्षक तो हैं, लेकिन बीते कई साल से छात्रों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. हालत यह है कि कुछ कॉलेजों को छोड़ दें तो अधिकतम सरकारी डिग्री कॉलेज में 50% से अधिक सीटें हर साल खाली रह जाती हैं. खाली सीटें रहने वाले कॉलेजों में सिर्फ अनुदानित कॉलेज ही नहीं शामिल है, बल्कि राजकीय कॉलेज भी शामिल है. यहां भी छात्र प्रवेश लेने से कतरा रहे हैं.
इन कॉलेज में डायरेक्ट एडमिशन का मौका : राजधानी लखनऊ के प्रतिष्ठित अनुदानित (सरकारी) डिग्री कॉलेजों मैं अपने यहां पहले आप पहले पाओ या डायरेक्ट एडमिशन की प्रक्रिया शुरू की है. यह प्रक्रिया अपनाने वाले कॉलेजों में बप्पा श्री नारायण वोकेशनल पीजी कॉलेज (केकेवी), विद्यान्त हिंदू पीजी कॉलेज, नगर निगम डिग्री कॉलेज, एपी सेन गर्ल्स डिग्री कॉलेज, खुनखुन जी गर्ल्स कॉलेज, कृष्णा देवी गर्ल्स कॉलेज, नारी शिक्षा निकेतन जैसे राजधानी के प्रतिष्ठित डिग्री कॉलेज शामिल हैं. इन कॉलेज में बीते वर्षों से सीटें न भरने और आवेदन फॉर्म कम आने के कारण इस बार "पहले आओ पहले पाओ" के आधार पर सेट भरने का निर्णय लिया है.
कई अनुदानित डिग्री कॉलेज की स्थिति बहुत खराब : लखनऊ विश्वविद्यालय संबंद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रोफेसर मनोज पांडेय ने बताया कि राजधानी के जितने बड़े डिग्री कॉलेज है उनमें कुछ एक को छोड़ दें तो बाकी की स्थिति बहुत ही खराब है. अनुदानित कॉलेज में शहर के महिला डिग्री कॉलेज की स्थिति सबसे अधिक खराब है. यहां सीटों के सापेक्ष दाखिले होने की सबसे बड़ा चुनौती बन गया है. राजधानी में 19 अनुदानित, 4 राजकीय और 1 नगर निगम डिग्री कॉलेज है. इनमें से केवल नेशनल पीजी कॉलेज, आईटी गर्ल्स डिग्री कॉलेज, नेताजी सुभाष चंद्र बोस राजकीय कॉलेज और केकेसी जैसे कॉलेज को छोड़ दें तो बाकी डिग्री कॉलेज में जितनी सीटें हैं उसके आधे आवेदन भी नहीं आ रहे हैं. प्रोफेसर मनोज पांडेय ने बताया कि एक समय था जब महिला डिग्री कॉलेज में प्रवेश के लिए औसतन तीन बार मेरिट जारी की जाती थी, पर आज इस कॉलेज में स्थिति बहुत ही दयनीय है. ऐसा ही कुछ जो नारी शिक्षा निकेतन डिग्री कॉलेज, एपी सेन डिग्री कॉलेज और खुनखुन जैसे बड़े डिग्री कॉलेज का भी है.