मिर्जापुर : दीपावली पर मिट्टी के दीये जलाने की परंपरा है, लेकिन आधुनिकता के चलते लोग चाइनीज झालरें और मोमबत्तियों को प्राथमिकता देने लगे हैं. जिसके चलते मिट्टी के दीयों का कारोबार कम हो रहा है. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मिट्टी के दीये जलाने की अपील के बाद से समाज का मिजाज बदला है. लोग मिट्टी की दीयों को तवज्जो देने लगे हैं. जिससे मिट्टी की दीयों की डिमांड बढ़ गई है. इसी के लिहाज से मिर्जापुर चुनार के समसपुर गांव में मिट्टी के रंग-बिरंगे दीयों का निर्माण किया जा रहा है. यहां के दीयों की डिमांड उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ के साथ पड़ोसी देश नेपाल में भी है.
समसपुर गांव में दीये बनाने के लिए सैकड़ों महिलाएं लगी हुई हैं. दीया तैयार होते ही कारोबारी व दुकानदार खरीद ले जाते हैं. साथ ही फ्लिपकार्ट और अमेजॉन पर भी बिक्री की जा रही है. दीये की कीमत एक रुपये से लेकर 50 रुपये तक है. दीये बना रही महिलाओं का कहना है कि घर के पास काम मिल गया है. बाहर जाने की अब जरूरत नहीं पड़ती. सुबह 9 बजे कारखाने में आ जाते हैं. फिंगरप्रिंट से हाजिरी लगाने के बाद काम शुरू करते हैं और 6 घंटे काम करके घर चले जाते हैं. काम के बदले 250 रुपये मिलते हैं.
वाराणसी से दीये खरीदने पहुंचे उमेश कुमार ने बताया कि मिर्जापुर के कलरफुल दीयों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. पिछले साल 60 हजार दीये ले गए थे. इस दीपावली में डेढ़ लाख दीये का आर्डर दिया है. देश की संस्कृति और भगवान के आस्था के कारण सारे दीये बिक जाते हैं. फिलहाल चाइनीज झालरों को इन कलरफुल दीयों ने मात दे दी है.
दीयों के निर्माता चंद्रमौली पांडेय ने बताया कि चायनीज झालरों को मात देने के लिए रंग बिरंगे कलरफुल मिट्टी के दीयों की डिमांड देश के कई राज्यों के साथ ही पड़ोसी देश नेपाल तक है. नेपाल में इस बार 16 लाख दीयों की बिक्री हो चुकी है. पिछले साल 25 लाख दीयों की बिक्री हुई थी. इस साल 50 लाख दीये बिकने की उम्मीद है. प्रधानमंत्री के अपील के बाद से ही मिट्टी के दिए का कारोबार बढ़ा है. हमारे यहां एक दिन में एक महिला 2000 दीयों का निर्माण करती है. इस बार दो करोड़ व्यापार होने की उम्मीद है.
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