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आर्थिक मामले के मंत्रालय से मिले एक पत्र से हिमाचल में बची 250 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी, जाने कैसे ? - Horticulture Project Extended

Ministry of Economic Affairs Extended the Horticulture Development Project in Himachal: हिमाचल प्रदेश में वित्त पोषित ₹1134 करोड़ की बागवानी विकास परियोजना को वित्त मंत्रालय के आदेश पर चार महीने के लिए बढ़ा दिया गया है. जिसकी वजह से 30 जून को समाप्त होने वाली इस परियोजना में काम कर रहे 250 से ज्यादा कर्मियों की फिलहाल के लिए नौकरी बच गई है. पढ़िए पूरी खबर...

Ministry of Economic Affairs
वित्त मंत्रालय (Ministry of Economic Affairs)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 1, 2024, 11:23 AM IST

शिमला: वित्त मंत्रालय के आदेश से हिमाचल के 250 युवाओं की नौकरी बच गई है. ऐसे में इन युवाओं ने राहत की सांस ली है. ये सब कुछ प्रदेश में विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषित ₹1134 करोड़ की बागवानी विकास परियोजना (एचडीपी) को चार महीने का विस्तार दिए जाने से संभव हुआ है. जिसकी अवधि 30 जून 2024 समाप्त हो गई थी. ऐसे में अब इस परियोजना को अक्टूबर 2024 तक विस्तार मिल गया है. जिससे इस परियोजना में तैनात 250 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी कुछ महीनों के लिए बच गई है.

वित्त मंत्रालय का बागवानी विकास परियोजना को लेकर आदेश जारी
वित्त मंत्रालय का बागवानी विकास परियोजना को लेकर आदेश जारी (Ministry of Economic Affairs letter)

कर्मचारियों की नौकरी का मामला हाईकोर्ट में भी लंबित: यही नहीं परियोजना के तहत बागवानी विभाग अभी तक जो 50 करोड़ की राशि खर्च नहीं कर सका था. चार महीने का विस्तार मिलने से इस राशि को भी खर्च किया जा सकेगा. बता दें कि परियोजना में कार्य कर रहे कर्मचारियों की नौकरी का मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है. प्रदेश सरकार ने अप्रैल में ही आर्थिक मामलों के मंत्रालय से परियोजना को विस्तार देने का अनुरोध किया था. ऐसे में प्रदेश सरकार के आग्रह पर इस परियोजना को विस्तार दे दिया गया है. जिससे अब हिमाचल सरकार को चार महीने में परियोजना को सिरे चढ़ाने का अवसर मिल गया है.

मार्केट यार्ड और सीए स्टोर पर खर्च होगा पैसा: विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना में 50 करोड़ की लागत से बागवानों को सेब बेचने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. जिसमें जरोल-टिक्कर में सीए (वातानुकूलित) स्टोर सहित मेहदली में मार्केट यार्ड का निर्माण किया जाएगा. इस परियोजना के माध्यम से बागवानों को घर द्वार पर फसल बेचने के लिए नई मंडियां स्थापित की जाएगी. वहीं, पुरानी मंडियों को भी अपग्रेड करने सहित नए सीए स्टोर बनाए जाएंगे. इस परियोजना का उद्देश्य सेब का उत्पादन बढ़ाना है. इसके लिए सेब के उच्च घनत्व वाले बगीचे (एचडीपी) लगाए गए हैं.

2017 में स्वीकृत हुई थी परियोजना: विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना 2017 में स्वीकृत हुई थी. 2018 में ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इस परियोजना को छह साल में पूरा किया जाना था. जिसकी समय सीमा पिछले साल पूरी हो गई थी. लेकिन बागवानों के हितों को देखते हुए इस परियोजना को एक बार विस्तार मिला था. अब 30 जून को इस परियोजना दूसरी बार फिर से विस्तार दिया गया है.

ये भी पढ़ें: हिमाचल की कमजोर आर्थिक सेहत में प्राण वायु फूंक सकते हैं पेड़, 3.21 लाख करोड़ की वन संपदा से 4 हजार करोड़ सालाना की आय संभव

शिमला: वित्त मंत्रालय के आदेश से हिमाचल के 250 युवाओं की नौकरी बच गई है. ऐसे में इन युवाओं ने राहत की सांस ली है. ये सब कुछ प्रदेश में विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषित ₹1134 करोड़ की बागवानी विकास परियोजना (एचडीपी) को चार महीने का विस्तार दिए जाने से संभव हुआ है. जिसकी अवधि 30 जून 2024 समाप्त हो गई थी. ऐसे में अब इस परियोजना को अक्टूबर 2024 तक विस्तार मिल गया है. जिससे इस परियोजना में तैनात 250 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी कुछ महीनों के लिए बच गई है.

वित्त मंत्रालय का बागवानी विकास परियोजना को लेकर आदेश जारी
वित्त मंत्रालय का बागवानी विकास परियोजना को लेकर आदेश जारी (Ministry of Economic Affairs letter)

कर्मचारियों की नौकरी का मामला हाईकोर्ट में भी लंबित: यही नहीं परियोजना के तहत बागवानी विभाग अभी तक जो 50 करोड़ की राशि खर्च नहीं कर सका था. चार महीने का विस्तार मिलने से इस राशि को भी खर्च किया जा सकेगा. बता दें कि परियोजना में कार्य कर रहे कर्मचारियों की नौकरी का मामला हाईकोर्ट में भी लंबित है. प्रदेश सरकार ने अप्रैल में ही आर्थिक मामलों के मंत्रालय से परियोजना को विस्तार देने का अनुरोध किया था. ऐसे में प्रदेश सरकार के आग्रह पर इस परियोजना को विस्तार दे दिया गया है. जिससे अब हिमाचल सरकार को चार महीने में परियोजना को सिरे चढ़ाने का अवसर मिल गया है.

मार्केट यार्ड और सीए स्टोर पर खर्च होगा पैसा: विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना में 50 करोड़ की लागत से बागवानों को सेब बेचने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. जिसमें जरोल-टिक्कर में सीए (वातानुकूलित) स्टोर सहित मेहदली में मार्केट यार्ड का निर्माण किया जाएगा. इस परियोजना के माध्यम से बागवानों को घर द्वार पर फसल बेचने के लिए नई मंडियां स्थापित की जाएगी. वहीं, पुरानी मंडियों को भी अपग्रेड करने सहित नए सीए स्टोर बनाए जाएंगे. इस परियोजना का उद्देश्य सेब का उत्पादन बढ़ाना है. इसके लिए सेब के उच्च घनत्व वाले बगीचे (एचडीपी) लगाए गए हैं.

2017 में स्वीकृत हुई थी परियोजना: विश्व बैंक की ओर से वित्त पोषित बागवानी विकास परियोजना 2017 में स्वीकृत हुई थी. 2018 में ऋण समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद इस परियोजना को छह साल में पूरा किया जाना था. जिसकी समय सीमा पिछले साल पूरी हो गई थी. लेकिन बागवानों के हितों को देखते हुए इस परियोजना को एक बार विस्तार मिला था. अब 30 जून को इस परियोजना दूसरी बार फिर से विस्तार दिया गया है.

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