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राजधानी में पेड़ों की कटाई के मामले में सौरभ भारद्वाज ने LG पर साधा निशाना, कहा- बड़े लोग फंसने वाले हैं

-मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल पर लगाए कई आरोप. -कहा, इस मामले में बड़े लोग शामिल.

दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज
दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज (ETV Bharat)
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By IANS

Published : Nov 8, 2024, 9:59 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली में संरक्षित भूमि पर पेड़ काटने का मामला फिर गरमा गया है. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) नेता सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने झूठ बोलने का आरोप लगाया. दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, "इस मामले में बार-बार दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी), डीडीए और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने झूठ बोला है. अब यह स्पष्ट हो गया है कि 1,670 पेड़ वहां बिना अनुमति के अवैध तरीके से काटे गए."

उन्होंने कहा, "यह भी साफ हो गया कि उपराज्यपाल ने उस क्षेत्र का दौरा किया था और डीडीए के एक अधिकारी ने ईमेल के जरिए यह जानकारी दी कि एलजी के निर्देश पर ये पेड़ काटे गए थे. एलजी ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्हें इसके बारे में 12 जून को पता चला. वह बात झूठ साबित हुई. कोर्ट ने दोबारा हलफनामा देने को कहा कि 'हां मुझे 12 अप्रैल को पता चला'. क्या यह संभव है कि डीडीए सिर्फ एई, जेई और एक्सईएन को बचाने के लिए बार-बार झूठ बोले? क्या यह संभव है कि पुलिस द्वारा याचिकाकर्ताओं पर दबाव डाला जा रहा था, ताकि एई, जेई को बचाया जा सके?"

छोटे अधिकारियों को बनाया जा रहा बकरा: सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा, "क्या यह संभव है कि सड़क की अलाइनमेंट कहती है कि फार्म हाउस की जमीन का इस्तेमाल किया गया हो और सीधे जंगल की जमीन लेकर पेड़ काटे गए? क्या एई, जेई और जेई स्तर के अधिकारियों को इतने बड़े फैसले लेने का अधिकार है? यह पूरा मामला बुनियादी सवालों से भरा हुआ है, और बार-बार डीडीए और एलजी के वकीलों को अदालत में झूठ बोलना पड़ रहा है, यह साबित करता है कि इसमें बड़े लोग शामिल हैं. छोटे अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर उन्हें इस पूरे मामले का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है."

बड़े लोग फंसने वाले हैं: उन्होंने यह भी कहा, "आज एलजी और उनके डीडीए के लिए एक बहुत ही शर्मनाक पल था, क्योंकि अदालत के दो बार निर्देश देने के बावजूद, डीडीए ने अपना रिकॉर्ड अदालत के सामने पेश नहीं किया. डीडीए क्या छिपाना चाह रहा है? यह बड़ा सवाल है. अगर एई, जेई, एक्ससीएन इसमें शामिल हैं, तो आप अपना रिकॉर्ड क्यों नहीं दिखा रहे? जब एलजी ने खुद मान लिया कि 12 अप्रैल को उन्हें पेड़ काटे जाने की जानकारी मिली, तो आपने उस दिन प्रेस रिलीज क्यों नहीं दी? आपने उसी दिन कार्रवाई क्यों नहीं की? आपने क्यों चुप्पी साधी और अखबारों में यह क्यों नहीं बताया कि पेड़ इस तरह काटे गए और मैंने एई, जेई और एक्ससीएन को निलंबित कर दिया? "यह साफ है कि इस पूरे मामले में एक बड़ी साजिश थी, जिसे एक एनजीओ ने उजागर किया है और अब इस मामले में बड़े लोग फंसने वाले हैं."

यह भी पढ़ें- 'हिहिहिहि करने से कुछ नहीं होता, कुछ काम करो',....स्वाति मालीवाल ने CM आतिशी पर कसा तंज

यह भी पढ़ें- 'विधानसभा चुनाव के लिए छुट्टी लेकर तैयारी में जुटें', कार्यकर्ताओं को केजरीवाल ने दिया वीडियो संदेश

नई दिल्ली: दिल्ली में संरक्षित भूमि पर पेड़ काटने का मामला फिर गरमा गया है. सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) नेता सौरभ भारद्वाज ने शुक्रवार को उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना पर इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने झूठ बोलने का आरोप लगाया. दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, "इस मामले में बार-बार दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी), डीडीए और केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने झूठ बोला है. अब यह स्पष्ट हो गया है कि 1,670 पेड़ वहां बिना अनुमति के अवैध तरीके से काटे गए."

उन्होंने कहा, "यह भी साफ हो गया कि उपराज्यपाल ने उस क्षेत्र का दौरा किया था और डीडीए के एक अधिकारी ने ईमेल के जरिए यह जानकारी दी कि एलजी के निर्देश पर ये पेड़ काटे गए थे. एलजी ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्हें इसके बारे में 12 जून को पता चला. वह बात झूठ साबित हुई. कोर्ट ने दोबारा हलफनामा देने को कहा कि 'हां मुझे 12 अप्रैल को पता चला'. क्या यह संभव है कि डीडीए सिर्फ एई, जेई और एक्सईएन को बचाने के लिए बार-बार झूठ बोले? क्या यह संभव है कि पुलिस द्वारा याचिकाकर्ताओं पर दबाव डाला जा रहा था, ताकि एई, जेई को बचाया जा सके?"

छोटे अधिकारियों को बनाया जा रहा बकरा: सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा, "क्या यह संभव है कि सड़क की अलाइनमेंट कहती है कि फार्म हाउस की जमीन का इस्तेमाल किया गया हो और सीधे जंगल की जमीन लेकर पेड़ काटे गए? क्या एई, जेई और जेई स्तर के अधिकारियों को इतने बड़े फैसले लेने का अधिकार है? यह पूरा मामला बुनियादी सवालों से भरा हुआ है, और बार-बार डीडीए और एलजी के वकीलों को अदालत में झूठ बोलना पड़ रहा है, यह साबित करता है कि इसमें बड़े लोग शामिल हैं. छोटे अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर उन्हें इस पूरे मामले का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है."

बड़े लोग फंसने वाले हैं: उन्होंने यह भी कहा, "आज एलजी और उनके डीडीए के लिए एक बहुत ही शर्मनाक पल था, क्योंकि अदालत के दो बार निर्देश देने के बावजूद, डीडीए ने अपना रिकॉर्ड अदालत के सामने पेश नहीं किया. डीडीए क्या छिपाना चाह रहा है? यह बड़ा सवाल है. अगर एई, जेई, एक्ससीएन इसमें शामिल हैं, तो आप अपना रिकॉर्ड क्यों नहीं दिखा रहे? जब एलजी ने खुद मान लिया कि 12 अप्रैल को उन्हें पेड़ काटे जाने की जानकारी मिली, तो आपने उस दिन प्रेस रिलीज क्यों नहीं दी? आपने उसी दिन कार्रवाई क्यों नहीं की? आपने क्यों चुप्पी साधी और अखबारों में यह क्यों नहीं बताया कि पेड़ इस तरह काटे गए और मैंने एई, जेई और एक्ससीएन को निलंबित कर दिया? "यह साफ है कि इस पूरे मामले में एक बड़ी साजिश थी, जिसे एक एनजीओ ने उजागर किया है और अब इस मामले में बड़े लोग फंसने वाले हैं."

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