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अब एक ही मशीन करेगी दिल और दिमाग की जांच, IGIMS में खुला बिहार का पहला बाइप्लेन कैथ लैब - BIHAR FIRST BIPLANE CATHLAB

पटना के IGIMS में अब एक साथ दिल और दिमाग दोनों का इलाज हो सकेगा. यहां बिहार का पहला बाइप्लेन कैथ लैब खुला है.

bihar first biplane cathlab
GIMS में बिहार का पहला बाइप्लेन कैथ लैब (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 18, 2025, 12:32 PM IST

पटना: पटना की इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को इमरजेंसी वार्ड में 30 नए बेड को बढ़ाया गया है. साथ ही बाइप्लेन वैस्कुलर कैथ लैब की भी शुरुआत की गई है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने इस कैथ लैब का शुभारंभ किया.

IGIMS में बिहार का पहला बाइप्लेन कैथ लैब: नए वैस्कुलर कैथ लैब का शुभारंभ करते हुए मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि आईजीआईएमएस के कार्डियोलॉजी विभाग में ये मशीन लगाए गए हैं. उसकी लागत लगभग 14 करोड़ है और यह मशीन खासकर ब्रेन हेमरेज के मरीज के लिए हृदय के मरीजों के लिए वरदान साबित होगा.

IGIMS में खुला बिहार का पहला बाइप्लेन कैथ लैब (ETV Bharat)

"बिहार झारखंड का यह पहला मशीन है, जो आईजीआईएमएस के कैथ लेब में लगाया गया है. हमारी कोशिश है कि इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधा हो जिससे कि बिहार से बाहर मरीजों को नहीं जाना पड़े. यही सोचकर आईजीआईएमएस में 30 नए बेड इमरजेंसी का भी शुभारंभ हमने किया है."- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार

एक मशीन से दिल और दिमाग का इलाज:आईजीआईएस के कार्डियोलॉजी विभाग में बाइप्लेन कार्डियोवस्कुलर कैथ लैब में डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी मशीन से जांच शुरू हो गई है. इसके साथ ही यह बिहार का पहला अस्पताल बन गया है, जहां एक साथ दिल और दिमाग का इलाज की सुविधा उपलब्ध हो गई है.

लगाए गए 30 नए बेड: साथ ही इमरजेंसी वार्ड के विस्तारित भाग जिसमें 30 नए बेड लगाए गए हैं, उसका भी शुभारंभ मंत्री मंगल पांडे ने किया. इस दौरान मंत्री ने दावा किया कि बहुत जल्द ही आईजीआईएमएस में 500 बेड के नए भवन का भी उद्घाटन करेंगे.

सभी बेड में ऑक्सीजन और अन्य सुविधा: मंगल पांडे ने बताया कि सभी बेड पर ऑक्सीजन के साथ-साथ सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. ज्यादा से ज्यादा मरीज को हम लोग इमरजेंसी वार्ड में लाकर इलाज करवा सके, इसकी व्यवस्था सरकार ने की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा हो इसको लेकर कोशिश करते रहते हैं और हम लोग इस आधार पर काम कर रहे हैं.

'500 बेड का एक नया भवन हो रहा तैयार': मंगल पांडे ने कहा कि अब आईजीआईएमएस में 129 इमरजेंसी बेड हो गया है. बहुत जल्द इसकी संख्या 150 तक कर देंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि फरवरी महीने में आईजीआईएमएस परिसर में ही 500 बेड का एक नया भवन तैयार हो जाएगा, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद करेंगे. उन्होंने कहा कि आईजीआईएमएस में 1547 मरीज को भर्ती करने के लिए बेड उपलब्ध है. बहुत जल्द ही इसकी संख्या 2000 तक करेंगे. इसकी व्यवस्था हम लोग कर रहे हैं.

एंजियोग्राफी और सीटी स्कैन एक साथ: बता दें कि 3-डी एआइ युक्त यह मशीन लगायी गयी है. इससे अब हृदय और सिर की गंभीर बीमारियों के मरीजों को बिना ओपन सर्जरी किये ही स्टेंट डाला जा सकेगा. इस मशीन से एंजियोग्राफी और सीटी स्कैन एक साथ हो सकेंगे.

क्याा है बाइप्लेन वैस्कुलर कैथ लैब: बाइप्लेन वैस्कुलर कैथ लैब एक प्रकार की कैथ लैब होती है, जिसमें थ्री डी इमेजिंग की सुविधा होती है. इसमें दो एक्सरे स्रोत और दो डिटेक्टर होते हैं. यह कैथ लैब न्यूरोलॉजी और कार्डियक प्रक्रियाओं के लिए उपयोग की जाती है.

कैथ लैब का फायदा: इससे मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी. स्ट्रोक, एन्यूरिज्म और ड्यूरल एवी फिस्टुला जैसी समस्याओं के इलाज में मदद करती है. इससे सटीक निदान और न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया की जा सकती है. इससे जरिए स्ट्रोक से प्रभावित मरीजों के अंदर क्या चल रहा है इसका पता लगाया जा सकता है और सटीक निदान हो सकता है.

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IGIMS में बिहार का पहला बाइप्लेन कैथ लैब: नए वैस्कुलर कैथ लैब का शुभारंभ करते हुए मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि आईजीआईएमएस के कार्डियोलॉजी विभाग में ये मशीन लगाए गए हैं. उसकी लागत लगभग 14 करोड़ है और यह मशीन खासकर ब्रेन हेमरेज के मरीज के लिए हृदय के मरीजों के लिए वरदान साबित होगा.

IGIMS में खुला बिहार का पहला बाइप्लेन कैथ लैब (ETV Bharat)

"बिहार झारखंड का यह पहला मशीन है, जो आईजीआईएमएस के कैथ लेब में लगाया गया है. हमारी कोशिश है कि इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में मरीजों के लिए ज्यादा से ज्यादा सुविधा हो जिससे कि बिहार से बाहर मरीजों को नहीं जाना पड़े. यही सोचकर आईजीआईएमएस में 30 नए बेड इमरजेंसी का भी शुभारंभ हमने किया है."- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री, बिहार सरकार

एक मशीन से दिल और दिमाग का इलाज:आईजीआईएस के कार्डियोलॉजी विभाग में बाइप्लेन कार्डियोवस्कुलर कैथ लैब में डिजिटल सबट्रैक्शन एंजियोग्राफी मशीन से जांच शुरू हो गई है. इसके साथ ही यह बिहार का पहला अस्पताल बन गया है, जहां एक साथ दिल और दिमाग का इलाज की सुविधा उपलब्ध हो गई है.

लगाए गए 30 नए बेड: साथ ही इमरजेंसी वार्ड के विस्तारित भाग जिसमें 30 नए बेड लगाए गए हैं, उसका भी शुभारंभ मंत्री मंगल पांडे ने किया. इस दौरान मंत्री ने दावा किया कि बहुत जल्द ही आईजीआईएमएस में 500 बेड के नए भवन का भी उद्घाटन करेंगे.

सभी बेड में ऑक्सीजन और अन्य सुविधा: मंगल पांडे ने बताया कि सभी बेड पर ऑक्सीजन के साथ-साथ सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. ज्यादा से ज्यादा मरीज को हम लोग इमरजेंसी वार्ड में लाकर इलाज करवा सके, इसकी व्यवस्था सरकार ने की है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा हो इसको लेकर कोशिश करते रहते हैं और हम लोग इस आधार पर काम कर रहे हैं.

'500 बेड का एक नया भवन हो रहा तैयार': मंगल पांडे ने कहा कि अब आईजीआईएमएस में 129 इमरजेंसी बेड हो गया है. बहुत जल्द इसकी संख्या 150 तक कर देंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि फरवरी महीने में आईजीआईएमएस परिसर में ही 500 बेड का एक नया भवन तैयार हो जाएगा, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद करेंगे. उन्होंने कहा कि आईजीआईएमएस में 1547 मरीज को भर्ती करने के लिए बेड उपलब्ध है. बहुत जल्द ही इसकी संख्या 2000 तक करेंगे. इसकी व्यवस्था हम लोग कर रहे हैं.

एंजियोग्राफी और सीटी स्कैन एक साथ: बता दें कि 3-डी एआइ युक्त यह मशीन लगायी गयी है. इससे अब हृदय और सिर की गंभीर बीमारियों के मरीजों को बिना ओपन सर्जरी किये ही स्टेंट डाला जा सकेगा. इस मशीन से एंजियोग्राफी और सीटी स्कैन एक साथ हो सकेंगे.

क्याा है बाइप्लेन वैस्कुलर कैथ लैब: बाइप्लेन वैस्कुलर कैथ लैब एक प्रकार की कैथ लैब होती है, जिसमें थ्री डी इमेजिंग की सुविधा होती है. इसमें दो एक्सरे स्रोत और दो डिटेक्टर होते हैं. यह कैथ लैब न्यूरोलॉजी और कार्डियक प्रक्रियाओं के लिए उपयोग की जाती है.

कैथ लैब का फायदा: इससे मरीजों के इलाज में काफी मदद मिलेगी. स्ट्रोक, एन्यूरिज्म और ड्यूरल एवी फिस्टुला जैसी समस्याओं के इलाज में मदद करती है. इससे सटीक निदान और न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया की जा सकती है. इससे जरिए स्ट्रोक से प्रभावित मरीजों के अंदर क्या चल रहा है इसका पता लगाया जा सकता है और सटीक निदान हो सकता है.

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