जयपुर. प्रदेश में उत्पन्न हुए बिजली संकट पर भाजपा से बागी होकर चुनाव जीतने वाले निर्दलीय विधायकों ने भी भजनलाल सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. निर्दलीय विधायक युनूस खान ने सीएम भजनलाल सरकार के प्रबंधन को बिजली संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया तो पलटवार में कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी उतर आए. चौधरी ने कहा कि भजनलाल सरकार जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध अपने 6 माह के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसलें लिए हैं. युनूस खान पूर्व सीएम गहलोत की भाषा बोल रहे हैं. प्रदेश में पूर्ववर्ती गहलोत सरकार की गलत नीतियों के चलते बिजली संकट उत्पन्न हुआ.
गहलोत की भाषा बोल रहे हैं : कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने कहा कि युनूस खान ने पूर्ववर्ती गहलोत सरकार के बिजली संकट पर चुप्पी साधी रखी और आज अपनी महत्वकांक्षा पूरी नहीं होने पर गहलोत की भाषा बोल रहे हैं. ये वहीं युनूस खान हैं, जिन्हें भाजपा ने जनप्रतिनिधि से लेकर मंत्री मंडल तक पहुंचाया था, लेकिन आज अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी नहीं होने के चलते इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं. गहलोत सरकार की गलत नीतियों के चलते सर्दी में रबी सीजन के दौरान बैकिंग एग्रीमेंट के माध्यम से उधार ली गई, बिजली को गर्मी में पीक डिमांड के दौरान चुकाने का एग्रीमेंट कर लिया. गहलोत सरकार के गलत एग्रीमेंट के चलते राजस्थान को रोजाना लाखों यूनिट बिजली लौटानी पड़ रही है. शायद युनूस खान ये भूल गए कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के विदाई के साल में कालीसिंध और सूरतगढ़ थर्मल प्लांट की यूनिट बंद हो जाने से 4 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन प्रभावित हुआ था, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भारी बिजली कटौती का सामना करना पड़ा था.
2 लाख 24 हजार करोड़ का एमओयू : चौधरी ने कहा कि आज भजनलाल सरकार प्रदेश की जनता की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है. भाजपा सरकार ने बिजली कंपनियों के साथ 2 लाख 24 हजार करोड़ का एमओयू किया है, ताकि भविष्य में इस तरह का संकट उत्पन्न न हो. भजनलाल सरकार के बेहतर मैनेजमेंट के चलते प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में बिजली की सप्लाई सूचारू रूप से की जा रही है. भाजपा ने विधानसभा चुनावों में जनता से संकल्प पत्र में किए वादों में से 45 फीसदी वादों को भजनलाल सरकार ने 6 माह में पूरा कर दिया. इतना ही नहीं, राजस्थान को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. सरकार ने 28500 मेगावाट की अक्षय ऊर्जा, 3325 मेगावाट की थर्मल परियोजना पर समझौता भी किया है.
पूर्ववर्ती सरकार ने बांटी रेवड़ियां : चौधरी ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने चुनावी साल के दौरान जमकर रेवड़ियां बांटी, जिसका खामियाजा आज प्रदेश की जनता को उठाना पड़ रहा है. गहलोत ने एक ओर मुफ्त बिजली की रेवड़ियां बांटी तो दूसरी ओर फ्यूल सरचार्ज के नाम पर वसूल कर लिए. हालात यह हैं कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में 3 साल के दौरान 3 हजार 700 करोड़ रुपए से अधिक फ्यूल सरचार्ज के नाम पर वसूले गए. प्रदेश में 2018 से पूर्व बिजली की दरें 5 रुपए 55 पैसे प्रति यूनिट हुआ करती थी, जबकि कांग्रेस की गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल में इन दरों को 11 रुपए 90 पैसे तक पहुंचा दिया. इतना ही नहीं, गहलोत के कार्यकाल में 15 बार बिजली दरों में बढ़ोतरी कर आमजन की कमर तोड़ दी गई थी, जबकि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता में आने के लिए 2018 के विधानसभा चुनावों में जनता से झूठा वादा करते हुए 5 साल तक बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं करने का वादा किया था. इन सब के बावजूद युनूस खान भाजपा पर आरोप लगाते हुए कांग्रेसी नेताओं की भाषा बोल रहे हैं.