पटना: बिहार सरकार भूमि सर्वेक्षण में लोगों की परेशानी को देखते हुए अब अपने पुराने नियम में बदलाव कर रही है. भूमि राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि सरकार जल्द 13 नियमों में परिवर्तन करने जा रही है. जल्द इसे कैबिनेट में लाया जाएगा.
भूमि सर्वेक्षण को लेकर दिलीप जायसवाल का ऐलान : मंत्री दिलीप जायसवाल ने साफ कर दिया है कि लोगों की परेशानी को देखते हुए 13 नियम में छूट दी जाएगी. बता दें कि 20 अगस्त से पूरे बिहार में भूमि एवं राजस्व विभाग ने जमीन सर्वेक्षण का काम शुरू किया. आनन फानन में शुरू किये गए जमीन सर्वेक्षण के कार्य के बाद लोगों को जमीन से जुड़े कागजात को लेकर परेशानी होने लगी. जिन कागजातों की जरूरत इस सर्वेक्षण में मांगी गई लोगों के पास वह उपलब्ध नहीं थे.
'13 नियम में होगा बदलाव': भूमि राजस्व मंत्री दिलीप जायसवाल ने बताया है कि बिहार में 75 लाख से अधिक लोगों ने अपने जमीन के कागजात को ऑनलाइन कर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार जमीन सर्वे के नियम को बदलाव करने जा रही है. 13 नियम को बदलकर नया प्रस्ताव कैबिनेट में आने जा रहा है.
"सरकार लोगों को किसी तरह परेशान नहीं होने देगी. प्रस्ताव ऐसा है जिससे किसी भी आम आदमी को कोई दिक्कत नहीं होगी. सरकार ने इस प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर लिया है. जल्दी से प्रस्ताव को कैबिनेट में लाकर पेश किया जाएगा."- दिलीप जायसवाल, भूमि राजस्व मंत्री, बिहार
'कागजात को लेकर बाध्यता में छूट': उन्होंने कहा कि कई लोगों के पास कागजात नहीं है. कई लोगों के कागजात पानी में गल गए या बाढ़ में ढह गये हैं. उन लोगों को इसमें बहुत ज्यादा सुविधा देने जा रहे हैं. दिलीप जायसवाल ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि स्मार्ट मीटर की तरह भूमि सर्वे में भी विपक्ष को कुछ हासिल नहीं होगा.
पुराने नियम के तहत जरूरी कागजात: जमीन सर्वे के समय कुछ जरूरी दस्तावेज जमीन मालिक के लिए आवश्यक है. यह दस्तावेज इस बात की पुष्टि करेगा कि यह जमीन आपके नाम पर है या आपके पूर्वजों के नाम पर. जमीन की खतियानी पेपर, यदि आपने जमीन खरीदा है तो रजिस्ट्री पेपर के अलावा दाखिल खारिज का पेपर, जमीन की मालगुजारी की रसीद जरूरी है.
इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ेगी जरूरत: अगर जमीन दावेदार के पूर्वजों के नाम पर है और वो जीवित नहीं हैं, तो जमीन मालिक को उनकी मृत्यु का प्रमाण पत्र देना होगा. जमाबंदी या मालगुजारी रसीद भी देनी होगी, जिसमें संख्या और वर्ष का विवरण हो. खतियान की कॉपी है तो उसे भी साथ में लगाना होगा.
दस्तावेज को लेकर अभी भी परेशानी: बिहार सरकार का भूमि राजस्व विभाग भले ही या कह रहा है कि लोगों को किसी तरीके से परेशानी ना हो इसीलिए अंचल स्तर तक के अधिकारी को इस काम में लगाया गया है. लेकिन भूमि सर्वेक्षण में जो दस्तावेज सरकार के द्वारा मांगा जा रहा है उसको लेकर अभी भी जमीन मालिक परेशान हैं.
दफ्तर के चक्कर लगाने को मजबूर हैं लोग: मधुबनी के पंडौल मधेपुरा गांव के रहने वाले मिथिलेश राय सिलवासा में निजी कंपनी में काम करते हैं. छठ से 10 दिन पहले घर आये थे कि भूमि सर्वेक्षण में जो भी सरकारी कागजात मांगी जा रही है उसको दुरुस्त करवा लेंगे, लेकिन 15 दिनों से ब्लॉक का चक्कर लगा रहे हैं. अभी तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
कागजात को लेकर फंस रहा पेंच: मिथिलेश ने बताया कि जमीन की खतियानी दस्तावेज को लेकर ब्लॉक के कर्मचारियों से लेकर CO तक से मिल चुके हैं, लेकिन कोई इसका रास्ता नहीं बता रहा है. 40 बीघा पुश्तैनी जमीन के बंटवारे का कागजात है. दादाजी का तीन जमाबंदी का डॉक्यूमेंट है. 1930 ई का जमाबंदी है.
95 साल पुराने कागज की मांग: मिथिलेश राय का कहना है कि विभाग द्वारा 1930 से अब तक की जमीन की रसीद मांगी जा रही है. पिछले 30 वर्षों का र्सिफ उन लोगों के पास है, लेकिन पुराना खतियान उन लोगों के पास नहीं है. इसी को लेकर गांव में फंसे हुए हैं.
"ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर तक चक्कर लगा चुके हैं लेकिन यह खतियान अभी तक उपलब्ध नहीं हो पाया है. उधर कंपनी के तरफ से अलग फोन आ रहा है कि कब ज्वाइन करना है. परेशानी इस बात की है कि अब करें तो क्या करें क्योंकि खतियान का कागज ब्लॉक के कर्मचारी एवं ब्लॉक में उपलब्ध नहीं है."-मिथिलेश राय, मधुबनी निवासी
ये भी पढ़ें
'माल दीं ना'... जमीन सर्वे में घूस का खेल.. बगहा में राजस्व कर्मी का वीडियो आया सामने - LAND SURVEY