लखनऊ : प्राविधिक शिक्षा परिषद में 9 दिसंबर को जारी हुए प्रमोशन की लिस्ट के बाद यूपी में आए राजनीतिक भूचाल शांत होने का नाम नहीं ले रहा है. विभाग में 177 प्रवक्ताओं को डीपीसी करने के बाद 5400 ग्रेड पे से सीधे 9000 के ग्रेड पे के साथ सीधे एचओडी के पद पर प्रमोट कर दिया गया था. इस प्रमोशन प्रक्रिया को लेकर विभाग पर गंभीर आरोप लगे थे, जिसको लेकर मंत्री आशीष पटेल ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि मेरे सारे कामों की सीबीआई से जांच करा ली जाए.
इस पूरे मामले पर मंत्री आशीष पटेल का कहना है कि 177 प्रवक्ताओं जिनको एचओडी के पद पर प्रमोट किया गया है, उसमें 39 सामान्य श्रेणी, 78 ओबीसी श्रेणी, 58 एससी श्रेणी के और दो एसटी श्रेणी पर प्रमोट हुए हैं. उन्होंने साफ किया है कि प्रमोशन पाने वालों में 177 लोगों में से 77% आरक्षण वर्ग के हैं, जिसमें 44 प्रतिशत पद तो सीधे ओबीसी कैटेगरी के लोगों को प्रमोट किया गया है. उन्होंने कहा कि प्रमोशन की प्रक्रिया में आरक्षण का लाभ देने का कोई नियम नहीं है. विपक्ष और विभिन्न संघों के पदाधिकारी जो आरक्षण के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगा रहे हैं, उन्हें इस आदेश के बाद से यह स्पष्ट हो गया होगा कि इन पदों पर अगर डायरेक्ट भर्ती होती तो भी ओबीसी और एससी-एसटी वर्ग के लोगों की इतनी बड़ी संख्या में नियुक्ति नहीं हो पाती.
साजिशों के जाल बुनते रहिए, मैं डरने वालों में नहीं हूं।
— Ashish Patel (@ErAshishSPatel) December 18, 2024
1- धरनारत विधायक के साथ धरने पर बैठे और किसी बाहरी व्यक्ति से लगातार निर्देश प्राप्त कर रहे दो व्यक्ति कौन थे, जो उस समय देर रात राज्य के सबसे सुरक्षित परिसर विधानसभा में मौजूद थे, जहां सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद… pic.twitter.com/bkGDh76UY3
प्राविधिक शिक्षा परिषद में हुए 177 कार्मिकों के प्रमोशन के बाद सीधी भर्ती पदों पर उनके प्रमोट होने से आरक्षण के पदों को नुकसान होने का बड़ा आरोप अपना दल (कैमरावादी) की विधायक पल्लवी पटेल ने और परिषद से जुड़े विभिन्न संघों ने लगाया था. इस आरोप के बाद प्राविधिक शिक्षा विभाग अनुभाग दो की तरफ से मंगलवार देर रात एक आदेश जारी कर दिया गया. इस आदेश में बताया गया कि 30 मई 2024 को हुई डीपीसी के बाद जारी पदोन्नति आदेश के तहत विभागाध्यक्ष के पदों पर पदोन्नति हुई. आदेश के मुताबिक, कुल 177 तक कार्मिकों की श्रेणी एवं संख्या की जो सूची जारी हुई है, उसमें डायरेक्ट भर्ती होने वाले पदों पर किसी भी तरह के आरक्षण के नियम का उल्लंघन नहीं किया गया है. उप सचिव चिरौंजी लाल ने इस संबंध में आदेश जारी किया है.
सोशल मीडिया पर जारी किया पोस्ट : 'साजिशों के जाल बुनते रहिए, मैं डरने वालों में नहीं हूं.'
- धरनारत विधायक के साथ धरने पर बैठे और किसी बाहरी व्यक्ति से लगातार निर्देश प्राप्त कर रहे दो व्यक्ति कौन थे, जो उस समय देर रात राज्य के सबसे सुरक्षित परिसर विधानसभा में मौजूद थे, जहां सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद परिंदा भी पर नहीं मार सकता? किस पुलिस अधिकारी ने सारे नियमों को ताक पर रखकर इन्हें विधानसभा परिसर में आने की अनुमति दी?
- 1700 करोड़ के बजट वाले राज्य के सूचना विभाग का काम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकारों की नीतियों, कार्यक्रमों की जानकारी आम जनमानस तक पहुंचाने की है, हालांकि विभाग के छोटे अधिकारी इसका उपयोग कर अपनी ही सरकार के मंत्रियों के मान मर्दन और चरित्र हनन में जुटे हैं. क्या इनका काम मंत्रियों पर झूठे आरोपों को रोकने के बजाय शह देना और अधूरे तथ्यों को उपलब्ध कराकर भ्रम पैदा कर खिलाफ में खबरें छपवाना है?
- साजिश रचने वाले समझ लें, मैं विधायक योगेश वर्मा नहीं हूं, जो थप्पड़ खाने और अपमानित होने के बावजूद किसी मजबूरी में चुप रह गए. मैं सरदार पटेल का वंशज हूं. डरना नहीं मुकाबला करना मेरी फितरत में है. कोई कंकड़ फेंकेगा तो जवाब पत्थर से मिलेगा.
- एक बात और, कितनी भी साजिश रचें, चरित्रहनन की कोशिश करें, अपना दल (एस) सामाजिक न्याय से जुड़े मामले उठाते रहेगा. चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े, सामाजिक न्याय की आवाज बंद नहीं होगी. चाहे 69 हजार शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी का मामला हो या ऐसे ही अन्य मामले. हमारी पार्टी ने पूरी ताकत से अपनी बात रखी है और आगे भी उसी मजबूती से अपनी बात रखेंगे.
अंत में...
कुछ लोग जो खामोश है यह सोच रहे हैं
सच बोलेंगे जब सच के जरा दाम बढ़ेंगे
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