आजकल के भागदौड़ की जिंदगी और अनियमित दिनचर्या की वजह से लोग जल्दी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. जिसको देखते हुए लोगों में अपनी सेहत के प्रति जागरुका बढ़ी है. इसलिए लोग खाने में गेहूं और चावल के विकल्प के रूप में मिलेट को तेजी से अपना रहे हैं. मिलेट की अलग-अलग किस्में जैसे बाजरा, रागी, कोदो, कुटकी बेहद पॉपुलर हो रही हैं. मिलेट के लोग पारंपरिक व्यंजन के साथ साथ अब प्रयोग कर नए नए प्रोडक्ट भी बना रहे हैं.
अब मिलेट से दूध भी बनाया जा रहा है. कहते हैं कि, यह गाय के दूध का शानदार विकल्प है. लेकिन बुंदेलखंड विश्वविद्यालय का खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग. जो अब मिलेट्स से दूध बनाएगा. यह दूध पाउडर के रूप में होगा और यह बाजार में बिक रहे पाउडर वाले दूध से काफी सस्ता भी होगा. अभी तक मिलेट्स का दूध तरल रूप में बनाया जा चुका है, लेकिन पाउडर के रूप में इसका निर्माण पहली बार होगा. मिलेट्स के मिल्क पाउडर में भरपूर कैलोरी और पोषक तत्व होने के चलते सेहत के लिए यह बेहद लाभदायक साबित होगा. मिलेट्स को प्रमोट करने के लिए सरकार कई तरह की योजनाएं चला रही है.
बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी का खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग मिलेट्स के कई उत्पाद न सिर्फ बना रहा है, बल्कि बेच भी रहा है.अभी इन उत्पादों की उपलब्धता बाजार में नहीं है, लेकिन विश्वविद्यालय के विभाग में इसके लिए स्टॉल लगाया गया है. यहां से कोई भी व्यक्ति इन उत्पादों को खरीद सकता है. अभी तक मिलेट्स के कुकीज, भुजिया जैसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं, अब इसमें इजाफा होने जा रहा है. एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के तहत यूनिवर्सिटी जल्द मिलेट्स का दूध बनाने का काम शुरू करेगा. अभी तक मिलेट्स का दूध तरल रूप में बनाया जा चुका है, पर इसकी लाइफ बेहद कम होती है. साथ ही इसे रखने के लिए रेफ्रिजरेटर अनिवार्य होता है. इसे ठंडक न मिले, तो यह और जल्दी खराब हो जाता है. आम लोगों तक यह उत्पाद पहुंचाने के लिए विश्वविद्यालय का खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग इसे पाउडर के रूप में बनाएगा.
मिलेट्स के पाउडर को पानी में घोलते ही यह दूध बन जाएगा. यह ठीक मिल्क पाउडर की तरह होगा, पर इसमें मौजूद पोषक तत्व कैल्शियम का बहुत अच्छा स्तोत्र साबित होंगे. इसकी कीमत भी मिल्क पाउडर से काफी कम होगी, यह सौ रूपए के अंदर ही एक लीटर उपलब्ध होगा. इसको बनाने में रागी, ओट्स, गुलाब और गेंदे का फ्लेवर इस्तेमाल होता है.
खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से बनाए जा रहे मिलेट्स (श्रीअन्न) के उत्पादों का परिणाम काफी अच्छा रहा है. अब हम इसके स्केल को बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं. ज्यादा मात्रा में उत्पाद बनाने के साथ ही जल्द मिलेट्स के दूध पर भी काम शुरू कर दिया जाएगा. बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के खाद्य प्रौद्योगिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो डी. के. भट्ट का कहना है की, मिलेट्स का दूध कैल्शियम का बहुत अच्छा स्रोत है, यह रिसर्च में साबित हो चुका है. इसमें मौजूद मिलेट्स के गुण सेहत के लिए लाभदारी साबित होंगे. चूंकि तरल रूप में इसकी लाइफ काफी कम है, इसलिए इसे पाउडर के रूप में बनाया जाएगा.