ETV Bharat / state

छत्तीसगढ़ कैसे बनेगा प्रवासी पक्षियों का गढ़, क्या करने होंगे उपाय ? - Migratory birds protecting - MIGRATORY BIRDS PROTECTING

छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों से साढ़े चार सौ प्रजाति के अधिक प्रवासी पक्षी आते हैं. इन प्रवासी पक्षियों की रक्षा करने के लिए कीड़ों की रक्षा करनी होगी. इस थीम पर पक्षी प्रेमी कार्य कर रहे हैं.

Migratory birds protecting
प्रवासी पक्षियों की रक्षा (ETV BHARAT CHHATTISGARH)
author img

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 11, 2024, 10:42 PM IST

Updated : May 11, 2024, 11:04 PM IST

छत्तीसगढ़ कैसे बनेगा प्रवासी पक्षियों का गढ़ (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

बिलासपुर: पूरी दुनिया में पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया गया. इस दिन को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के महत्व को लोगों को बताने के लिए मनाया जाता है. इस साल विश्व प्रवासी पक्षी दिवस का थीम पानी रखा गया. पानी के संरक्षण के लिए पोखर, तालाब और झीलों के संवर्धन के प्रयास किए गए थे. इस साल का थीम कीड़ों के संवर्धन से जुड़ा था. प्रवासी पक्षियों के लिए कीड़ों के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने और कीड़ों की घटती आबादी से संबंधित चिंताओं को उजागर करने के लिए ये थीम रखा गया था. कीड़े कई प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए ऊर्जा के आवश्यक स्रोत हैं. लगातार खेतो में फसलों को बचाने के लिए अत्यधिक मात्रा में जहरीले केमिकल डाले जा रहे है, जिससे कीड़े मर रहे है और इन कीड़े को खाकर प्रवासी और अप्रवासी पक्षी मर रहे है.

छत्तीसगढ़ में अलग-अलग जगह से आते हैं पक्षी: दरअसल, भारत में मध्य यूरोप, अमेरिका, एशिया जैसे द्वीप से प्रवासी पक्षी प्रवास करने आते हैं. भारत में प्रवासी पक्षियों को अच्छा भोजन और पानी मिलता है, जिसकी वजह से वह अपना प्रजनन काल भारत के अलग-अलग राज्यों और शहरों में पूरा करते हैं. छत्तीसगढ़ में लगभग साढ़े चार सौ प्रजाति के प्रवासी और अप्रवासीय पक्षी रहते हैं, जिनमें 50 से भी ज्यादा प्रजाति के प्रवासी पक्षी बिलासपुर जिले में प्रवास करते हैं. यह प्रवासी पक्षी मध्य यूरोप, उत्तरी अमेरिका, चीन, मंगोल, तुर्की, यूक्रेन और रूस से आते हैं. यह पक्षी हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रवास करते हैं. ज्यादातर यह पक्षी उन इलाकों में प्रवास करते हैं, जहां पर दलदली तालाब, पोखर होते हैं, जिससे इन्हें पर्याप्त मात्रा में कीड़े-मकोड़े खाने को मिलते हैं. इससे इन्हे प्रजनन के बाद अपने बच्चे को बड़ा करने में आसानी होती है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में प्रवासी पक्षी अक्टूबर माह से लेकर अप्रैल महीने और मध्य मई महीने तक रहते हैं.

विश्वभर में होना चाहिए कीड़ों का संरक्षण: इस बारे में ईटीवी भारत ने पक्षी प्रेमी और वाइल्ड फोटोग्राफर डॉ. कपिल मिश्रा से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "छत्तीसगढ़ में प्रवासी पक्षियों को प्रजनन काल बिताने के लिए पर्याप्त पानी, भोजन और प्रवास मिलता है. यही वजह है कि नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, एशिया, मध्य यूरोप और कई अलग-अलग देशों के पक्षी यहां पर आकर प्रवास करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा खतरा उन्हें अपने देश से प्रवासी देश पहुंचने पर होता है. यह बीच-बीच में कहीं-कहीं रुकते हैं. वहां उनका शिकार तो होता ही है. साथ ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं होता. इसलिए विश्व माइग्रेटेड बर्ड डे पर इस बार थीम के रूप में कीड़ों को शामिल किया गया है. ताकि कीड़ों का संरक्षण और संवर्धन हो सके. अक्सर देखा जाता है कि शहरी विकास और प्रदूषण जैसे प्रभावों के कारण पक्षियों के आमद पर बुरा असर पड़ता है."

प्रवासी पक्षियों के संरक्षण पर दिया जाएगा जोर: पक्षी प्रेमियों की मानें तो कीड़ों की कमी इन पारिस्थितिक तंत्र कार्यों को बाधित करती है. पक्षियों के प्राकृतिक शिकारियों के बिना, कुछ कीड़ों की अत्यधिक जनसंख्या भी प्रकोप का कारण बन सकती है, जो पौधों के स्वास्थ्य और कृषि को नुकसान पहुंचाती है. इस विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर सक्रिय संरक्षण उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया गया. इसमें कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को कम करने पर भी चर्चा की गई.

विश्व पशुचिकित्सा दिवस 2024: पशु चिकित्सकों के योगदान को करता है उजागर - World Veterinary Day 2024
भीषण गर्मी में सूखी बलरामपुर की कन्हर नदी, जलसंकट से त्राहिमाम ! - Ramanujganj Kanhar River Water Dry
कोंडागांव के पशु चिकित्सालय में मनाया गया विश्व पशु चिकित्सा दिवस - World Veterinary Day 2024

छत्तीसगढ़ कैसे बनेगा प्रवासी पक्षियों का गढ़ (ETV BHARAT CHHATTISGARH)

बिलासपुर: पूरी दुनिया में पक्षियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया गया. इस दिन को प्रवासी पक्षियों के संरक्षण के महत्व को लोगों को बताने के लिए मनाया जाता है. इस साल विश्व प्रवासी पक्षी दिवस का थीम पानी रखा गया. पानी के संरक्षण के लिए पोखर, तालाब और झीलों के संवर्धन के प्रयास किए गए थे. इस साल का थीम कीड़ों के संवर्धन से जुड़ा था. प्रवासी पक्षियों के लिए कीड़ों के महत्व पर ध्यान केंद्रित करने और कीड़ों की घटती आबादी से संबंधित चिंताओं को उजागर करने के लिए ये थीम रखा गया था. कीड़े कई प्रवासी पक्षी प्रजातियों के लिए ऊर्जा के आवश्यक स्रोत हैं. लगातार खेतो में फसलों को बचाने के लिए अत्यधिक मात्रा में जहरीले केमिकल डाले जा रहे है, जिससे कीड़े मर रहे है और इन कीड़े को खाकर प्रवासी और अप्रवासी पक्षी मर रहे है.

छत्तीसगढ़ में अलग-अलग जगह से आते हैं पक्षी: दरअसल, भारत में मध्य यूरोप, अमेरिका, एशिया जैसे द्वीप से प्रवासी पक्षी प्रवास करने आते हैं. भारत में प्रवासी पक्षियों को अच्छा भोजन और पानी मिलता है, जिसकी वजह से वह अपना प्रजनन काल भारत के अलग-अलग राज्यों और शहरों में पूरा करते हैं. छत्तीसगढ़ में लगभग साढ़े चार सौ प्रजाति के प्रवासी और अप्रवासीय पक्षी रहते हैं, जिनमें 50 से भी ज्यादा प्रजाति के प्रवासी पक्षी बिलासपुर जिले में प्रवास करते हैं. यह प्रवासी पक्षी मध्य यूरोप, उत्तरी अमेरिका, चीन, मंगोल, तुर्की, यूक्रेन और रूस से आते हैं. यह पक्षी हजारों किलोमीटर की उड़ान भरकर भारत के अलग-अलग राज्यों में प्रवास करते हैं. ज्यादातर यह पक्षी उन इलाकों में प्रवास करते हैं, जहां पर दलदली तालाब, पोखर होते हैं, जिससे इन्हें पर्याप्त मात्रा में कीड़े-मकोड़े खाने को मिलते हैं. इससे इन्हे प्रजनन के बाद अपने बच्चे को बड़ा करने में आसानी होती है. यही वजह है कि छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों में प्रवासी पक्षी अक्टूबर माह से लेकर अप्रैल महीने और मध्य मई महीने तक रहते हैं.

विश्वभर में होना चाहिए कीड़ों का संरक्षण: इस बारे में ईटीवी भारत ने पक्षी प्रेमी और वाइल्ड फोटोग्राफर डॉ. कपिल मिश्रा से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "छत्तीसगढ़ में प्रवासी पक्षियों को प्रजनन काल बिताने के लिए पर्याप्त पानी, भोजन और प्रवास मिलता है. यही वजह है कि नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, एशिया, मध्य यूरोप और कई अलग-अलग देशों के पक्षी यहां पर आकर प्रवास करते हैं, लेकिन सबसे ज्यादा खतरा उन्हें अपने देश से प्रवासी देश पहुंचने पर होता है. यह बीच-बीच में कहीं-कहीं रुकते हैं. वहां उनका शिकार तो होता ही है. साथ ही खाने के लिए पर्याप्त भोजन नहीं होता. इसलिए विश्व माइग्रेटेड बर्ड डे पर इस बार थीम के रूप में कीड़ों को शामिल किया गया है. ताकि कीड़ों का संरक्षण और संवर्धन हो सके. अक्सर देखा जाता है कि शहरी विकास और प्रदूषण जैसे प्रभावों के कारण पक्षियों के आमद पर बुरा असर पड़ता है."

प्रवासी पक्षियों के संरक्षण पर दिया जाएगा जोर: पक्षी प्रेमियों की मानें तो कीड़ों की कमी इन पारिस्थितिक तंत्र कार्यों को बाधित करती है. पक्षियों के प्राकृतिक शिकारियों के बिना, कुछ कीड़ों की अत्यधिक जनसंख्या भी प्रकोप का कारण बन सकती है, जो पौधों के स्वास्थ्य और कृषि को नुकसान पहुंचाती है. इस विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर सक्रिय संरक्षण उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया गया. इसमें कीटनाशकों और उर्वरकों के उपयोग को कम करने पर भी चर्चा की गई.

विश्व पशुचिकित्सा दिवस 2024: पशु चिकित्सकों के योगदान को करता है उजागर - World Veterinary Day 2024
भीषण गर्मी में सूखी बलरामपुर की कन्हर नदी, जलसंकट से त्राहिमाम ! - Ramanujganj Kanhar River Water Dry
कोंडागांव के पशु चिकित्सालय में मनाया गया विश्व पशु चिकित्सा दिवस - World Veterinary Day 2024
Last Updated : May 11, 2024, 11:04 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.