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प्रवासी मजदूरों की इमोशनल स्टोरी, धान के फड़े से धान का दाना-दाना निकालकर करते हैं गुजर-बसर, साल भर करते हैं सीजन का इंतजार - MIGRANT WORKERS IN HARYANA

हरियाणा में धान के फड़े से धान का दाना-दाना निकालकर गुजारा कर रहे प्रवासी मजदूर.

Migrant workers in Haryana
Migrant workers in Haryana (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 21, 2024, 11:10 AM IST

Updated : Oct 21, 2024, 3:01 PM IST

यमुनानगर: हरियाणा की अनाज मंडियों में धान की खरीद चल रही है. एक तरफ मंडियों के भीतर किसानों की धान को मशीन से साफ किया जा रहा है. जिसमें से निकलने वाले फड़े को कूड़े की तरह मंडी की दीवारों के बाहर फेंका जा रहा है, तो दूसरी तरफ प्रवासी लोग उस फड़े से धान का एक-एक दाना निकालकर अपनी आजीविका का साधन बना रहे हैं. सीजन की शुरुआत होते ही यह प्रवासी बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल इत्यादि राज्यों से हरियाणा पहुंचते हैं.

मजदूरों की मजबूरी: हमारी टीम ने छछरौली में इन लोगों से इनकी पूरी कहानी जानने की कोशिश की. कुछ महिलाएं व बच्चे छाज लेकर फड़े से धान निकाल रहे थे. इस दौरान प्रवासी महिला मजदूर ने बताया कि वह पूरे परिवार के साथ यहां आई है. उसके पति आढ़ती की लेबर में काम कर रहे हैं. उसके तीन बच्चों के साथ वह खुद फड़े से धान निकाल रही है. उसने बताया कि एक दिन में वह और उसके बच्चे पूरी मेहनत कर करीब 30 किलो धान निकाल लेते हैं. जिसे बाद में आढ़ती को बेच देते हैं. और तीनों समय के खाने-पीने का इंतजाम हो जाता है.

Migrant workers in Haryana (Etv Bharat)

सालभर करते हैं सीजन का इंतजार: वहीं, पति को सीजन के अंत में उसकी मजदूरी मिलती है. जिसे लेकर वह अपने गांव लौट जाते हैं. गांव में मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं. वहीं, पुष्पा ने बताया कि 8 साल पहले उसकी शादी हुई थी. जिसके बाद एक बेटा है. 6 साल का बेटा और उसका पति यहां काम करने आए हैं. गांव में कमाई के साधन नहीं हैं. आसपास जो शहर हैं, वहां ट्रांसपोर्ट महंगा है और इतनी कमाई भी नहीं है. सीजन में हरियाणा आते हैं, जिससे साल भर की कमाई कर वापस लौट जाते है और पूरा साल भर सीजन का इंतजार करते रहते हैं.

ये भी पढ़ें: कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले: हरियाणा की इस कंपनी ने दिवाली बोनस में कर्मचारियों को बांटी लग्जरी कारें

ये भी पढ़ें: हरियाणा में अब पराली जलाने पर खैर नहीं... मुख्य सचिव ने उपायुक्तों को दिए गिरफ्तारी के आदेश

यमुनानगर: हरियाणा की अनाज मंडियों में धान की खरीद चल रही है. एक तरफ मंडियों के भीतर किसानों की धान को मशीन से साफ किया जा रहा है. जिसमें से निकलने वाले फड़े को कूड़े की तरह मंडी की दीवारों के बाहर फेंका जा रहा है, तो दूसरी तरफ प्रवासी लोग उस फड़े से धान का एक-एक दाना निकालकर अपनी आजीविका का साधन बना रहे हैं. सीजन की शुरुआत होते ही यह प्रवासी बिहार, उत्तर प्रदेश, बंगाल इत्यादि राज्यों से हरियाणा पहुंचते हैं.

मजदूरों की मजबूरी: हमारी टीम ने छछरौली में इन लोगों से इनकी पूरी कहानी जानने की कोशिश की. कुछ महिलाएं व बच्चे छाज लेकर फड़े से धान निकाल रहे थे. इस दौरान प्रवासी महिला मजदूर ने बताया कि वह पूरे परिवार के साथ यहां आई है. उसके पति आढ़ती की लेबर में काम कर रहे हैं. उसके तीन बच्चों के साथ वह खुद फड़े से धान निकाल रही है. उसने बताया कि एक दिन में वह और उसके बच्चे पूरी मेहनत कर करीब 30 किलो धान निकाल लेते हैं. जिसे बाद में आढ़ती को बेच देते हैं. और तीनों समय के खाने-पीने का इंतजाम हो जाता है.

Migrant workers in Haryana (Etv Bharat)

सालभर करते हैं सीजन का इंतजार: वहीं, पति को सीजन के अंत में उसकी मजदूरी मिलती है. जिसे लेकर वह अपने गांव लौट जाते हैं. गांव में मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं. वहीं, पुष्पा ने बताया कि 8 साल पहले उसकी शादी हुई थी. जिसके बाद एक बेटा है. 6 साल का बेटा और उसका पति यहां काम करने आए हैं. गांव में कमाई के साधन नहीं हैं. आसपास जो शहर हैं, वहां ट्रांसपोर्ट महंगा है और इतनी कमाई भी नहीं है. सीजन में हरियाणा आते हैं, जिससे साल भर की कमाई कर वापस लौट जाते है और पूरा साल भर सीजन का इंतजार करते रहते हैं.

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Last Updated : Oct 21, 2024, 3:01 PM IST
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