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पति ने भरण पोषण नहीं दिया तो कोर्ट ने नियोक्ता को वेतन से कटौती करने के दिए आदेश - पति ने नहीं दिया भरण पोषण

महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-7 ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए पति के भरण पोषण नहीं देने पर नियोक्ता कंपनी को वेतन से कटौती के आदेश दिए हैं.

Metropolitan Magistrate,  ordered the deduct from salary
कोर्ट ने नियोक्ता को वेतन से कटौती करने के दिए आदेश.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 20, 2024, 8:24 PM IST

जयपुर. महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-7 ने घरेलू हिंसा से जुडे़ मामले में अदालत की ओर से तय की गई भरण पोषण की कुल बकाया राशि का भुगतान नहीं करने पर पति के मुम्बई स्थित नियोक्ता कंपनी को आदेश दिए हैं. अदालत ने कंपनी को कहा है कि वह बकाया राशि की वसूली तक हर माह पति के वेतन से पचास हजार रुपए की कटौती करे. वहीं, अदालत ने कंपनी के प्रबंधक को आदेश की पालना में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तत्काल अदालत में पेश करने को कहा है.

अदालत ने यह आदेश इस संबंध में पत्नी की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए. प्रार्थी पत्नी की ओर से अदालत को बताया गया कि उसका विवाह अप्रार्थी पति के साथ नवंबर 2009 में हुआ था. उसके दो संतान भी हैं, जो प्रार्थी के साथ ही रहते हैं. पति ने उससे दहेज के तौर पर 27 लाख रुपए मांगे और उसे मानसिक प्रताड़ित किया. ऐसे में उसे पति का घर छोडना पड़ा.

पढ़ेंः इंग्लैंड निवासी डॉक्टर पत्नी को भरण-पोषण भत्ता दिलवाने से इनकार, अपील खारिज

वहीं अदालत में मामला आने पर कोर्ट ने 13 जून 2023 को आदेश जारी कर याचिका दायर करने की तिथि से भरण पोषण राशि की गणना करते हुए हर माह पचास हजार रुपए प्रार्थी पत्नी को अदा करने को कहा था. अदालती आदेश के बावजूद भी पति ने भरण पोषण की राशि नहीं दी. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पति की नियोक्ता कंपनी को कहा है कि वह बकाया वसूली होने तक हर माह पचास हजार रुपए की राशि पति के वेतन से कटौती करे.

जयपुर. महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-7 ने घरेलू हिंसा से जुडे़ मामले में अदालत की ओर से तय की गई भरण पोषण की कुल बकाया राशि का भुगतान नहीं करने पर पति के मुम्बई स्थित नियोक्ता कंपनी को आदेश दिए हैं. अदालत ने कंपनी को कहा है कि वह बकाया राशि की वसूली तक हर माह पति के वेतन से पचास हजार रुपए की कटौती करे. वहीं, अदालत ने कंपनी के प्रबंधक को आदेश की पालना में की गई कार्रवाई की रिपोर्ट तत्काल अदालत में पेश करने को कहा है.

अदालत ने यह आदेश इस संबंध में पत्नी की ओर से पेश प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए. प्रार्थी पत्नी की ओर से अदालत को बताया गया कि उसका विवाह अप्रार्थी पति के साथ नवंबर 2009 में हुआ था. उसके दो संतान भी हैं, जो प्रार्थी के साथ ही रहते हैं. पति ने उससे दहेज के तौर पर 27 लाख रुपए मांगे और उसे मानसिक प्रताड़ित किया. ऐसे में उसे पति का घर छोडना पड़ा.

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वहीं अदालत में मामला आने पर कोर्ट ने 13 जून 2023 को आदेश जारी कर याचिका दायर करने की तिथि से भरण पोषण राशि की गणना करते हुए हर माह पचास हजार रुपए प्रार्थी पत्नी को अदा करने को कहा था. अदालती आदेश के बावजूद भी पति ने भरण पोषण की राशि नहीं दी. इस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पति की नियोक्ता कंपनी को कहा है कि वह बकाया वसूली होने तक हर माह पचास हजार रुपए की राशि पति के वेतन से कटौती करे.

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