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चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाना चाहते थे मनमोहन सिंह, पंजाब यूनिवर्सिटी से की राजनीति की शुरुआत, जानें उनके अनसुने किस्से - MEMORIES OF MANMOHAN SINGH

Memories of Manmohan Singh: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ से गहरा नाता रहा है. उन्होंने राजनीति की शुरुआत पंजाब यूनिवर्सिटी से की थी.

Memories of Manmohan Singh
Memories of Manmohan Singh (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Dec 27, 2024, 12:56 PM IST

चंडीगढ़: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ के साथ गहरा लगाव रहा. उनका सपना था कि चंडीगढ़ शहर स्लम फ्री सिटी बने. मनमोहन सिंह ना केवल चंडीगढ़ के छात्र रहे हैं, बल्कि उनके कई ऐसे किस्से हैं जो आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाना चाहते थे पूर्व पीएम: साल 2013 में प्रधानमंत्री के तौर पर चंडीगढ़ पहुंचे मनमोहन सिंह ने कहा था "चंडीगढ़ भारत की आजादी के बाद बसाया गया पहला ऐसा शहर है. जिसे आर्किटेक्चर तौर पर प्लान किया गया. ये शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान रखता है. भारत के तमाम राज्य और शहरों में चंडीगढ़ में प्रति व्यक्ति आमदनी भी सबसे अधिक है. 2010 में चंडीगढ़ को भारत का सबसे साफ सुथरा शहर घोषित किया गया था. पुनर्वास योजना के तहत जल्द ही चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाया जाएगा."

पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की कोशिश: बता दें कि डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 1954 में पंजाब यूनिवर्सिटी से मास्टर्स इन इकोनॉमिक्स की थी. इसके बाद उनका पंजाब यूनिवर्सिटी से लगातार नाता बना रहा. 1957 में वो पंजाब यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति रहे. प्रधानमंत्री होते हुए उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की ओर जोर दिया था. जुलाई 2009 में उन्होंने पंजाब सरकार को हरी झंडी दिखाते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी में बदलने का मौका दिया. उस दौरान पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस फैसले को राजनीतिक विवादों के चलते खारिज कर दिया. जिसके चलते पंजाब यूनिवर्सिटी सेंट्रल स्टेट्स दर्जा नहीं पा सकी.

पूर्व पीएम के नाम पर पंजाब यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरी: डॉक्टर मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी को लगातार अपना समर्थन दिया. प्रधानमंत्री रहते हुए, पंजाब यूनिवर्सिटी ने गुरु तेग बहादुर भवन में डॉक्टर मनमोहन के नाम पर एक लाइब्रेरी भी बनाई. जहां डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 3500 किताबें अपने फंड से यूनिवर्सिटी को दान में दी. इस लाइब्रेरी को इंजीनियरिंग विंग के एल्यूमिनी एसोसिएशन के साथ मिलकर तैयार किया गया था. 2018 में जब पंजाब यूनिवर्सिटी में डॉक्टर मनमोहन सिंह आए थे. इस दौरान उन्होंने इकोनॉमिक्स विभाग के छात्रों के साथ एक यादगार फोटो भी खिंचवाई थी. जो आज भी उस विभाग की शान है.

चंडीगढ़ से ही की राजनीति की शुरुआत: डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अपनी राजनीतिक शुरुआत 1957 में पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता के रूप में शुरू की थी. 1963 में मनमोहन प्रोफेसर बने थे. इसके बाद वो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर नियुक्त हुए. इसके साथ ही उन्हें यूनिवर्सिटी में जवाहरलाल नेहरू चेयर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वो 1987 में सेक्टर 11 स्थित मकान नंबर 727 में रहते थे. उन्होंने 1987 में ये मकान 8.67 लाख में खरीदा था. इस मकान के बारे में तब पता चला जब 2013 मार्च में प्रधानमंत्री की संपत्ति का ब्योरा दिया गया. साल 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का घर 4.92 करोड़ का था. जिसे उन्होंने 1987 में सिर्फ 8.67 लाख में खरीदा था.

झुग्गी झोपड़ियां पुनर्वास योजना चलाई: डॉक्टर मनमोहन सिंह ने चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाने के लिए काफी काम किए. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत झुग्गी झोपड़ियां पुनर्वास योजना के तहत 8000 फ्लैट की चाबी लाभार्थियों को सौंप थी. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए ये योजना नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान भी जारी रही. अब तक चंडीगढ़ में 18000 मकान लाभार्थियों को सोफे जा चुके हैं. हालांकि अभी भी चंडीगढ़ स्लम फ्री सिटी नहीं बन पाया है, लेकिन स्लम एरिया को कॉलोनी एरिया में जरूर बदला गया है.

ये भी पढ़ें- हरियाणा के मुख्यमंत्री समेत तमाम नेताओं ने मनमोहन सिंह के निधन पर जताया शोक, 7 दिन का राष्ट्रीय शोक - MANMOHAN SINGH DEATH

चंडीगढ़: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का चंडीगढ़ के साथ गहरा लगाव रहा. उनका सपना था कि चंडीगढ़ शहर स्लम फ्री सिटी बने. मनमोहन सिंह ना केवल चंडीगढ़ के छात्र रहे हैं, बल्कि उनके कई ऐसे किस्से हैं जो आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं.

चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाना चाहते थे पूर्व पीएम: साल 2013 में प्रधानमंत्री के तौर पर चंडीगढ़ पहुंचे मनमोहन सिंह ने कहा था "चंडीगढ़ भारत की आजादी के बाद बसाया गया पहला ऐसा शहर है. जिसे आर्किटेक्चर तौर पर प्लान किया गया. ये शहर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी अलग पहचान रखता है. भारत के तमाम राज्य और शहरों में चंडीगढ़ में प्रति व्यक्ति आमदनी भी सबसे अधिक है. 2010 में चंडीगढ़ को भारत का सबसे साफ सुथरा शहर घोषित किया गया था. पुनर्वास योजना के तहत जल्द ही चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाया जाएगा."

पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की कोशिश: बता दें कि डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 1954 में पंजाब यूनिवर्सिटी से मास्टर्स इन इकोनॉमिक्स की थी. इसके बाद उनका पंजाब यूनिवर्सिटी से लगातार नाता बना रहा. 1957 में वो पंजाब यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति रहे. प्रधानमंत्री होते हुए उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी बनाने की ओर जोर दिया था. जुलाई 2009 में उन्होंने पंजाब सरकार को हरी झंडी दिखाते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी को सेंट्रल यूनिवर्सिटी में बदलने का मौका दिया. उस दौरान पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस फैसले को राजनीतिक विवादों के चलते खारिज कर दिया. जिसके चलते पंजाब यूनिवर्सिटी सेंट्रल स्टेट्स दर्जा नहीं पा सकी.

पूर्व पीएम के नाम पर पंजाब यूनिवर्सिटी में लाइब्रेरी: डॉक्टर मनमोहन सिंह ने पंजाब यूनिवर्सिटी को लगातार अपना समर्थन दिया. प्रधानमंत्री रहते हुए, पंजाब यूनिवर्सिटी ने गुरु तेग बहादुर भवन में डॉक्टर मनमोहन के नाम पर एक लाइब्रेरी भी बनाई. जहां डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 3500 किताबें अपने फंड से यूनिवर्सिटी को दान में दी. इस लाइब्रेरी को इंजीनियरिंग विंग के एल्यूमिनी एसोसिएशन के साथ मिलकर तैयार किया गया था. 2018 में जब पंजाब यूनिवर्सिटी में डॉक्टर मनमोहन सिंह आए थे. इस दौरान उन्होंने इकोनॉमिक्स विभाग के छात्रों के साथ एक यादगार फोटो भी खिंचवाई थी. जो आज भी उस विभाग की शान है.

चंडीगढ़ से ही की राजनीति की शुरुआत: डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अपनी राजनीतिक शुरुआत 1957 में पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रवक्ता के रूप में शुरू की थी. 1963 में मनमोहन प्रोफेसर बने थे. इसके बाद वो भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के तौर पर नियुक्त हुए. इसके साथ ही उन्हें यूनिवर्सिटी में जवाहरलाल नेहरू चेयर की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. वो 1987 में सेक्टर 11 स्थित मकान नंबर 727 में रहते थे. उन्होंने 1987 में ये मकान 8.67 लाख में खरीदा था. इस मकान के बारे में तब पता चला जब 2013 मार्च में प्रधानमंत्री की संपत्ति का ब्योरा दिया गया. साल 2013 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का घर 4.92 करोड़ का था. जिसे उन्होंने 1987 में सिर्फ 8.67 लाख में खरीदा था.

झुग्गी झोपड़ियां पुनर्वास योजना चलाई: डॉक्टर मनमोहन सिंह ने चंडीगढ़ को स्लम फ्री सिटी बनाने के लिए काफी काम किए. उन्होंने जवाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन के तहत झुग्गी झोपड़ियां पुनर्वास योजना के तहत 8000 फ्लैट की चाबी लाभार्थियों को सौंप थी. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए ये योजना नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान भी जारी रही. अब तक चंडीगढ़ में 18000 मकान लाभार्थियों को सोफे जा चुके हैं. हालांकि अभी भी चंडीगढ़ स्लम फ्री सिटी नहीं बन पाया है, लेकिन स्लम एरिया को कॉलोनी एरिया में जरूर बदला गया है.

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