लखनऊ : परिवहन विभाग के साथ शुक्रवार को प्राइवेट बस ऑपरेटर्स और टैक्सी ऑपरेटर्स की टैक्स को लेकर बैठक हुई. प्राइवेट बस ऑपरेटर और टैक्सी मालिकों ने कर न बढ़ाए जाने की बात रखी. कहा कि अगर टैक्स बढ़ाया जाएगा तो फिर गाड़ियां खड़ी कर देंगे. यही नहीं स्टेकहोल्डर्स ने ये भी कहा कि नगर निगम की सीमा में चलने वाली सिटी बसों की तरह ही उन्हें भी रूट परमिट दिया जाए और टैक्स भी उन्हीं बसों के हिसाब से लिया जाए या फिर अन्य राज्यों में वाहनों से जो टैक्स वसूल किया जाता है, वही हमसे भी वसूल किया जाए. परिवहन विभाग ने विचार करने की बात कही है.
परिवहन विभाग के अधिकारियों की तरफ से टैक्सियों के लिए वन टाइम टैक्स की योजना के बारे में भी बताया गया है. इस पर अभी सहमति नहीं बनी है. इस बैठक में प्रदेश भर से ट्रांसपोर्टर परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर आए थे. बैठक में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर चंद्रभूषण सिंह, एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (रेवेन्यू) विजय कुमार, एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (प्रवर्तन) अशोक कुमार और एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (रोड सेफ्टी) पुष्पसेन सत्यार्थी मौजूद थे.
बिजनौर से आए प्राइवेट बस ऑपरेटर कामेश कुमार गुप्ता का कहना है कि फिलहाल अधिकारियों ने कहा है कि अभी टैक्स में कोई संशोधन नहीं कर रहे हैं. हमने मांग रखी है कि हमारा टैक्स नगर निगम की बसों की तरह ही कर दिया जाए या फिर अन्य राज्यों में जो टैक्स है उसी की तरह कर दिया जाए. नगर निगम की जो बसें शहरों में चल रही हैं वह 50 से 60 किलोमीटर तक चलती हैं. उनका प्रति सीट टैक्स ₹33 है. इसी तरह हमसे भी टैक्स वसूल किया जाए या दिल्ली में 20 रुपए प्रति सीट टैक्स है वह कर दिया जाए.
उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी ऐसा ही है. अरुणाचल और नागालैंड में भी यही है. जहां टैक्स की दर लगभग ₹1000 प्रति माह भी नहीं है तो वह भी राज्य तो इंडिया के ही पार्ट हैं. हमारा टैक्स भी उतनी ही दरों पर किया जाए. अधिकारियों ने कहा है कि हम टैक्स में कोई संशोधन नहीं कर रहे हैं. पहले की तरह ही यथास्थिति बरकरार रहेगी. हमने टैक्स घटाने की मांग रखी है. पड़ोसी राज्यों की तरह या फिर नगर निगम की सीमा में चलने वाली सिटी बसों की तरह. हमने 6000 रुपए प्रतिमाह घटाने की मांग की है.
लखीमपुर खीरी से आए प्राइवेट बस ऑपरेटर मदन लाल गुप्ता का कहना है कि छोटी गाड़ियों को लेकर यह बात हुई है कि उनसे वन टाइम टैक्स वसूल किया जाए. उनका भी टैक्स बढ़ाने की फिलहाल कोई बात नहीं हुई है. बस उनसे वन टाइम टैक्स वसूल करने की परिवहन विभाग योजना बना रहा है. वन टाइम टैक्स लेने में गवर्नमेंट को फायदा होगा, इसलिए ऐसा कर रहा है. प्राइवेट कार कोई लेता है तो वन टाइम टैक्स जमा करता है उसके बाद उसे कॉमर्शियल कर लिया तो टैक्सी में अलग से टैक्स लेते थे. अभी एक ही टैक्स पड़ेगा. हम लोगों ने अपनी समस्या रखी है कि टैक्स न बढ़ाया जाएगा. अगर एक परसेंट भी टैक्स बढ़ाया जाएगा तो हम लोग अपनी गाड़ियां खड़ी कर देंगे. फिलहाल अभी प्राइवेट बसों का किराया नहीं बढ़ेगा.
बिजनौर से आए ट्रांसपोर्टर अकरम का कहना है कि हमने जायज मांग रखी है कि हमारी बसें चलती हैं तो हमें छोटे-छोटे मार्गों पर परमिट जारी किया जाए. 30 किलोमीटर में रोडवेज भी है, ऑटो भी है, ई रिक्शा भी है. हमसे इतना टैक्स ले रहे हैं और हमें छोटे-छोटे रूट भी नहीं दे रहे हैं. हमने मांग की है कि हमसे सिटी बस वाला ही टैक्स लिया जाए. जो गाड़ी 30 किलोमीटर चल रही है वह भी 7400 प्रतिमाह टैक्स देती है जो रोजाना 500 किलोमीटर चल रही है वह भी उतना ही टैक्स दे रही है तो यह हमारे साथ अन्याय है. आज अधिकारियों के सामने यह बात रखी है तो उन्होंने विचार करने की बाद कही है. मुझे लगता है कि प्राइवेट ऑपरेटरों का भी परिवहन विभाग ख्याल रखेगा.
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