मेरठ: "सैनस्पेरिल्स ग्रीनलैंड्स" पढ़ने और सुनने में बेशक ये नाम विदेशी लगता हो, लेकिन है बिल्कुल देसी. जिसे शॉर्ट में सभी "एसजी" के नाम से जानते हैं. यह क्रिकेट उत्पाद बनाने वाली देश की बड़ी कंपनी मानी जाती है. यह वही कंपनी है, जिसके बल्ले से सुनील गावस्कर ने रनों की बौछार कर हर किसी को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया था. नये प्लेयर्स से लेकर काफी विदेशी खिलाड़ी भी इस ब्रांड के मुरीद हैं. आइए मिलते हैं एसजी के निर्माता पारस आनंद से, जो बताएंगे किस तरह से इनके उत्पाद देश में ही नहीं देश के बाहर के खिलाड़ियो को भी लुभाते हैं.
विदेशी प्लेयर भी करते है पसंद: क्रिकेट एक ऐसा खेल है, जो अब पूरे देश में खेला जाता है. मेरठ हालांकि कई वजहों से प्रसिद्ध है. लेकिन, खेल के उत्पाद भी यहां बड़े पैमाने पर तैयार होते हैं. खासतौर पर क्रिकेट के उत्पाद बनाने वाली एसजी कंपनी भी उन्हीं में से एक है, जो कि क्रिकेट प्लेयर्स को अपनी ओर आकर्षित करती है. इतना ही नहीं देश और विदेश तक इस कंपनी के उत्पाद पसंद किए जाते हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि अगर इस कंपनी का पूरा नाम (सैनस्पेरिल्स ग्रीनलैंड्स) लें तो शायद लोग इसे पहचान पाएं. लेकिन, शॉर्ट में एसजी सुनते ही क्रिकेट प्रेमी इसकी खुबियां गिनाने लग जाते हैं. कई बार तो ऐसा भी देखने में आया है कि इसके पूरे नाम को सुनकर कई लोग इसे विदेश की कंपनी समझ लेते हैं.
1931 में कंपनी की रखी थी नींव: गावस्कर से लेकर वर्तमान पीढ़ी के खिलाड़ियों को इस कंपनी के उत्पाद पसंद आते रहे हैं. कंपनी के सीईओ पारस आनंद ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि इस कंपनी की नींव उनके दादाजी ने 1931 में रखी थी. उस वक्त उनके दादाजी के सामने काफी मुश्किल दौर था, उनके माता पिता की मौत हो गई थी. जब वह छोटे थे तो उनके मामाजी ने ही उनकी परवरिश की थी. मामाजी के पास रहकर उनके दादाजी ने सियालकोट में 1920 से 1930 के बीच में बेहद ही मेहनत के साथ खेल उत्पादों के बारे में सीखा था. उनमें चाह थी एक ललक थी काम को सीखने की. इसके बाद उन्होंने और उनके छोटे भाई ने यह तय किया कि अब बिजनेस में ही आगे बढ़ना है. उन्होंने खेल उत्पादों को बनाने का अपना काम सियालकोट से शुरु किया.
इसे भी पढ़ें- पश्चिमी यूपी के युवाओं को नौकरी का मौका, नामचीन कंपनियां इंटरव्यू के आधार पर करेंगी चयन
1980 में सुनील गावस्कर थे ब्रांड एंबेसडर: सीईओ पारस आनंद ने बताया, भारत पाक विभाजन के वक्त काफी कठिनाइयां आई . दादाजी मेरठ आ गये और काम को फिर से शुरु किया.1950 में उस वक्त हॉकी बॉल, क्रिकेट बॉल, फुटबाॉल का सामान बनाना शुरु किया. जब उनके दादाजी ने यह महसूस किया कि इंडिया में आने बाद पाकिस्तान के साथ प्रतिस्पर्धा मुश्किल होगी. इसलिए उन्होंने हॉकी, फुटबाल के बाद क्रिकेट के उत्पाद बनाने शुरु किये. धीरे धीरे मेहनत रंग लाई और काम अच्छा चल गया. 1980 के दशक में उस वक्त के सबसे प्रसिद्ध खिलाड़ियो में शुमार रहे सुनील गावस्कर एस जी के ब्रांड एंबेसडर बन गये.
पारस आनंद ने बताया, कि वर्तमान में इंडिया जो टेस्ट मैच खेल रही थी, उनमें सबसे ज्यादा एसजी के उत्पाद पसंद किये जा रहे थे. टेस्ट मैच में 11 में 7 प्लेयर एसजी के ही बैट से खेल रहे थे. पारस आनंद बताते है कि कंपनी की इच्छा हमेशा ही रही है कि बस अच्छा प्रोडक्ट बनाना है, जो बैट्समैन हो वह रन बना पाए और जो बॉलर है, वह विकेट ले पाए. दोनों खुश हों.
भारतीय खिलाड़ी एसजी के बल्ले से खेलना करते हैं पसंद: हार्दिक पांड्या केएल राहुल ऋषभ पंत, संजू सैमसन, यशस्वी जयसवाल, ईशान किशन, बुमराह भी एस जी के साथ हैं, रविचंद्रन अश्विन, अक्षर पटेल समेत बहुत सारे प्लेयर हैं, जिन्हें आसानी से गिना नहीं जा सकता. जो कि इंडिया के लिए खेलते हैं. इंडिया के बाहर इंग्लैंड के सैम करन, ऑस्ट्रेलिया के लिए खेल रहे लियाम लिविंगस्टोन, साउथ अफ्रीका के स्टार खिलाड़ी ट्रिस्टन स्टब्स, राइली रूसो हैं. इनके अलावा वेस्टइंडीज श्रीलंका में प्लेयर्स हैं जो एसजी के बल्ले से खेलना पसंद करते हैं.
बेस्ट प्रोडक्ट बनना है लक्ष्य: पारस आनंद कहते हैं, कि बस यही लक्ष्य है कि अच्छे से अच्छा प्रोडक्ट बनाएं. खिलाड़ी तो साथ जुड़ते रहेंगे.पारस आनंद का मानना है कि वुड से बैट बनता है. बल्ले के निर्माण के लिए अच्छी विलो की आवश्यकता होती है, इसके लिए इंग्लिश विलो या कश्मीर विलो हमेशा क्रिकेट बैट के निर्माण के लिए सबसे बेशकीमती लकड़ी होती है. कम्पनी का प्रयास है कि ऐसा मटिरियल तैयार करें या मटिरियल को रियूज करें, कम्पनी का फोकस नए नए प्रयोग पर भी काफी है. ताकि बेहतर बेहतर उत्पाद दिया जा सके.एसजी विलो सिर्फ इंग्लैंड से लेती थी, अब यूरोप से ले रहे हैं, अमेरिका से भी बात कर रहें हैं. ऑस्ट्रेलिया से विलो के लिए बात चल रही है, होलेंड से भी विलो को इंपोर्ट किया है.