लखनऊ : राजधानी लखनऊ के बड़े मेडिकल संस्थानों और अस्पतालों में इलाज कराना चुनौती से कम नहीं है. ऐसे में दूर दराज से आने वाले मरीज अक्सर सही जानकारी के अभाव में भटकते रहते हैं और समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. ऐसे ही हालात से निपटने के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों ने ग्रुप बनाकर मरीजों की सेवा का बीड़ा उठाया है. छात्रों का यह ग्रुप अलग अलग अस्पतालों में पहुंच कर मरीजों को भर्ती कराने से लेकर उनकी कई तरह से मदद कर रहे हैं.
लखनऊ विश्वविद्यालय से पढ़ाई कर रहे निखिल सिंह ने बताया कि मरीज का तीमारदार मुहिम चलाने का सिर्फ एक उद्देश्य है कि हम उन लोगों का इलाज करवा सकें जो प्रदेश के दूसरे जिलों से हैरान परेशान होकर लखनऊ के अस्पतालों में इधर से उधर भटकते रहते हैं. लोहिया और केजीएमयू ट्रामा सेंटर में दूर दराज से आए मरीजों और उनके परिजनों को काफी असुविधा होती है. यहां उन्हें कई तरह की दुश्वारियों से जूझना पड़ता है. हम ऐसे ही मरीजों की मदद करते हैं और उन्हें इलाज दिलाते हैं. इसके तहत हम लोग काउंटर से पर्चा बनवाना, जरूरत पड़ने पर रक्तदान, छोटी छोटी जरूरत की चीजों की जानकारी और सामान मुहैया कराना हमारा काम है.
बीकॉम फाइनल ईयर की स्टूडेंट शिवानी सिंह ने बताया कि हमने लोहिया अस्पताल से मरीजों की मदद की शुरुआत की थी. इसके साथ ही हमने कई जिलों के गांवों का दौरा किया, जहां लोगों से इलाज संबंधी जानकारी साझा की. अब कई जिलों से लोगों सीधे संपर्क करते हैं और हम उन्हें जरूरी चीजों की जानकारी के साथ मरीज और उनके परिजन के साथ रहकर मदद करते हैं.
शिवम गुप्ता ने बताया कि पढ़ाई के साथ-साथ यह काम बहुत अच्छा लग रहा है. जब भी हम अस्पताल जाते थे तो देखते थे कि मरीज और उनके परिजन किस तरह से इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं. इसी समस्या को देखकर हमने साथियों के साथ मिलकर अपने नजदीकी अस्पताल लोहिया से शुरू मरीजों की मदद की शुरुआत की. इसके अलावा आसपास के गांवों में पंपलेट बंटवा कर मदद की ठानी. अब कई जिलों के लोग इलाज कराने के पहले हम लोगों से सलाह मशविरा लेते हैं.
छात्रा करन ने बताया कि मरीजों की मदद करने से काफी खुशी मिलती है. इसी बहाने दूसरों की मदद भी हो जाती है. कई बार देखते हैं कि अस्पताल में मरीज इलाज के लिए इधर-उधर भटकता रहते हैं, लेकिन उसे पता नहीं होता कि कहां से सही जानकारी मिलेगी. बस यहीं से हमारा काम शुरू होता है. हमारी मुहिम को देखकर कई अन्य लोग भी हमारा साथ देते हैं. फिलवक्त प्रदेशभर से हमारे पास फोन आते हैं और हम उनका इलाज लखनऊ के अलग-अलग अस्पतालों में कराने में मदद करते हैं.
सिविल अस्पताल में मरीज को दिखाने पहुंचे तीमारदार आकाश सिन्हा ने बताया कि आज से कुछ साल पहले मेरे पिताजी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब हो गई थी. उन्हें कैंसर था और यह तक नहीं पता था कि हम इलाज कहां कराएं. कई अस्पतालों में लेकर भटकते रहे, लेकिन किसी ने बताया तक नहीं कि कैंसर का इलाज कौन कर रहा है, विभाग कहां है. इधर-उधर इतना दौड़ाते रहे. फिलवक्त ये युवा बहुत ही नेक काम कर रहे हैं. अगर ऐसे ही हर कोई एक दूसरे की मदद करे तो किसी भी मरीज को इलाज लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी.