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अब व्यावसायिक दुकानों पर ही संचालित होगी मीट शॉप, इस वजह से भैरोंसिंह शेखावत के नाम पर नहीं रखा गया रोड का नाम - Nigam Big Decision - NIGAM BIG DECISION

Nigam Big Decision, जयपुर ग्रेटर नगर निगम की सोमवार को एग्जीक्यूटिव कमेटी की अहम बैठक हुई. इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए. वहीं, मीटिंग की शुरुआत में नालों की सफाई और निगम के कार्यक्रमों में स्थानीय जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाने पर चेयरमैन ने शिकायत दर्ज कराई. साथ ही अब शहर में कमर्शियल दुकानों पर मीट शॉप संचालित हो सकेगी. वहीं, हर मीट शॉप को नियमों की पालना करनी होगी.

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व्यावसायिक दुकानों पर संचालित होगी मीट शॉप (ETV BHARAT JAIPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 8, 2024, 8:31 PM IST

मेयर सौम्या गुर्जर (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर. शहर में अब कमर्शियल दुकानों पर ही मीट शॉप संचालित हो सकेगी. वहीं, हर मीट शॉप को नियमों की पालना करते हुए अपनी दुकान पर यह लिखना होगा कि यहां झटका मीट मिलता है या हलाल. करीब 20 महीने बाद हुई ग्रेटर नगर निगम की एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में आए इस एडिशनल एजेंडे को सर्वसम्मति से पास किया गया, ताकि किसी की भावनाएं आहत न हो. इसके साथ ही इस बैठक में फायर एनओसी और पट्टों के सरलीकरण पर भी सहमति बनी. हालांकि, अजमेरी गेट से निगम क्षेत्राधिकार तक टोंक रोड का नामकरण करते हुए भैरोंसिंह शेखावत मार्ग करने पर अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका.

ग्रेटर नगर निगम की सोमवार को एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग हुई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए. हालांकि, मीटिंग की शुरुआत में नालों की सफाई, सफाई व्यवस्था और निगम के कार्यक्रमों में स्थानीय जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाने पर चेयरमैन ने शिकायत दर्ज कराई. वहीं, बैठक में एक अतिरिक्त एजेंडा भी लाया गया. इसके बारे में जानकारी देते हुए महापौर सौम्या गुर्जर ने बताया कि ईसी की मीटिंग में सर्वसम्मति से एक अतिरिक्त एजेंडा लाया गया, जिसके तहत जहां भी अवैध मीट की शॉप संचालित हो रही है, उन पर कार्रवाई करने का फैसला लिया गया.

इसे भी पढ़ें - एक बार फिर अल्बर्ट हॉल के नाम बदलने की कवायद ने पकड़ा जोर, मेयर बोलीं- पहले जानेंगे जनता की राय

साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि जिन दुकानों के पास अब कमर्शियल पट्टा होगा, उन्हें ही मीट की दुकान खोलने का लाइसेंस दिया जाएगा. इसके अलावा मंदिर, स्कूल से दूरी और मीट की दुकान संचालित करने के तमाम नियमों की पालना नहीं करने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी. वहीं, अब हर मीट दुकान संचालक को अपनी दुकान पर लिखना होगा कि यहां हलाल का मीट मिलता है या झटके का. ताकि किसी की भी भावनाएं आहत न हो. उन्होंने कहा कि ये बहुत बड़ा फैसला है, जो अब तक नगर निगम में लेने की हिम्मत किसी ने नहीं की.

वहीं, एग्जीक्यूटिव कमेटी के सामने अजमेरी गेट से निगम क्षेत्राधिकार तक मुख्य टोंक रोड के नाम को बदल कर भैरोंसिंह शेखावत करने के प्रस्ताव पर अंतिम मोहर नहीं लग सकी. इस संबंध में महापौर ने कहा कि कमेटी सदस्यों की ओर से भैरोंसिंह शेखावत के नाम पर मुख्य मार्ग का नाम रखने के प्रस्ताव आए थे, लेकिन अजमेरी गेट से रामबाग सर्किल तक मुख्य मार्ग का नाम पहले ही सवाई राम सिंह के नाम से है. ऐसे में उन्हें भुलाया नहीं जा सकता है. उनका योगदान जयपुर के लिए अतुलनीय है. ऐसे में इसके अलावा यदि रोड का नामकरण नहीं हुआ है, उसका ही नामकरण किया जाएगा. किसी भी विरोधाभास स्थिति के अंदर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा. तथ्यात्मक पुष्टि के बाद में ही निर्णय लिया जाएगा. चूंकि भैरो सिंह शेखावत का पूरे भारत मे महत्वपूर्ण योगदान रहा है, ऐसे में उनके नाम के अनुरूप ही फैसला लिया जाएगा.

इसे भी पढ़ें - अब फाइल खोने का नहीं बनाया जा सकेगा बहाना, ई-फाइलिंग शुरू करने वाला पहला निकाय बना नगर निगम ग्रेटर

महापौर ने बताया कि जिन समिति चेयरमैनों ने अब तक अपनी कमेटियों की एक भी मीटिंग नहीं की उन्हें जल्द से जल्द समिति के कार्यों को गति देने के लिए मीटिंग करने के लिए भी कहा गया. वहीं, कार्यकारी समिति की बैठक में सबसे प्रमुख सफाई और मानसून की व्यवस्थाओं में सुधार करने के संबंध में प्रस्ताव दिया गया था. जिसे सर्वसम्मति से पास करते हुए इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए. मानसून के मद्देनजर व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए. लेकिन कुछ चेयरमैन ने ये शिकायत दर्ज कराई की मिट्टी के कट्टों में 25 किलो की बजाय कहीं 10 तो कहीं 15 किलो ही मिट्टी भरी जा रही है. इस पर महापौर ने सभी जनप्रतिनिधियों को अपने-अपने क्षेत्र में निरीक्षण करने खामियों को चिह्नित कर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं. साथ ही मिट्टी के कट्टों को लेकर जो शिकायत मिली है, उस पर रिपोर्ट भी तलब भी की गई है.

इधर, ईसी में फायर एनओसी का सरलीकरण का प्रस्ताव भी लाया गया, जिसमें जहां जरूरत है वहां दो महीने सर्वे कर जहां आवश्यकता है, वहां तत्काल फायर एनओसी जारी करने का फैसला लिया गया है. ताकि आगजनी की घटनाओं पर नकेल कसी जा सके और जो अधिकारी फायर एनओसी जारी करने में जानबूझकर के पेंडेंसी रख रहा है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही पट्टों के सरलीकरण का प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पास किया गया. इस संबंध में महापौर ने बताया कि बीते 9 महीने में सिर्फ 9 ही पट्टे जारी किए जा सके हैं, जो चिंता का विषय है. वहीं पट्टों की कई फाइलें जोन में ट्रांसफर करने के दौरान खो गई. ऐसे में जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. साथ ही पेंडिंग चल रहे 2700 पट्टों की फ़ाइल को एक महीने के अंदर निस्तारित किया जाएगा. और आने वाली सभी फाइलों को 15 दिन में निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं. पेंडेंसी रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी.

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महापौर ने बताया कि पार्कों को गोद देने का प्रस्ताव रखा गया है. इसे लेकर एक कमेटी भी गठित की गई है. जिनके माध्यम से गुण-अवगुण के आधार पर चर्चा करते हुए गोद देने का निर्णय लिया जाएगा. इससे विकास समिति, व्यवसायिक संगठन और एनजीओ जयपुर के साथ जुड़ाव होगा और नगर निगम का आर्थिक भार भी कम होगा. वहीं पर्यावरण के नजरिए से ग्रेटर नगर निगम अपने क्षेत्र में विकास समितियों और एनजीओ को साथ लेकर 11 लाख पौधे लगाएगा. खास बात ये है कि जहां पौधे लगाएंगे वहीं स्थानीय लोगों को पौधे को गोद लेने की जिम्मेदारी भी देंगे. ताकि उसके पेड़ बनने तक संभाल की जा सके.

वहीं, उन्होंने बताया कि ग्रेटर निगम में 2950 सफाई कर्मचारी कार्यरत है. जो क्षेत्र की दृष्टि से बहुत कम है. ऐसे में अब कोई भी सफाई कर्मचारी ऑफिस में लिपिक के तौर पर या किसी अन्य पद पर काम नहीं करेगा. वो सिर्फ जोन और वार्ड में सफाई का काम ही देखेगा. इसके साथ ही नालों की सफाई का काम है. जिस तरह के आंकड़े पिछली मीटिंग में रखे गए, यदि उनमें कोई कमी रहती है और यदि वो सही नहीं है, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान उन्होंने निगम के अधिकारियों की ओर से स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कार्यक्रमों में नहीं बुलाने की शिकायत पर महापौर ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है. विगत कांग्रेस सरकार के दौर से ये क्रम जारी है. कांग्रेस सरकार का जो रवैया था, ये उसी की बानगी है. लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई है. ईसी की शुरुआत में महापौर ने सभी सदस्यों और अधिकारियों को स्वच्छता की शपथ भी दिलाई.

मेयर सौम्या गुर्जर (ETV BHARAT JAIPUR)

जयपुर. शहर में अब कमर्शियल दुकानों पर ही मीट शॉप संचालित हो सकेगी. वहीं, हर मीट शॉप को नियमों की पालना करते हुए अपनी दुकान पर यह लिखना होगा कि यहां झटका मीट मिलता है या हलाल. करीब 20 महीने बाद हुई ग्रेटर नगर निगम की एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग में आए इस एडिशनल एजेंडे को सर्वसम्मति से पास किया गया, ताकि किसी की भावनाएं आहत न हो. इसके साथ ही इस बैठक में फायर एनओसी और पट्टों के सरलीकरण पर भी सहमति बनी. हालांकि, अजमेरी गेट से निगम क्षेत्राधिकार तक टोंक रोड का नामकरण करते हुए भैरोंसिंह शेखावत मार्ग करने पर अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका.

ग्रेटर नगर निगम की सोमवार को एग्जीक्यूटिव कमेटी की मीटिंग हुई, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए. हालांकि, मीटिंग की शुरुआत में नालों की सफाई, सफाई व्यवस्था और निगम के कार्यक्रमों में स्थानीय जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाने पर चेयरमैन ने शिकायत दर्ज कराई. वहीं, बैठक में एक अतिरिक्त एजेंडा भी लाया गया. इसके बारे में जानकारी देते हुए महापौर सौम्या गुर्जर ने बताया कि ईसी की मीटिंग में सर्वसम्मति से एक अतिरिक्त एजेंडा लाया गया, जिसके तहत जहां भी अवैध मीट की शॉप संचालित हो रही है, उन पर कार्रवाई करने का फैसला लिया गया.

इसे भी पढ़ें - एक बार फिर अल्बर्ट हॉल के नाम बदलने की कवायद ने पकड़ा जोर, मेयर बोलीं- पहले जानेंगे जनता की राय

साथ ही यह स्पष्ट किया गया कि जिन दुकानों के पास अब कमर्शियल पट्टा होगा, उन्हें ही मीट की दुकान खोलने का लाइसेंस दिया जाएगा. इसके अलावा मंदिर, स्कूल से दूरी और मीट की दुकान संचालित करने के तमाम नियमों की पालना नहीं करने वालों पर भी कार्रवाई की जाएगी. वहीं, अब हर मीट दुकान संचालक को अपनी दुकान पर लिखना होगा कि यहां हलाल का मीट मिलता है या झटके का. ताकि किसी की भी भावनाएं आहत न हो. उन्होंने कहा कि ये बहुत बड़ा फैसला है, जो अब तक नगर निगम में लेने की हिम्मत किसी ने नहीं की.

वहीं, एग्जीक्यूटिव कमेटी के सामने अजमेरी गेट से निगम क्षेत्राधिकार तक मुख्य टोंक रोड के नाम को बदल कर भैरोंसिंह शेखावत करने के प्रस्ताव पर अंतिम मोहर नहीं लग सकी. इस संबंध में महापौर ने कहा कि कमेटी सदस्यों की ओर से भैरोंसिंह शेखावत के नाम पर मुख्य मार्ग का नाम रखने के प्रस्ताव आए थे, लेकिन अजमेरी गेट से रामबाग सर्किल तक मुख्य मार्ग का नाम पहले ही सवाई राम सिंह के नाम से है. ऐसे में उन्हें भुलाया नहीं जा सकता है. उनका योगदान जयपुर के लिए अतुलनीय है. ऐसे में इसके अलावा यदि रोड का नामकरण नहीं हुआ है, उसका ही नामकरण किया जाएगा. किसी भी विरोधाभास स्थिति के अंदर जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा. तथ्यात्मक पुष्टि के बाद में ही निर्णय लिया जाएगा. चूंकि भैरो सिंह शेखावत का पूरे भारत मे महत्वपूर्ण योगदान रहा है, ऐसे में उनके नाम के अनुरूप ही फैसला लिया जाएगा.

इसे भी पढ़ें - अब फाइल खोने का नहीं बनाया जा सकेगा बहाना, ई-फाइलिंग शुरू करने वाला पहला निकाय बना नगर निगम ग्रेटर

महापौर ने बताया कि जिन समिति चेयरमैनों ने अब तक अपनी कमेटियों की एक भी मीटिंग नहीं की उन्हें जल्द से जल्द समिति के कार्यों को गति देने के लिए मीटिंग करने के लिए भी कहा गया. वहीं, कार्यकारी समिति की बैठक में सबसे प्रमुख सफाई और मानसून की व्यवस्थाओं में सुधार करने के संबंध में प्रस्ताव दिया गया था. जिसे सर्वसम्मति से पास करते हुए इन व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए. मानसून के मद्देनजर व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए. लेकिन कुछ चेयरमैन ने ये शिकायत दर्ज कराई की मिट्टी के कट्टों में 25 किलो की बजाय कहीं 10 तो कहीं 15 किलो ही मिट्टी भरी जा रही है. इस पर महापौर ने सभी जनप्रतिनिधियों को अपने-अपने क्षेत्र में निरीक्षण करने खामियों को चिह्नित कर दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं. साथ ही मिट्टी के कट्टों को लेकर जो शिकायत मिली है, उस पर रिपोर्ट भी तलब भी की गई है.

इधर, ईसी में फायर एनओसी का सरलीकरण का प्रस्ताव भी लाया गया, जिसमें जहां जरूरत है वहां दो महीने सर्वे कर जहां आवश्यकता है, वहां तत्काल फायर एनओसी जारी करने का फैसला लिया गया है. ताकि आगजनी की घटनाओं पर नकेल कसी जा सके और जो अधिकारी फायर एनओसी जारी करने में जानबूझकर के पेंडेंसी रख रहा है, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही पट्टों के सरलीकरण का प्रस्ताव भी सर्वसम्मति से पास किया गया. इस संबंध में महापौर ने बताया कि बीते 9 महीने में सिर्फ 9 ही पट्टे जारी किए जा सके हैं, जो चिंता का विषय है. वहीं पट्टों की कई फाइलें जोन में ट्रांसफर करने के दौरान खो गई. ऐसे में जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. साथ ही पेंडिंग चल रहे 2700 पट्टों की फ़ाइल को एक महीने के अंदर निस्तारित किया जाएगा. और आने वाली सभी फाइलों को 15 दिन में निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं. पेंडेंसी रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी.

इसे भी पढ़ें - पहला नगरी निकाय जहां बना शिशु पालना गृह, अब कामकाजी महिलाओं के काम के आड़े नहीं आएगा मातृत्व

महापौर ने बताया कि पार्कों को गोद देने का प्रस्ताव रखा गया है. इसे लेकर एक कमेटी भी गठित की गई है. जिनके माध्यम से गुण-अवगुण के आधार पर चर्चा करते हुए गोद देने का निर्णय लिया जाएगा. इससे विकास समिति, व्यवसायिक संगठन और एनजीओ जयपुर के साथ जुड़ाव होगा और नगर निगम का आर्थिक भार भी कम होगा. वहीं पर्यावरण के नजरिए से ग्रेटर नगर निगम अपने क्षेत्र में विकास समितियों और एनजीओ को साथ लेकर 11 लाख पौधे लगाएगा. खास बात ये है कि जहां पौधे लगाएंगे वहीं स्थानीय लोगों को पौधे को गोद लेने की जिम्मेदारी भी देंगे. ताकि उसके पेड़ बनने तक संभाल की जा सके.

वहीं, उन्होंने बताया कि ग्रेटर निगम में 2950 सफाई कर्मचारी कार्यरत है. जो क्षेत्र की दृष्टि से बहुत कम है. ऐसे में अब कोई भी सफाई कर्मचारी ऑफिस में लिपिक के तौर पर या किसी अन्य पद पर काम नहीं करेगा. वो सिर्फ जोन और वार्ड में सफाई का काम ही देखेगा. इसके साथ ही नालों की सफाई का काम है. जिस तरह के आंकड़े पिछली मीटिंग में रखे गए, यदि उनमें कोई कमी रहती है और यदि वो सही नहीं है, तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. इस दौरान उन्होंने निगम के अधिकारियों की ओर से स्थानीय जनप्रतिनिधियों को कार्यक्रमों में नहीं बुलाने की शिकायत पर महापौर ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है. विगत कांग्रेस सरकार के दौर से ये क्रम जारी है. कांग्रेस सरकार का जो रवैया था, ये उसी की बानगी है. लेकिन अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई है. ईसी की शुरुआत में महापौर ने सभी सदस्यों और अधिकारियों को स्वच्छता की शपथ भी दिलाई.

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