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अवैध निर्माण पर एमडीडीए का कार्रवाई, रिस्पना नदी के किनारे बने 59 घरों को तोड़ा गया - MDDA demolished 59 houses - MDDA DEMOLISHED 59 HOUSES

आज सोमवार 24 जून को देहरादून में एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) का बुलडोजर गरजा. एमडीडीए ने रिस्पना नदी के किनारे मलिन बस्तियों में बने 59 घरों पर बुलडोजर चलाया है. इस दौरान एमडीडीए के अधिकारी को लोगों के विरोध का सामना भी करना पड़ा.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 24, 2024, 3:30 PM IST

Updated : Jun 24, 2024, 7:08 PM IST

अवैध निर्माण पर एमडीडीए का कार्रवाई (ईटीवी भारत.)

देहरादून: एनजीटी (National Green Tribunal) के आदेश पर सोमवार 24 जून को देहरादून में फिर से अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई. इस बार एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) ने रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगाल और बीर सिंह बस्ती में कार्रवाई की. एमडीडीए ने इन इलाकों में 11 मार्च 2016 के बाद बने 59 घरों को ध्वस्त किया.

दरअसल, एसडीडीए ने काठ बंगला क्षेत्र के 125 घरों को चिन्हित किया गया, जिनमें से आज 59 घरों पर कार्रवाई की गई. इनमें से कुछ घर ऐसे भी हैं, जिनके पास 2016 से पहले के कागजात हैं और उन घरों के कागजात देखने के बाद उन पर रोक लगा दी गई. बता दें कि एनजीटी के निर्देश पर देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे साल 2016 के बाद किए गए निर्माण के सर्वे में कुल 524 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे. 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर,12 नगर पालिका मसूरी और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए थे.

दूसरी तरफ देहरादून नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया गया था, उस पर 412 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई थी. करीब एक महीना पहले देहरादून नगर निगम ने आपत्तियां की सुनवाई के बाद 74 अतिक्रमण की अंतिम सूची तैयार की थी और संशोधन के बाद चुना भट्टा, दीपनगर व बॉडीगार्ड बस्ती में कुल 64 निर्माण ध्वस्त किए गए थे. जबकि एमडीडीए की ओर से रिवर फ्रंट की जमीनों पर किए गए कब्जों को लेकर नोटिस तो काफी पहले भेज दिए गए थे, लेकिन आपत्तियों की जांच की जा रही थी और अब परीक्षण के बाद एमडीडीए की भूमि पर चिन्हित 250 अवैध निर्माण की सूची तैयार की गई है.

साथ ही एमडीडीए को आगामी 30 जून तक कार्रवाई कर एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. एमडीडीए की कार्रवाही का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध भी किया, लेकिन सरकार ने 2016 के बाद का आधार लिया है, वह ठीक नहीं है.

बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने घरों में बिजली पानी का कनेक्शन नहीं लगा पाए. उनके घरों के लिए अन्य प्रमाण पत्र के आधार पर छूट दी जानी चाहिए. वहीं, 2016 से पहले बने घरों के लिए विपक्ष ने नेताओं ने विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की और एक मकान के कागजात पूरे होने और नोटिस न आने पर कड़ा विरोध करते हुए घर को बचाने का काम किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घर को बचाने के लिए एमडीए अधिकारी और पुलिस प्रशासन से बातचीत कर उन्हें घर के कागजात दिखाएं और घर को टूटने से बचाया.

जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि प्रशासन ने इन क्षेत्रों में सर्वे के लिए साल 2016 से पहले बिजली पानी के कनेक्शन और अन्य सरकारी सुविधाओं को आधार बनाया है और इसी को देखते हुए इन सभी निर्माण को अवैध करार कर उनको तोड़ा जा रहा है. साथ ही बताया कि पहले नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की गई थी और अब एमडीडीए की तरफ से कार्रवाई की जा रही है.

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अवैध निर्माण पर एमडीडीए का कार्रवाई (ईटीवी भारत.)

देहरादून: एनजीटी (National Green Tribunal) के आदेश पर सोमवार 24 जून को देहरादून में फिर से अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई. इस बार एमडीडीए (मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण) ने रिस्पना नदी के किनारे काठ बंगाल और बीर सिंह बस्ती में कार्रवाई की. एमडीडीए ने इन इलाकों में 11 मार्च 2016 के बाद बने 59 घरों को ध्वस्त किया.

दरअसल, एसडीडीए ने काठ बंगला क्षेत्र के 125 घरों को चिन्हित किया गया, जिनमें से आज 59 घरों पर कार्रवाई की गई. इनमें से कुछ घर ऐसे भी हैं, जिनके पास 2016 से पहले के कागजात हैं और उन घरों के कागजात देखने के बाद उन पर रोक लगा दी गई. बता दें कि एनजीटी के निर्देश पर देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे साल 2016 के बाद किए गए निर्माण के सर्वे में कुल 524 अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे. 89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर,12 नगर पालिका मसूरी और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए थे.

दूसरी तरफ देहरादून नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया गया था, उस पर 412 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई थी. करीब एक महीना पहले देहरादून नगर निगम ने आपत्तियां की सुनवाई के बाद 74 अतिक्रमण की अंतिम सूची तैयार की थी और संशोधन के बाद चुना भट्टा, दीपनगर व बॉडीगार्ड बस्ती में कुल 64 निर्माण ध्वस्त किए गए थे. जबकि एमडीडीए की ओर से रिवर फ्रंट की जमीनों पर किए गए कब्जों को लेकर नोटिस तो काफी पहले भेज दिए गए थे, लेकिन आपत्तियों की जांच की जा रही थी और अब परीक्षण के बाद एमडीडीए की भूमि पर चिन्हित 250 अवैध निर्माण की सूची तैयार की गई है.

साथ ही एमडीडीए को आगामी 30 जून तक कार्रवाई कर एनजीटी के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है. एमडीडीए की कार्रवाही का स्थानीय लोगों ने जमकर विरोध भी किया, लेकिन सरकार ने 2016 के बाद का आधार लिया है, वह ठीक नहीं है.

बहुत से ऐसे लोग हैं, जो अपने घरों में बिजली पानी का कनेक्शन नहीं लगा पाए. उनके घरों के लिए अन्य प्रमाण पत्र के आधार पर छूट दी जानी चाहिए. वहीं, 2016 से पहले बने घरों के लिए विपक्ष ने नेताओं ने विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की और एक मकान के कागजात पूरे होने और नोटिस न आने पर कड़ा विरोध करते हुए घर को बचाने का काम किया. कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने घर को बचाने के लिए एमडीए अधिकारी और पुलिस प्रशासन से बातचीत कर उन्हें घर के कागजात दिखाएं और घर को टूटने से बचाया.

जिलाधिकारी सोनिका ने बताया कि प्रशासन ने इन क्षेत्रों में सर्वे के लिए साल 2016 से पहले बिजली पानी के कनेक्शन और अन्य सरकारी सुविधाओं को आधार बनाया है और इसी को देखते हुए इन सभी निर्माण को अवैध करार कर उनको तोड़ा जा रहा है. साथ ही बताया कि पहले नगर निगम ने अवैध अतिक्रमण पर कार्रवाई की गई थी और अब एमडीडीए की तरफ से कार्रवाई की जा रही है.

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Last Updated : Jun 24, 2024, 7:08 PM IST
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