नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों का वेतन और बकाये का भुगतान नहीं करने पर एमसीडी को एक बार फिर चेतावनी दी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अगर वर्तमान और पूर्व कर्मचारियों के बकाए वेतन और पेंशन का भुगतान सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के मुताबिक नहीं किया जाएगा तो हम दिल्ली नगर निगम को भंग करने का आदेश दे सकते हैं. मामले की अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी.
हाई कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली नगर निगम से त्रस्त आ चुके हैं. दिल्ली नगर निगम के कोर्ट में काफी ज्यादा केस लंबित है. अगर आप स्थिति ठीक नहीं कर सकते तो एक नगर निगम के बिना एक नया सिस्टम बनाना पड़ेगा. हाई कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों के बकाये के लिए हमने पहले भी आपको काफी समय दिया है. अगर आप कर्मचारियों का वेतन नहीं दे सकते हैं तो हम दिल्ली नगर निगम को भंग कर सकते हैं. संविधान में इसका प्रावधान है.
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सुनवाई के दौरान जब केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और नगर निगम ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करना शुरू किया तो कोर्ट ने कहा कि नगर निगम कहती है कि वह बकाये का भुगतान नहीं करेगी, केंद्र सरकार करेगी. लेकिन ये तो नगर निगम के कर्मचारी हैं. ये वे लोग नहीं हैं जिन्हें आतंकियों ने फिरौती के लिए बंधक बना रखा है. ये आपकी संवैधानिक जिम्मेदारी है. कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को दिल्ली नगर निगम कानून की धारा 490 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा. धारा 490 के तहत दिल्ली नगर निगम को भंग करने का प्रावधान है. तब दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम ने इस मसले को सुलझाने के लिए समय देने की मांग की. जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई 28 मार्च तक टाल दिया.
इसके पहले 9 फरवरी को भी कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम से नाराजगी जताते हुए कहा था कि अगर वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा तो हम एमसीडी को बंद करने का आदेश दे सकते हैं. कोर्ट ने साफ किया था कि वह दिल्ली नगर निगम के संसाधनों की बढ़ोतरी का इंतजार नहीं करेगा. कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन देना दिल्ली नगर निगम की वैधानिक जवाबदेही है. अगर दिल्ली नगर निगम इस स्थिति में नहीं है कि वह वेतन का भुगतान कर सके तो उसे इसके नतीजे भुगतने होंगे.
सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम की ओर से कहा गया था कि वह बकाये के भुगतान की कोशिश कर रहा है. दिल्ली नगर निगम ने कहा था कि सभी दिल्ली नगर निगम पर वेतन भुगतान का बकाया एक हजार करोड़ रुपये था जो घटकर चार सौ करोड़ रह गया है. निगम के वकील की इस दलील पर गौर करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि आप निगमायुक्त से कहिए कि कोर्ट कड़ी कार्रवाई करेगा. हम चार साल तक इंतजार नहीं करेंगे. आप चार हफ्ते में फैसला कीजिए.
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील सत्यकाम ने कहा था कि 24 जनवरी को दिल्ली सरकार ने दिल्ली नगर निगम के लिए 803 करोड़ रुपये स्वीकृत किया है जो नगर निगम को मिल चुके हैं. दरअसल दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और बकाये के भुगतान की मांग को लेकर कई याचिकाओं पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा है.
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