मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: भारत में दिवाली का पर्व बेहद धूमधाम से मनाया जाता है. यहां दिवाली के बाद भाईदूज तक कायस्थ समाज एक पुरानी परंपरा निभाता है. जिसके तहत वे अपने कलम और दवात को बंद रखते हैं. इस रिवाज के पीछे गहरी मान्यताएं जुड़ी हुई है. इसका संबंध भगवान श्रीराम और भगवान चित्रगुप्त की कहानी से जुड़ा हुआ है. यही वजह है कि कायस्थ और चित्रगुप्त समाज के लोग दिवाली की रात से भाईदूज तक कलम को नहीं छूते हैं. भाईदूज के दिन पूजा करने के बाद यह कलम और दवात का उपयोग करते हैं.
कलम दवात से जुड़ी मान्यता जानिए: कायस्थ समाज की मान्यता के मुताबिक भगवान श्रीराम जब 14 साल के वनवास के बाद लंका विजय कर अयोध्या लौटे, तो उनके राज्याभिषेक की तैयारियों में आर्यावर्त के ऋषि-मुनि, देवता, गंधर्व सभी को बुलाया गया. इस आयोजन में भूलवश चित्रगुप्त महाराज को निमंत्रण नहीं दिया गया. चित्रगुप्त जी, जिन्हें जन्म-मृत्यु और कर्मों का हिसाब रखने का कार्य सौंपा गया था. उन्होंने इसे अपना अपमान मानकर अपनी कलम को एक दिन के लिए बंद कर दिया.
पूरी दुनिया में मच गया हाहाकार: चित्रगुप्त महाराज के इस कदम से नए जन्म रुक गए और मृत्यु का लेखा जोखा बाधित हो गया, जिससे पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया. भगवान श्रीराम को जब इस भूल का एहसास हुआ. उसके बाद उन्होंने चित्रगुप्त महाराज से माफी मांगी और एक विशेष पूजा की. इस घटना के बाद से कायस्थ समाज भगवान चित्रगुप्त की पूजा के साथ दीपावली के बाद भाई दूज तक कलम को बंद रखने की परंपरा निभाने का काम करते हैं.
भाई दूज के दिन कायस्थ समाज चित्रगुप्त मंदिरों में जाकर विशेष पूजा अर्चना करता है. मनेंद्रगढ़ के एसडीएम कार्यालय के समीप बने चित्रगुप्त मंदिर में समाज के लोग एकत्रित होते हैं और हवन पूजा के बाद कलम-दवात की पूजा करते हैं. उसके बाद इसे उठाने की प्रक्रिया पूरी करते हैं: वीरेंद्र श्रीवास्तव, स्थानीय निवासी
भगवान चित्रगुप्त की इस पूजा से बुद्धि, वाणी, और लेखनी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह कायस्थ समाज के लिए विशेष महत्व रखता है: संजय श्रीवास्तव, स्थानीय निवासी
ऐसी मान्यता है कि कायस्थ समाज भगवान चित्रगुप्त के वंशज हैं. उनके हाथ में कलम, दवात, करवाल और कर्म की किताब होती है. इसी वजह से कायस्थों के लिए कलम-दवात सिर्फ एक कार्य करने का जरिया नहीं है. यह उनका आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक भी है. चित्रगुप्त जी की पूजा करने से व्यक्ति को विद्या का वरदान मिलता है और कलम की शक्ति प्राप्त होती है. जिससे उसके जीवन में बुद्धि का प्रकाश फैलता है.