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KGMU में MBBS छात्रों का शोध सफल, बच्चों में पहले से ही मालूम पड़ जाएंगे सेरेब्रल पाॅल्सी बीमारी के लक्षण - MBBS students in KGMU

केजीएमयू के MBBS छात्र शोधकर्ताओं ने सेरेब्रल पाॅल्सी से जुड़े प्रारंभिक (MBBS students in KGMU) बायोमार्कर की पहचान में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है. उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण बायोमार्कर की पहचान की है.

KGMU में MBBS छात्रों को मिली कामयाबी
KGMU में MBBS छात्रों को मिली कामयाबी (Photo credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 6, 2024, 8:09 AM IST

लखनऊ : केजीएमयू के एमबीबीएस छात्रों ने सेरेब्रल पॉल्सी से जुड़े शुरूआती बायोमार्कर को खोजने में कामयाबी हासिल की है. ये बायोमार्कर बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी के प्रारंभिक संकेत के रूप में काम करते हैं. इसका शोध बाल न्यूरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है. शोध का नेतृत्व एमबीबीएस छात्र विनय सुरेश ने किया.

प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक, टीम ने एक मेटा विश्लेषण के जरिए मातृ बायोमार्कर स्तरों और सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम के बीच महत्वपूर्ण संबंध की खोज की. जिससे पता चला कि पहले ट्राइमेस्टर में गर्भावस्था संबंधित प्लाज्मा प्रोटीन-ए का स्तर कम होना और पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर में बीटा-एचसीजी के स्तर में कमी से सेरेब्रल पॉल्सी का खतरा अधिक रहता है. ये निष्कर्ष गर्भावस्था देखभाल में अहम सुधार ला सकते हैं. सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम को कम कर सकते हैं.


डॉ. सुधीर ने बताया कि अध्ययन में सेरेब्रल पॉल्सी और गर्भावस्था के दौरान माताओं में पाए जाने वाले बायोमार्कस के स्तर के बीच संबंध को समझने का प्रयास करता है. मस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पॉल्सी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो बच्चों की मांसपेशियों की गतिविधियों को प्रभावित करता है. जिन माताओं के शरीर में पहले तिमाही के दौरान पीएपीपी-ए नामक प्रोटीन का स्तर कम था. उनमें जन्म लेने वाले बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी का जोखिम अधिक था. इसमें पांच अलग-अलग अध्ययन शामिल थे. जिनमें 1552 मामलों व अन्य तथ्यों का विश्लेषण किया गया.


अध्ययन टीम सदस्य : केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग और डॉ. हारदीप सिंह मल्होत्रा ने सहयोग किया. पीडियाट्रिक्स विभाग की डॉ. अरिशा आलम व एम्स दिल्ली की डॉ. शेफाली गुलाटी शामिल थीं. एमबीबीएस छात्र शिवा गुप्ता, यशिता खुलबे, वैभव जैन, मलविका जयन, मदीहा सुब्हान वलीद, नेहा जो, विवेक सैंकर, मुहम्मद आकिब शमिम, अरविंद पी गांधी, प्रियंका रॉय और मैनक बर्धन छात्रों ने सहयोग दिया.

यह भी पढ़ें : कैंसर मरीजों की संख्या पिछले साल की तुलना में 81 प्रतिशत बढ़ी, केजीएमयू में 12 फीसदी की बढ़ोतरी - Cancer Patients Increased in UP

यह भी पढ़ें : नीट 2024: केजीएमयू और बीएचयू में भी मिलेगा दाखिला, 14 अगस्त से शुरू होगी काउंसलिंग - NEET 2024 Admission

लखनऊ : केजीएमयू के एमबीबीएस छात्रों ने सेरेब्रल पॉल्सी से जुड़े शुरूआती बायोमार्कर को खोजने में कामयाबी हासिल की है. ये बायोमार्कर बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी के प्रारंभिक संकेत के रूप में काम करते हैं. इसका शोध बाल न्यूरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है. शोध का नेतृत्व एमबीबीएस छात्र विनय सुरेश ने किया.

प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह के मुताबिक, टीम ने एक मेटा विश्लेषण के जरिए मातृ बायोमार्कर स्तरों और सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम के बीच महत्वपूर्ण संबंध की खोज की. जिससे पता चला कि पहले ट्राइमेस्टर में गर्भावस्था संबंधित प्लाज्मा प्रोटीन-ए का स्तर कम होना और पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर में बीटा-एचसीजी के स्तर में कमी से सेरेब्रल पॉल्सी का खतरा अधिक रहता है. ये निष्कर्ष गर्भावस्था देखभाल में अहम सुधार ला सकते हैं. सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम को कम कर सकते हैं.


डॉ. सुधीर ने बताया कि अध्ययन में सेरेब्रल पॉल्सी और गर्भावस्था के दौरान माताओं में पाए जाने वाले बायोमार्कस के स्तर के बीच संबंध को समझने का प्रयास करता है. मस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पॉल्सी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो बच्चों की मांसपेशियों की गतिविधियों को प्रभावित करता है. जिन माताओं के शरीर में पहले तिमाही के दौरान पीएपीपी-ए नामक प्रोटीन का स्तर कम था. उनमें जन्म लेने वाले बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी का जोखिम अधिक था. इसमें पांच अलग-अलग अध्ययन शामिल थे. जिनमें 1552 मामलों व अन्य तथ्यों का विश्लेषण किया गया.


अध्ययन टीम सदस्य : केजीएमयू न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग और डॉ. हारदीप सिंह मल्होत्रा ने सहयोग किया. पीडियाट्रिक्स विभाग की डॉ. अरिशा आलम व एम्स दिल्ली की डॉ. शेफाली गुलाटी शामिल थीं. एमबीबीएस छात्र शिवा गुप्ता, यशिता खुलबे, वैभव जैन, मलविका जयन, मदीहा सुब्हान वलीद, नेहा जो, विवेक सैंकर, मुहम्मद आकिब शमिम, अरविंद पी गांधी, प्रियंका रॉय और मैनक बर्धन छात्रों ने सहयोग दिया.

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