बालोद : जिले के ग्राम मटिया पंचायत पर आश्रित ग्राम साल्हेटोला की महिलाएं ने गंभीर आरोप लगाए हैं. ये महिलाएं आज अचानक कलेक्ट्रेट पहुंची और कलेक्टर से मिलकर मनरेगा कार्य का भुगतान नहीं करने की शिकायत दर्ज कराई है.
पंचायत पर 5 दिन की मजदूरी रोकने के आरोप : महिलाओं ने कलेक्टर से मिलकर इस संबंध में शिकायत किया है. महिलाओं ने बताया, "पहले तो पंचायत द्वारा 10 लाख रुपए स्वीकृत करने और उसके हिसाब से काम देने की बात कही गई थी. हम लगातार काम कर रहे थे. अब जब हमने काम पूरा कर लिया तो अचानक पंचायत द्वारा काम बंद कर दिया गया. हमें यह कहा गया कि आप लोगों का मजदूरी हम नहीं दे पाएंगे. ऐसा कहकर 5 दिनों की मजदूरी रोक दी गई है."
"हमने 6 हफ्ते काम किया है और हमें अधिक काम कर देने की बात कहते हुए 5 दिन का भुगतान नहीं देने की बात कही जा रही है. हमें सारे दस्तावेज में साइन कराए गए हैं और पैसे पता नहीं पंचायत रखेंगे या फिर कुछ और किया जाएगा. हमें हमारे मेहनत का पैसा दिया जाना चाहिए." - मनीषा, मनरेगा मजदूर
महिलाओं ने धोखे का लगाया आरोप : मनरेगा में काम करने वाली धनेश्वरी ने कहा, "पहले पंचायत ने कहा था कि 10 लाख रुपए की ड्यूटी हुई है और उसका काम किया जाएगा. फिर अचानक उन्होंने कहा कि केवल चार लाख रुपए का ही काम किया जाना है. ऐसे में हम सभी महिलाएं ठगा हुआ महसूस कर रही हैं. हम आश्रित गांव के लोग हैं, शायद इसीलिए हमसे दूजा भाव करते हुए काम नहीं दिया जा रहा है. अपने पंचायत वाले गांव में सरपंच सचिव द्वारा काम दिया जा रहा है."
अधिकारियों ने मानी पंचायत की गलती : ग्राम मटिया पंचायत के सरपंच रोशन लाल उईके ने बताया, "सामुदायिक डबरी निर्माण के लिए 3 लाख 35 हजार की स्वीकृति हुई थी और उसी का काम चल रहा था. जहां पर पैसे कम पड़े और महिलाएं राशि से अधिक काम करने लगी. जिसकी वजह से अब इनके लिए कोई हल निकाला जाएगा."
"पंचायत से गलती हुई है और महिलाओं का जो भुगतान अटका हुआ है, उसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा." - कृष्ण कुमार नायक, मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी
आश्रित ग्राम साल्हेटोला की महिलाओं ने कलेक्टर से अंतिम सप्ताह में किए गए काम के पैसे नहीं देने शिकायत की है. परेशान महिलाएं अपने मेहनत का पैसा मांगने के लिए कलेक्ट्रेट पहुंची थी. अब देखना होगा कि आखिर कब इन महिलाओं को उनके मेहनत का भुगतान किया जाता है.