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मासुलपानी पंचायत की महिलाएं पानी से हो रही मालामाल, जानिए कैसे

कांकेर जिले की मासुलपानी ग्राम पंचायत को जल संरक्षण के क्षेत्र में नवाचार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर श्रेष्ठ पंचायतों की श्रेणी में दूसरा स्थान मिला है.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

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कांकेर: बस्तर अब बदल रहा है. लोग जागरूक होकर अपने क्षेत्र को नए आयाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. इसका उदाहरण है कांकेर जिले का गांव मासुलपानी, जहां ग्रामीण महिलाओं और प्रशासनिक अमले ने मिलकर गांव में जल संरक्षण के लिए ऐसा काम किया कि इनकी तारीफ अब पूरे देश में हो रही है. जल संरक्षण करने वाले देश भर के जिलों में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले का मासुलपानी गांव दूसरे नंबर पर है. मासुलपानी बेस्ट विलेज पंचायत कैटेगरी में दूसरे नंबर पर है. इस गांव का चयन 5वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार के लिए हुआ है. 22 अक्टूबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु खुद सम्मानित करेंगी.

गांव में पर्याप्त पानी होने से पलायन रुका: जल संरक्षण का काम मासुलपानी और इसके आसपास के 5 ग्राम पंचायत देवगांव, धौराभांठा, बादल, दबेना और सुरही में भी हुआ है. इन गांव में पहले केवल मानसून में ही किसान एक बार धान की फसल लेते थे. इसके बाद गांव खाली हो जाता था, क्योंकि 75 प्रतिशत परिवार काम की तलाश में पलायन कर ईंट भट्ठा, बोर गाड़ी, राइस मिलों में काम करने चले जाते थे.

अब गांव में पर्याप्त पानी होने से गांवों के लोग धान की डबल फसल के साथ सब्जी, दलहन तिलहन, मिलेट्स, मछली और झींगा पालन कर समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. यही कारण है कि इन गांव में पलायन तो थम ही गया है, साथ ही आसपास के क्षेत्रों में इन गांवों से सब्जी और मछली बिकने जा रही है.

मासुलपानी पंचायत को जल संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रपति अवॉर्ड (ETV Bharat Chhattisgarh)

महिलाओं ने कैसे किया ये कमाल: साल 2014 में सबसे पहले मासुलपानी में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ. यहां सफलता मिली तो इसी पैटर्न पर आसपास के भी गांव में जल संरक्षण की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. यहां भी बारिश का पानी गांव से लगी पहाड़ियों से तेजी से बहकर नदी नालों में मिल जाता था. मासुलपानी की तरह सुरही में भी 29 ब्रशवुड, 3 लूस बोल्डर स्ट्रक्चर तो 2 सीपीटी बनाए गए हैं. देवगांव में पानी रोकने 8 लूस बोल्डर स्ट्रक्चर, 3 गेबियन, 12 गुल्ली प्लग, एक सीपीटी बनाने के साथ 2 स्टॉपडैम की मरम्मत की गई है. 277 डबरियों के साथ मासुलपानी में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काफी काम शुरू हुए.

Masulpani Panchayat
मछली पकड़कर महिलाएं बन रही लखपति (ETV Bharat Chhattisgarh)

पानी बचाने गांव के लोगों को किया गया जागरूक: गांव की महिलाओं ने बताया कि गांव में पानी की समस्या ना हो इसे लेकर जागरूक करने का प्रयास किया गया. उन्हें पानी के सर्वोत्तम उपयोग के तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हुए तरह तरह के कार्यक्रम चलाए गए. लोगों में जागरूकता आई. गांव में अब भरपूर पानी से ना सिर्फ खेती कर रहे हैं बल्कि मछली पालन कर लाखों रुपये कमा रहे हैं.

Masulpani Panchayat
मासुलपानी गांव को जल संरक्षण अवॉर्ड (ETV Bharat Chhattisgarh)

गांव में समूह बनाने से पहले ही समूह बनाया. गांव में प्लानिंग की गई. जल संरक्षण के लिए गांव का दौरा कर चोटी से घाटी तक पानी संरक्षण के लिए फाइल बनाई गई. इस फाइल को जनपद में जमा किया गया.- हेमलता कश्वयप, स्थानीय, मासुलपानी

जल संरक्षण से मछली पालन बना गांव का प्रमुख व्यवसाय: गांव की सुलोचना साहू बताती है कि साल में मछली पालन से एक घर से 80 से 85 हजार रुपये की कमाई हो जाती है. गांव में 167 तालाब है. लगभग 90 गांव के तालाब हैं और 50 से 60 सरकारी तालाब हैं. निजी और सरकारी तालाबों में मछली पालन कर हर परिवार के लोगों की लाखों रुपयों की कमाई हो रही है. गांव की अन्य महिलाएं बताती हैं कि जल संरक्षण से ना सिर्फ मछली पालन किया जा रहा है बल्कि धान के साथ ही दलहन तिलहन की फसल भी ली जा रही है. इसके अलावा बकरी पालन, सुअर पालन से भी लाभ कमा रहे हैं.

प्रशासन के सहयोग से गांव बना आत्मनिर्भर: ग्राम पंचायत में 161 जल शेड संरचनाएं बनाई गई, जिनमें 99 फार्म तालाब शामिल हैं. इसके अलावा साल 2023 के दौरान पंचायत द्वारा 39 नंबर ब्रशवुड, एक सामुदायिक तालाब डी सिल्टिंग, 2 खोदे गए कुएं, 2 भूमिगत बांध, 3 गेबियन और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया है. इन कार्यान्वयनों के कारण लोगों ने केवल भूजल पर निर्भर रहने के बजाय, सुरक्षात्मक सिंचाई के माध्यम से सतही जल का उपयोग करना शुरू कर दिया है.

कांकेर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर (ETV Bharat Chhattisgarh)

कांकेर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने बताया कि ग्राम देवगांव के पास ग्राम पंचायत मासुलपानी को जल संरक्षण और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय स्तर का सम्मान देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 22 अक्टूबर को देंगी. यह कांकेर जिले के साथ साथ प्रदेश और देश के लिए बड़े गौरव की बात है. कलेक्टर ने कहा कि शासन की कोई भी योजना तब तक सफल नहीं होती, जब तक लोगों की उसमें सक्रिय सहभागिता न हो. मासुलपानी में सामुदायिक तालाब निर्माण, गहरीकरण, कुआं निर्माण, वॉटर शेड, कूप खनन, गेबियन निर्माण सहित विभिन्न जल संरक्षण के उपाय किए गए, जिसमें ग्रामीणों ने अपनी भूमिका निभाई.

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गांव में पर्याप्त पानी होने से पलायन रुका: जल संरक्षण का काम मासुलपानी और इसके आसपास के 5 ग्राम पंचायत देवगांव, धौराभांठा, बादल, दबेना और सुरही में भी हुआ है. इन गांव में पहले केवल मानसून में ही किसान एक बार धान की फसल लेते थे. इसके बाद गांव खाली हो जाता था, क्योंकि 75 प्रतिशत परिवार काम की तलाश में पलायन कर ईंट भट्ठा, बोर गाड़ी, राइस मिलों में काम करने चले जाते थे.

अब गांव में पर्याप्त पानी होने से गांवों के लोग धान की डबल फसल के साथ सब्जी, दलहन तिलहन, मिलेट्स, मछली और झींगा पालन कर समृद्धि की ओर बढ़ रहे हैं. यही कारण है कि इन गांव में पलायन तो थम ही गया है, साथ ही आसपास के क्षेत्रों में इन गांवों से सब्जी और मछली बिकने जा रही है.

मासुलपानी पंचायत को जल संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रपति अवॉर्ड (ETV Bharat Chhattisgarh)

महिलाओं ने कैसे किया ये कमाल: साल 2014 में सबसे पहले मासुलपानी में जल संरक्षण का काम शुरू हुआ. यहां सफलता मिली तो इसी पैटर्न पर आसपास के भी गांव में जल संरक्षण की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है. यहां भी बारिश का पानी गांव से लगी पहाड़ियों से तेजी से बहकर नदी नालों में मिल जाता था. मासुलपानी की तरह सुरही में भी 29 ब्रशवुड, 3 लूस बोल्डर स्ट्रक्चर तो 2 सीपीटी बनाए गए हैं. देवगांव में पानी रोकने 8 लूस बोल्डर स्ट्रक्चर, 3 गेबियन, 12 गुल्ली प्लग, एक सीपीटी बनाने के साथ 2 स्टॉपडैम की मरम्मत की गई है. 277 डबरियों के साथ मासुलपानी में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काफी काम शुरू हुए.

Masulpani Panchayat
मछली पकड़कर महिलाएं बन रही लखपति (ETV Bharat Chhattisgarh)

पानी बचाने गांव के लोगों को किया गया जागरूक: गांव की महिलाओं ने बताया कि गांव में पानी की समस्या ना हो इसे लेकर जागरूक करने का प्रयास किया गया. उन्हें पानी के सर्वोत्तम उपयोग के तरीकों को अपनाने के लिए प्रेरित करते हुए तरह तरह के कार्यक्रम चलाए गए. लोगों में जागरूकता आई. गांव में अब भरपूर पानी से ना सिर्फ खेती कर रहे हैं बल्कि मछली पालन कर लाखों रुपये कमा रहे हैं.

Masulpani Panchayat
मासुलपानी गांव को जल संरक्षण अवॉर्ड (ETV Bharat Chhattisgarh)

गांव में समूह बनाने से पहले ही समूह बनाया. गांव में प्लानिंग की गई. जल संरक्षण के लिए गांव का दौरा कर चोटी से घाटी तक पानी संरक्षण के लिए फाइल बनाई गई. इस फाइल को जनपद में जमा किया गया.- हेमलता कश्वयप, स्थानीय, मासुलपानी

जल संरक्षण से मछली पालन बना गांव का प्रमुख व्यवसाय: गांव की सुलोचना साहू बताती है कि साल में मछली पालन से एक घर से 80 से 85 हजार रुपये की कमाई हो जाती है. गांव में 167 तालाब है. लगभग 90 गांव के तालाब हैं और 50 से 60 सरकारी तालाब हैं. निजी और सरकारी तालाबों में मछली पालन कर हर परिवार के लोगों की लाखों रुपयों की कमाई हो रही है. गांव की अन्य महिलाएं बताती हैं कि जल संरक्षण से ना सिर्फ मछली पालन किया जा रहा है बल्कि धान के साथ ही दलहन तिलहन की फसल भी ली जा रही है. इसके अलावा बकरी पालन, सुअर पालन से भी लाभ कमा रहे हैं.

प्रशासन के सहयोग से गांव बना आत्मनिर्भर: ग्राम पंचायत में 161 जल शेड संरचनाएं बनाई गई, जिनमें 99 फार्म तालाब शामिल हैं. इसके अलावा साल 2023 के दौरान पंचायत द्वारा 39 नंबर ब्रशवुड, एक सामुदायिक तालाब डी सिल्टिंग, 2 खोदे गए कुएं, 2 भूमिगत बांध, 3 गेबियन और अन्य संरचनाओं का निर्माण किया गया है. इन कार्यान्वयनों के कारण लोगों ने केवल भूजल पर निर्भर रहने के बजाय, सुरक्षात्मक सिंचाई के माध्यम से सतही जल का उपयोग करना शुरू कर दिया है.

कांकेर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर (ETV Bharat Chhattisgarh)

कांकेर कलेक्टर नीलेश क्षीरसागर ने बताया कि ग्राम देवगांव के पास ग्राम पंचायत मासुलपानी को जल संरक्षण और संवर्धन के लिए राष्ट्रीय स्तर का सम्मान देश की राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू 22 अक्टूबर को देंगी. यह कांकेर जिले के साथ साथ प्रदेश और देश के लिए बड़े गौरव की बात है. कलेक्टर ने कहा कि शासन की कोई भी योजना तब तक सफल नहीं होती, जब तक लोगों की उसमें सक्रिय सहभागिता न हो. मासुलपानी में सामुदायिक तालाब निर्माण, गहरीकरण, कुआं निर्माण, वॉटर शेड, कूप खनन, गेबियन निर्माण सहित विभिन्न जल संरक्षण के उपाय किए गए, जिसमें ग्रामीणों ने अपनी भूमिका निभाई.

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