जगदलपुर: जगदलपुर की शहर सरकार में सियासी घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. जगदलपुर नगर निगम में विकास के मुद्दे पर राजनीतिक घमासान छिडा़ हुा है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों के बीच सियासी तलवारें खिच चुकी हैं. इस क्रम में दोनों दलों एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. मंगलवार को एमआईसी के 9 सदस्यों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया. सभी सदस्यों ने बस्तर के कलेक्टर को अपना त्याग पत्र सौंपा है.
इस्तीफा देने वाले सदस्यों का बीजेपी पर आरोप: इस्तीफा देने वाले सदस्यों ने बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाया है. जगदलपुर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शहर जिला अध्यक्ष सुशील मौर्य ने कहा कि भाजपा और महापौर सफिरा साहू विकास कार्यों में लापरवाही बरतने का काम कर रही हैं. उन्होंने बीजेपी और सफिरा साहू पर कई गंभीर आरोप भी लगाए.
"हमारे सुझावों को नहीं माना जा रहा है. शहर में विकास कार्यों की अनदेखी की जा रही है. इसी वजह से हमने इस्तीफा दिया है.": सुशील मौर्य , जगदलपुर कांग्रेस जिला अध्यक्ष
क्या है कांग्रेसी पार्षदों का तर्क: कांग्रेसी पार्षदों ने भी इस इस्तीफे पर अपनी राय रखी है. कांग्रेसी पार्षद उदय नाथ जेम्स ने कहा कि शहर में अमृत मिशन योजना में कई भ्रष्टाचार हुए हैं. इस कारण से यह योजना निगम क्षेत्र में सफल नहीं हुई है. पूरे वार्डों में कार्य अधूरा पड़ा है. उदय नाथ जेम्स ने जगदलपुर नगर निगम के आयुक्त पर भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि आयुक्त कांग्रेसी पार्षदों को काम नहीं करने दे रहे हैं.
बीजेपी ने किया पलटवार: जगदलपुर नगर निगम में हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम पर बीजेपी ने भी बयान जारी किया है. बीजेपी नेता संतोष पांडेय ने कहा कि महापौर के बीजेपी में प्रवेश होने से खुद ही एमआईसी भंग हो जाएगी. अब कांग्रेस की तरफ से आरोप लगाया गया है कि शहर में अमृत मिशन योजना का काम पूरा नहीं हुआ. जिसके कारण करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद शहरवासियों को योजना के तहत साफ पेयजल नहीं मिल पा रहा. इस पर भाजपा का कहना है कि संबंधित विभाग के सभापति की जिम्मेदारी अब तक तो कांग्रेस के पार्षद ही निभा रहे थे. ऐसे में जो भ्रष्टाचार हुआ इसकी जिम्मेदारी भी कांग्रेस की ही होगी. इस तरह जगदलपुर नगर निगम में सियासी घमासान का अंत कैसे होगा यह देखने वाली बात होगी.