गौरेला पेंड्रा मरवाही: मरवाही के सेमरदर्री गांव में डेढ़ माह के बच्चे की टीका लगने के बाद मौत हो गई. मंगलवार को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत मासूम को गांव के ही आंगनबाड़ी केन्द्र में टीका लगाया गया गया. जानकारी के मुताबिक बच्चे को पल्स पोलियों के साथ ओ.पी.वी, रोटा वायरस वैक्सीन, पेंटावेलेंट, आई.पी.वी, पी.सी.वी मिलाकर कुल पांच टीका लगाया गया. इसके बाद बच्चे को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. 24 घंटे बाद मासूम की मौत हो गई.
टीकाकरण से मासूम की मौत: प्रदेश भर में गर्भवती महिला और जीरो से पांच साल तक के बच्चे के लिए राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम चलाया जाता है. लेकिन जब जीवन रक्षक टीकाकरण जानलेवा होने लगे, तो टीकाकरण कार्यक्रम में सवाल उठना लाजिमी है. मामला गौरेला पेंड्रा मरवाही के दूरस्थ वनग्राम सेमरदर्री का है. यहां आदिवासी परिवार की प्रमिलाबाई ने अपने डेढ़ माह के बच्चे को गांव के ही आंगनबाड़ी केंद्र में टीका लगवाने लाई थी. टीका लगाने के बाद बच्चे की तबियत बिगड़ने लगी और 24 घंटे बाद उसकी मौत हो गई.
"सामान्यत: टीकाकरण के बाद बच्चों को मामूली बुखार आता है. जिसके लिए हम उन्हें दवा दिए थे. हालांकि उन लोगों ने दवा नहीं दिया. इसके बाद हमारे पास लाए थे. हमने जिला चिकित्सालय रेफर कर दिया. टीकाकरण से मौत नहीं हुई है." -रमेश कुमार, टीकाकरण करने वाला, आरएचओ
टीकाकरण के बाद बच्चे की बिगड़ने लगी तबियत: बच्चे की मां ने इस बारे में कहा, "मेरे बच्चे को मंगलवार को टीका लगाया गया था. इसके बाद उसको तकलीफ होने लगी. उसको सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. इसके बाद उसको अस्पताल में ले गए. इलाज के दौरान मौत हो गई." वहीं, बच्चे के पिता का कहना है कि, " टीकाकरण के कारण मेरे बच्चे की मौत हो गई. मंगलवार को उसे टीका लगाया गया था. इसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई. अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई."
"टीकाकरण से का कोई कनेक्शन नहीं है. शायद बच्चों को निमोनिया था. मौत क्यों हुई? परीक्षण के बाद ही बता पाएंगे.ये जांच का विषय है." - डॉ. के.के सोनी, जिला टीकाकरण, अधिकारी
बता दें कि पिछले एक सप्ताह में टीकाकरण से ये तीसरी मौत है. इससे पहले बिलासपुर में दो मासूमों की मौत टीकाकरण के बाद हो चुकी है. वहीं, इस मामले में चिकित्सक और अधिकारी का कहना है कि मौत का कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है.