रेवाड़ी: वीरवार को सेना की टुकड़ी सैनिक का सामान लेकर रेवाड़ी के खंडोड़ा गांव पहुंची. उन्हें देखते ही सैनिक के परिजन फूट-फूट कर रोने लगे. करीब डेढ़ साल पहले सिक्किम की ब्रदांग नदी में सैनिक बह गया था. जिसके बाद से उसका कोई सुराग नहीं लगा. अब सेना की टुकड़ी 39 वर्षीय अरुण कुमार का सामान लेकर बावल के खंडोड़ा गांव पहुंची और उनका सामान परिजनों को सौंपा. सेना अधिकारियों ने बताया कि अरुण कुमार को शहीद का दर्जा दिया गया है.
रेवाड़ी के शहीद अरुण को श्रद्धांजलि: जैसे ही सेना की टुकड़ी शहीद अरुण कुमार का सामान लेकर खंडोड़ा गांव पहुंची, तो उनकी पत्नी, मां और परिजन बिलख-बिलख कर रोने लगे. इसके बाद सेना की टुकड़ी ने उनका ढांढस बंधाया और उनकी फोटो पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.
करीब डेढ़ साल से थे लापता: बावल के खंडोड़ा गांव के अरुण कुमार सेना की 18 महार रेजिमेंट में हवलदार के पद पर कार्यरत थे. उसकी ड्यूटी गंगटोक सिक्किम के पहाड़ पर हजारों फीट ऊंचाई पर लगी हुई थी. 4 अक्टूबर 2023 की रात को जब सेना की टुकड़ी विश्राम कर रही थी. अचानक बादल फट गया. जिस के कारण ब्रदांग नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया. पहाड़ से बड़ी-बड़ी चट्टानें टूट कर गिरने लगी.
नदी में बह गए थे 23 जवान: कुछ चट्टानों ने सेना की टुकड़ी को भी अपनी चपेट में ले लिया. इस टुकड़ी में शामिल 23 जवान बहकर लापता हो गए. इनमें अरुण कुमार भी शामिल थे. सेना के अथक प्रयासों के बावजूद केवल 5 जवानों के शव प्राप्त हुए और 18 सैनिकों का कोई सुराग नहीं मिला. अब सभी लापता सैनिकों को सेना ने शहीद का दर्जा प्रदान करने की घोषणा की है.
परिजनों को मिलेगी सरकारी सुविधाएं: सेना यूनिट के अधिकारी जितेन्द्र सिंह ने कहा कि वो शहीद अरुण के सामान और कपड़ों को लेकर आए हैं. परिजनों को सरकार द्वारा सभी सुविधाएं दी जाएंगी. इस मौके पर सेना की टुकड़ी ने शहीद अरुण के फोटो के सामने शस्त्र झुकाकर फूल अर्पित किए. इस मौके पर बावल के विधायक डॉक्टर कृष्ण कुमार व जिला प्रशासन की ओर से तहसीलदार अशोक कुमार ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी.
शहीद के बेटे भी सेना में भर्ती: सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण भी उपस्थित थे. शहीद अरुण की पत्नी अनिता, दो बेटे अमित व मंजीत और उनकी 72 वर्षीय माता अंगूरी देवी अरुण का सामान और कपड़े देख कर खुद को रोक नहीं पाए और फूट-फूट कर रोने लगे. अरुण के दोनों ही बेटे हाल ही में अग्निवीर बनकर सेना में भर्ती हुए हैं. अरुण के पिता स्वर्गीय अभय सिंह भी सेना में कार्यरत थे.