कुल्लू: 20 अक्टूबर को देशभर में सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखेंगी. हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत रखती हैं और शाम को चंद्र देव का दर्शन करने के बाद इस व्रत को खोलती हैं. इस दौरान व्रती छलनी पर दीया रखकर चंद्रमा का दर्शन करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं.
आचार्य दीप कुमार ने कहा, "पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश ने चंद्रमा को कलंकित होने का श्राप दिया था. जिसके चलते करवा चौथ पर चंद्रमा के दर्शन सीधे तौर पर नहीं किए जाते हैं. ऐसे में चंद्र देव के दर्शन के लिए महिलाएं छलनी का प्रयोग करती है और उसमें दीया भी रखती है. दीया जलाने का एक विशेष कारण यह भी है कि दीया अंधकार को दूर करता है और नकारात्मकता को हटाकर सकारात्मक भी लाता है. इसके साथ यह कलंक के दोष को खत्म करने का भी काम करता है. इसके लिए शास्त्रों में छलनी में दीया रखने का विधान रखा गया है".
आचार्य दीप कुमार ने कहा, "इसके अलावा मान्यता है कि छलनी पर दीया रखकर चंद्रमा के दर्शन करने से पति का भाग्य उदय होता है और उनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है. इसके अलावा कहा गया है कि चंद्रमा को छलनी से देखने पर सुहागन महिला को जीवन में कोई कलंक नहीं लगता और उसके पति का भी भाग्योदय होता है. धर्म शास्त्रों में भी लिखा गया है कि अगर पूजा अनुष्ठान में कोई भूल होती है तो दीया जलाने से उस भूल से मुक्ति मिलती है और पूजा के दौरान किसी प्रकार का दोष भी नहीं लगता है".
उन्होंने बताया कि पुराणों में भी कथा है कि जब चंद्रमा को श्राप मिला था तो चंद्रमा ने भगवान की शंकर से इसका उपाय मांगा था. तब भगवान शिव ने कहा था कि किसी भी मास की चतुर्थी के दिन जो भी व्यक्ति उसके दर्शन करेगा तो उसे कलंक का सामना करना पड़ेगा. लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन जो चंद्रमा के दर्शन करेगा. उसके सभी कष्ट खत्म हो जाएंगे. ऐसे में करवा चौथ के दिन महिलाएं चंद्रमा को देखकर किसी व्रत का पारण करती हैं.
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