सीकर : त्रिग्रही योग में पितरों के निमित्त दान पुण्य तथा तर्पण के लिए खास मार्गशीर्ष मास की अमावस्या शनिवार को शनिश्वरी पितृ अमावस्या के रूप में मनाई गई. ज्योतिषविदों के मुताबिक देवकार्य अमावस्या एक दिसंबर को रहेगी. ग्रहों का एक राशि में होना इस दिन को खास बना रहा है.
पंडित खेताराम शास्त्री ने बताया कि वृश्चिक राशि में सूर्य, बुध और चंद्रमा एक साथ रहेंगे. इससे त्रिग्रही योग का निर्माण होगा. आगामी दिनों में देश की साख मजबूत होने के साथ ही शीतलहर का प्रकोप बढ़ेगा. कई फलदायी परिणाम भी मिलेंगे. गोशालाओं में भक्त गोसेवा के साथ ही भक्त दान पुण्य कर तीर्थों में आस्था की डुबकी लगाएंगे. मंदिरों में विशेष झांकियां सजेंगी. सूर्य और बुध एक साथ होने से बुधादित्य योग बनेगा. यह योग बुद्धिमत्ता, विवेक, और प्रशासनिक क्षमताओं को बढ़ाएगा. चंद्रमा-बुध के एक साथ होने को चंद्र-बुध युति कहा जाता है. इस योग के बनने से जातक के जीवन में बुद्धिमत्ता और संचार कौशल में इजाफा होने के साथ ही व्यापारिक सफलता भी मिलती है.
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अमावस्या पर करें ये कार्य : अगहन अमावस्या की दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान, श्राद्ध, तर्पण आदि शुभ कर्म करना चाहिए. पितरों के लिए धन, अनाज और गर्म कपड़ों का दान भी करें. स्नान, दान के लिए सूर्योदय कालीन अमावस्या को सर्वश्रेष्ठ बताया है. इस अमावस्या का महत्व कार्तिक अमावस्या से कम नहीं है. अमावस्या शनिवार सुबह 10.30 से शुरू होकर रविवार सुबह 11.51 बजे तक अमावस्या तिथि रहेगी. यह अमावस्या तिथि प्रत्येक धार्मिक कार्य के लिए अक्षय फल देने वाली मानी गई है. सूर्य, बुध और चंद्र की युति विद्या और बुद्धि के साथ-साथ स्वस्थ शारीरिक संरचना और स्वस्थ मन का विकास करती है.