लखनऊ : एक दिन पहले चंडीगढ़ से असम जा रही डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के आठ डिब्बे उत्तर प्रदेश के गोंडा गोरखपुर रेलखंड पर मोतीगंज और झिलाही रेलवे स्टेशन के बीच पटरी से उतर गए. इस दर्दनाक हादसे में चार लोगों की अब तक मौत हो चुकी है और करीब तीन दर्जन जख्मी हैं. इस बड़े हादसे ने एक बार फिर से ट्रेनों से सफर करने वाले यात्रियों में डर पैदा कर दिया है. लगातार हो रहे बड़े ट्रेन हादसे यात्रियों के लिए यात्रा और रेलवे प्रशासन के लिए अपनी छवि बचाने के लिए चिंता का सबब बनते जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में तो जैसे हादसों की ही ट्रेनें दौड़ती हों. पिछले 10 साल की अगर बात की जाए तो यूपी में कई बड़े रेल हादसे हो चुके हैं और इनमें सैकड़ों लोग अपनी जान गवां चुके हैं.
रेलवे प्रशासन लोको पायलट को समय-समय पर ट्रेनिंग देता है, जिससे ट्रेन हादसों पर नियंत्रण स्थापित किया जा सके. कई बार हादसे लोको पायलट की लापरवाही से भी हुए, लेकिन कई हादसे ऐसे भी हुए जब लोको पायलट की कोई गलती ही नहीं निकली, हालांकि दुर्घटनाएं हुईं तो रेलवे की छवि को नुकसान जरूर हुआ. यात्रियों में डर का माहौल सा पैदा होने लगा कि वह ट्रेन से सफर करने के बजाय कम दूरी का सफर अपने ही साधनों से पूरा कर लें. दरअसल, पटरी पर दौड़ने वाली ट्रेन जब बेपटरी होती है तो बड़े हादसे हो जाते हैं और असमय ही लोग काल के गाल में समा जाते हैं. यूपी में अगर ट्रेन हादसों की बात की जाए तो अब तक यहां से गुजरने वाली कई ट्रेनें दुर्घटनाओं का शिकार हो चुकी हैं और सैकड़ों लोग अपनी जान गवां चुके हैं.
अब तक यूपी में हुईं ट्रेन दुर्घटनाएं |
- 2014 में अक्टूबर में गोरखपुर में लखनऊ बरौनी और कृषक एक्सप्रेस में आमने-सामने की टक्कर हुई थी. इस घटना में 14 लोगों की मृत्यु हो गई थी. |
- साल 2016 के दिसंबर माह में कानपुर के पास अजमेर सियालदह एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, इसमें भी दो यात्रियों की मौत हो गई थी और 80 से ज्यादा यात्री घायल हुए थे. |
- साल 2016 के नवंबर माह में कानपुर के पास ट्रेन दुर्घटना हुई, इसमें डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई और सैकड़ों यात्री बुरी तरह घायल हुए थे. |
- साल 2017 के नवंबर माह में चित्रकूट में वास्को-द-गामा पटना एक्सप्रेस डिरेल हो गई थी, इसमें तीन लोगों की मौत हुई थी और नौ लोग घायल हुए थे. |
- साल 2017 के अप्रैल माह में रामपुर के पास लखनऊ राज्यरानी एक्सप्रेस के आठ कोच पटरी से उतर गए थे, हालांकि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था, लेकिन 24 लोग जख्मी हो गए थे. |
- साल 2017 के अगस्त माह में मुजफ्फरनगर में उत्कल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी, इसमें 23 लोगों की मौत हुई थी और 97 लोग घायल हो गए थे. |
- साल 2023 के नवंबर माह में इटावा के पास दिल्ली दरभंगा सुपरफास्ट एक्सप्रेस में आग लग गई थी. |
- साल 2023 के अक्टूबर माह में सुहेलदेव सुपरफास्ट एक्सप्रेस प्रयागराज में पटरी से उतर गई थी. |
- साल 2023 के सितंबर माह में मथुरा में ईएमयू ट्रेन पटरी से उतरकर स्टेशन के प्लेटफार्म पर जा पहुंची थी. राहत की बात ये रही कि इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था. |
रेलवे के लिए भी फिक्र की बात : रेलवे से जुड़े जानकार मानते हैं कि लगातार बढ़ती ट्रेन दुर्घटनाएं रेलवे प्रशासन के लिए भी चिंता का सबब बन रही हैं. रेलवे को भी अपनी छवि की फिक्र सता रही है. अगर यात्री ही ट्रेन से सफर करने से दूरी बना लेंगे तो फिर ट्रेन के संचालन का मतलब ही कहां रह जाएगा. रेल प्रशासन को अपनी टेक्नोलॉजी में और ज्यादा सुधार करना होगा, जिससे ट्रेनें बेपटरी होने से बचें और लोगों का विश्वास ट्रेन से सफर करने के प्रति बना रहे.
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