रांची: सियासी जंग में किस्मत आजमाने उतरे आपराधिक छवि के वैसे प्रत्याशियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं जिन्होंने अपने ऊपर दर्ज केस को समाचार पत्रों के माध्यम से सार्वजनिक नहीं किया है. इस बार के लोकसभा चुनाव में झारखंड की सभी 14 सीटों पर कुल 244 प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे हैं, जिसमें से 68 आपराधिक छवि के प्रत्याशी हैं, जिनपर कोई ना कोई या तो केस दर्ज है या न्यायालय में ट्रायल चल रहा है. इन प्रत्याशियों में से दो दर्जन से अधिक ऐसे प्रत्याशी पाए गए हैं, जिन्होंने अखबार में अपने उपर दर्ज केस को अखबार के माध्यम से सार्वजनिक नहीं किया है. खास बात यह है कि इस सूची में बड़े राजनीतिक दल से लेकर छोटे दल के प्रत्याशी भी शामिल हैं.
चुनाव आयोग को भेजा गया रिपोर्ट, आरओ के माध्यम से भेजी जा रही है नोटिस- सीईओ
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद चुनाव आयोग ने ऐसे प्रत्याशियों के लिए दिशा निर्देश जारी कर रखा है. इस बार भी लोकसभा चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के द्वारा दाखिल शपथपत्र के बाद उन्हें अपने क्षेत्र के सर्वाधिक प्रसारित हिन्दी और अंग्रेजी अखबार में इसे प्रकाशित कराना था. मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने इसे गंभीरता से लेते हुए भारत निर्वाचन आयोग को संबंधित प्रत्याशियों के खिलाफ कार्रवाई करने संबंधी रिपोर्ट भेज दी है. इसके बाद भारत निर्वाचन आयोग आरोपी प्रत्याशियों के खिलाफ कारवाई करने जा रही है.
जानकारी के मुताबिक ऐसे सभी प्रत्याशियों को जिला स्तर से आरओ के माध्यम से नोटिस भेजकर जवाब मांगा जा रहा है. एक महीने के अंदर ऐसे प्रत्याशियों को जवाब देना होगा नहीं तो चुनाव आयोग अग्रतर कार्रवाई करने को विवश हो जाएगा. प्रावधान के अनुसार ऐसे अभ्यर्थियों को चुनाव आयोग डिबार भी कर सकता है.
राजनीतिक दलों में आयोग की कार्रवाई से खलबली
इन सबके बीच राजनीतिक दलों में चुनाव आयोग के कड़े रुख से खलबली मच गई है. बीजेपी नेता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि अगर इस तरह की लापरवाही प्रत्याशी द्वारा की गई है तो नि:संदेह चिंता की बात है. किसी भी सूरत में आयोग के दिशा निर्देश का उल्लंघन करना उचित नहीं है. इधर झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि चुनाव आयोग कार्रवाई जरूर करे, मगर इसमें समानता जरूर होनी चाहिए. ऐसा ना हो कि किसी दल विशेष के प्रत्याशी पर कार्रवाई हो जाए और कोई ऐसे ही छूट जाए.
बहरहाल चुनावी सरगर्मी के बीच आयोग की इस कार्रवाई से झारखंड के सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गयी है कि आखिर कौन कौन इसके जद में है. वहीं आयोग ऐसे प्रत्याशियों के नाम को अभी सार्वजनिक करने से परहेज कर सस्पेंस बनाकर रखा है.
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