कोटा. सरकार उच्च शिक्षा में सुधार के लिए लगातार कॉलेज खोले जा रही है, लेकिन नए कॉलेजों में ना तो फैकल्टी है, ना हीं वहां पर सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं. इसका खमियाजा विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. हाड़ौती संभाग में ऐसा ही हालत लगातार बने हुए हैं. हालात ये हैं कि आने वाले महीने में परीक्षाएं शुरू होने वाली है, लेकिन वहां स्टाफ मौजूद नहीं है. कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां पर केवल एक ही शिक्षक के भरोसे काम चल रहा है.
ऐसे हालातों में परीक्षाएं करना भी उनके लिए टेडी खीर साबित होने वाला है. वहीं कई कॉलेज तो ऐसे हैं, जहां पर शिक्षक डेपुटेशन पर लगाया हुआ है. ऐसे में परीक्षाएं आयोजन करवाना सवालों के घेरे में हैं. इनमें से कई कॉलेज ऐसे हैं, जहां पर परीक्षा के केंद्र भी आते हैं, लेकिन एक ही शिक्षक के जिम्मे पेपर लाने से लेकर परीक्षा संपन्न करवाने की जिम्मेदारी होगी. इन परीक्षा केंद्रों पर पूरे एक महीने तक चलने वाली परीक्षा में हजारों विद्यार्थियों के केंद्र हैं.
60 फीसदी पद खाली, बारां में महज 20 फीसदी भरे: पूरे संभाग के 45 कॉलेज में 1053 शिक्षकों की स्वीकृति है. इसकी जगह पर महज 441 शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि 612 शिक्षक के पद खाली हैं. बारां जिले की बात की जाए, तो 17 कॉलेज में 253 शिक्षकों के पद हैं, लेकिन 1997 खाली हैं. महज 56 पर ही शिक्षक कार्य कर रहे हैं. इसी तरह से झालावाड़ जिले में 9 सरकारी कॉलेज में 182 पदों में 65 पर ही शिक्षक लगे हुए हैं. जबकि 113 पद खाली है. बूंदी जिले की बात की जाए, तो सात कॉलेज में 180 में से 63 शिक्षक की कार्यरत हैं, 111 पद रिक्त चल रहे हैं. कोटा जिले की बात की जाए, तो 12 कॉलेज में 438 फैकल्टी में से 257 पर शिक्षक लगे हुए हैं, जबकि 191 पद खाली हैं.
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सहायक निदेशक कार्यालय के भी यही हाल: जैसे हाल कॉलेज के हैं, वैसे ही हालात कोटा में स्थित सहायक निदेशक कार्यालय के हैं. जिनको कोटा संभाग के सभी कॉलेज की मॉनिटरिंग करने का जिम्मा है. इसके तहत 45 कॉलेज और 160 निजी कॉलेज की मॉनिटरिंग करनी है, लेकिन वहां पर महज सहायक निदेशक के पद पर डॉ रघुराज सिंह परिहार है और एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी है. यहां तक बाबू और कोई कंप्यूटर ऑपरेटर भी नहीं है. उच्च शिक्षा के आयुक्तालय से लेकर निजी और सरकारी कॉलेज और यूनिवर्सिटी सभी पत्राचार लगातार होता है, लेकिन उसे पत्राचार को करने के लिए प्रिंटर और कंप्यूटर ऑपरेटर व बाबू भी नहीं है.
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शिक्षक को छुट्टी देना तो नामुमकिन: सहायक निदेशक डॉ रघुराज सिंह परिहार का कहना है कि कॉलेज में खाली पद कई जगह पर हैं. कुछ जगह पर एकमात्र शिक्षक ही लगा हुआ है. ऐसे में परीक्षा करवाने की जिम्मेदारी उन्हें शिक्षक के ऊपर रहती है, परिवार में शादी हो या अन्य आयोजन, या फिर कोई घटना दुर्घटना उसे छुट्टी मिलना नामुमकिन हो जाता है. ऐसी जगह पर दूसरे को अचानक से व्यवस्था करके लगाना भी मुश्किल है. हालांकि परीक्षाओं का आयोजन करने के लिए बीएड या एमएड किए हुए लोगों की मदद लेकर परीक्षा संपन्न करवाई जाती है.
बारां जिले के कई ऐसे कॉलेज जहां पर एक ही कर्मचारी:
- केलवाड़ा गर्ल्स और जनरल कॉलेज की जिम्मेदारी एक ही फैकल्टी पर है.
- शाहबाद बॉयज में तीन वर्किंग है, लेकिन शाहबाद गर्ल्स कॉलेज में कोई भी नहीं है. ऐसे में डेपुटेशन पर बारां से शिक्षक लगा रखा है.
- सीसवाली कॉलेज में भी बारां से एक शिक्षक को लगाया हुआ है.
- छबड़ा गर्ल्स और जनरल कॉलेज में एक ही शिक्षक है. दोनों कॉलेज की जिम्मेदारी है.
- अटरू में गर्ल्स व जनरल कॉलेज में एक ही शिक्षक है. दोनों का संचालन उसे ही करना पड़ रहा है. जबकि यहां पर लगे हुए चार स्टाफ को दूसरी जगह डेपुटेशन किया हुआ है.
- इनमें से कई टीचर ऐसे हैं, जिनके पास डीडीओ पावर नहीं है. ऐसे में उन्हें बारां में जाकर वेतन भुगतान करवाने पड़ते हैं.
- नाहरगढ़ में बारां से एक डेपुटेशन पर शिक्षक है.
- एग्रीकल्चर कॉलेज बारां और शाहाबाद में दोनों में बारां से ही डेपुटेशन पर है.
- क्लास लगाना तो दूर की बात, यहां पर कॉलेज में प्रशासनिक कार्य ही पूरे नहीं हो पाते हैं.
- प्रेम सिंह सिंघवी राजकीय महाविद्यालय छीपाबड़ौद में सबसे ज्यादा समस्या है. यहां 2016 में कॉलेज को प्राइवेट से सरकारी कर दिया गया है, लेकिन पुराना स्टाफ काम कर रहा है. उनका वेतन भुगतान नहीं हुआ है. यहां नया स्टाफ भी नहीं लगाया गया है.
झालावाड़ के हाल भी कुछ ऐसे ही हालात:
- झालावाड़ पीजी कॉलेज में 80 पोस्ट हैं, लेकिन 28 का स्टाफ ही वहां पर कर रहे थे. 52 शिक्षकों के पद रिक्त हैं.
- कन्या कॉलेज झालावाड़ में 19 पद हैं, लेकिन 7 पर कार्यरत हैं, शेष 12 खाली पड़े हुए हैं.
- पिड़ावा में 8 जनों की स्वीकृति है, लेकिन चार काम कर रहे हैं और चार पद रिक्त हैं.
- लॉ कॉलेज झालावाड़ में 16 पद हैं, 8 शिक्षक हैं और आठ पद खाली हैं.
- खानपुर में 8 पोस्ट हैं, इनमें से तीन वर्किंग हैं और 5 खाली हैं.
- भवानी मंडी में 27 पदों की जगह 12 काम कर रहे हैं, जबकि 15 खाली हैं.
- चौमहला में आठ पद हैं, लेकिन एक ही स्टाफ लगा हुआ है.
- मनोहर थाना में 8 जनों का स्टाफ है, लेकिन तीन ही वर्किंग हैं.
- असनावर में 13 पोस्ट हैं, लेकिन झालावाड़ कॉलेज से ही वहां पर व्यवस्था की जा रही है.
बूंदी जिले के हिंडोली कृषि विश्वविद्यालय में सभी 30 पद खाली:
- बूंदी जिले के हिंडोली में कृषि महाविद्यालय में स्वीकृत सभी 30 पद खाली हैं, केवल हिंडोली महाविद्यालय के जरिए उसे संचालित करवाया जा रहा है.
- हिंडोली, नैनवा और तालेड़ा राजमेस के जरिए खोले गए हैं. वहां पर कांट्रेक्चुअल शिक्षक लगाकर पढ़ाई का कार्य करवाया जा रहा है.
- नैनवा में स्थित राजकीय भगवान आदिनाथ मारवाड़ी जैन महाविद्यालय को 2016 में सरकारी बना दिया गया, लेकिन स्टाफ प्राइवेट ही काम कर रहा है. जिन्हें वेतन नहीं मिल रहा है.
कोटा के इटावा में महज एक ही शिक्षक:
- रामगंज मंडी में 7 पद खाली हैं. 11 में से चार शिक्षक कार्यरत हैं.
- इटावा में 8 पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक ही कार्य कर रहे है, जबकि यहां से दो जनों को डेपुटेशन पर दूसरी जगह लगाया हुआ है.
- कैनवास में 7 में से 2 पद खाली हैं. सांगोद में 9 में से 4, कोटा के कॉमर्स कॉलेज में 39 में से 27 और गर्ल्स कॉमर्स में 25 में से 17 पद खाली हैं.