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पुष्कर मेला 2024: मूंछ हो तो राम सिंह राजपुरोहित जैसी, क्रिकेट मैच में विदेशी हुए चित तो रशिया की ओलगा ने जीती साफा प्रतियोगिता

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले में देसी और विदेशी पर्यटकों के लिए कई प्रयोगिताओं की आयोजन किया गया.

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेला
पुष्कर मेले में मूंछ प्रतियोगिता (ETV Bharat Ajmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 21 hours ago

अजमेर : अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला 2024 अपने परवान पर है. मेले में पर्यटन और पशुपालन विभाग की ओर से प्रतिदिन देसी-विदेशी और स्थानीय लोगों के उत्साह को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिता और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. बुधवार को पुष्कर के मेला मैदान में देसी और विदेशी पर्यटकों के बीच क्रिकेट मैच खेला गया. वहीं, शान-ए-मूछ प्रतियोगिता ने भी सबका मन मोह लिया. राजस्थान की लोक संस्कृति से विदेशियों को जोड़ने के उद्देश्य से रखी गई साफा और तिलक प्रतियोगिता भी शानदार रही. यह प्रतियोगिता केवल विदेश पर्यटकों के लिए रखी गई थी.

बुधवार को पुष्कर के मेला मैदान में स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के बीच फिल्म लगान स्टाइल में क्रिकेट मैच खेला गया. इस मैच में दोनों टीमों की ओर से आठ-आठ प्रतिभागियों ने भाग लिया. विदेशी पर्यटकों की टीम ने 34 रन बनाकर स्थानीय टीम के सामने छोटा स्कोर रखा, जिसको दो विकेट गंवाकर स्थानीय टीम ने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लिया. मैच का पर्यटकों ने जमकर आनंद लिया.

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेला (ETV Bharat Ajmer)

इसे भी पढ़ें- पुष्कर पशु मेले में ढोल की थाप पर नाचते घोडों को देख दंग रह रह गए देसी और विदेशी पर्यटक

शान-एवं-मुछ प्रतियोगिता बनी विशेष आकर्षण : मेला मैदान में पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित शान-ए-मूंछ प्रतियोगिता हमेशा से विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण रहती है. इस प्रतियोगिता में पाली जिले के मेलावास निवासी राम सिंह राजपुरोहित की मूंछों की शान अव्वल रही. द्वितीय स्थान पर शाहपुरा के इशाक खान और तृतीय स्थान पर जोधपुर के हिमांशु गुर्जर रहे.

युवा अपनी परंपरा और संस्कृति से जुड़े रहें : मूंछ प्रतियोगिता में विजेता रहे पाली जिले के मेलावास निवासी राम सिंह राजपुरोहित मेडिकल डिपार्टमेंट में सरकारी नौकरी में है. राजपुरोहित ने बताया कि 20 वर्ष पहले उन्होंने अपनी मूंछों को बढ़ाना शुरू किया था. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक तरीके से ही वह अपने मूंछों की देखभाल करते हैं. उनका मानना है कि मूछें हमारे राजस्थान की आन-बान-शान का प्रतीक है. यहां राजा महाराजा मूंछ रखा करते थे. मूंछ रखने वाले का रौब और इज्जत भी होती थी, लेकिन आजकल युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं. युवाओं को यही संदेश है कि वह अपनी जड़ें, अपनी संस्कृति और परंपराओं को न भूलें और इसको आगे बढ़ाने के लिए सजग हों. उन्होंने बताया कि पुष्कर मेले में वह तीसरी बार जीते हैं. राम सिंह राजपुरोहित के अलावा अन्य प्रतिभागी भी कम नहीं थे. एक प्रतिभागी ने तो अपनी लंबी मुछों से पुष्कर का नाम लिख दिया. परंपरागत वेशभूषा में मूंछ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को देखकर विदेशी पर्यटक भी दंग रह गए. विदेशी पर्यटकों के लिए मूंछ प्रतियोगिता खास आकर्षण का केंद्र रही.

इसे भी पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला 2024: कबड्डी मैच में स्थानीय टीम से भिड़े विदेशी मेहमानों की टीम

साफा और तिलक प्रतियोगिता : विदेश से भारत आने वाले पर्यटकों को पुष्कर मेला काफी पसंद आता है. यहां की संस्कृति को महसूस करने के लिए विदेशी सैलानी आते हैं. लिहाजा विदेशी सैलानियों को यहां अपनापन लगे और सतरंगी संस्कृति को वे करीब से जान सकें, इसलिए पर्यटन विभाग ने विदेशी पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए कई प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम आयोजित किए हैं. तिलक और साफा राजस्थानी संस्कृति का हिस्सा है. पुष्कर के मेला मैदान में साफा और तिलक प्रतियोगिता केवल विदेशी सैलानियों के लिए रखी गई. इस प्रतियोगिता में विदेशी सैलानियों ने जमकर आनंद लिया. प्रतियोगिता में रशिया की ओलगा नोसिकोवा ने स्पेन के इनरीक्यू सिल्वा को साफा बांध कर तिलक लगाने में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि दूसरे स्थान पर इंग्लैंड की लूसी और जैक एवं तीसरे स्थान पर स्पेन के जोली और अहा रहे.

पुष्कर मेले में आना शानदार अनुभव : आयरलैंड से आई मइड बताती है कि "यह मेरा सौभाग्य है कि मैं यहां पुष्कर मेले में हूं. यहां सभी मेरे लिए आश्चर्यचकित हैं. मैं सभी को कहना चाहूंगी कि वह भी पुष्कर मेले में जरूर आएं." जर्मनी से आई क्रिस्टीना बताती हैं कि "पुष्कर वह दूसरी बार आई हैं, लेकिन मेले का उनका अनुभव पहला है. मैं पुष्कर छुट्टियां मनाने आई हूं. मैं बेंगलुरु में पढ़ रही हूं. यहां सब कुछ बहुत अच्छा है. मूंछ प्रतियोगिता मुझे बहुत पसंद आई और मैंने खूब आनंद लिया." आयरलैंड से आई एन रेगमंड ने बातचीत में बताया कि 2005 में वह पहली बार भारत आई थी और अब 19 साल बाद जिस उम्मीद के साथ आई वह पूरी हो गई. यहां कमाल का अनुभव रहा है. खासकर मूंछ प्रतियोगिता शानदार रही है. यहां बहुत मजेदार समय गुजर रहा है. निश्चित ही यह मेरे लिए जीवन का सुंदर अनुभव है.

अजमेर : अंतरराष्ट्रीय पुष्कर मेला 2024 अपने परवान पर है. मेले में पर्यटन और पशुपालन विभाग की ओर से प्रतिदिन देसी-विदेशी और स्थानीय लोगों के उत्साह को बढ़ाने के उद्देश्य से विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिता और विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. बुधवार को पुष्कर के मेला मैदान में देसी और विदेशी पर्यटकों के बीच क्रिकेट मैच खेला गया. वहीं, शान-ए-मूछ प्रतियोगिता ने भी सबका मन मोह लिया. राजस्थान की लोक संस्कृति से विदेशियों को जोड़ने के उद्देश्य से रखी गई साफा और तिलक प्रतियोगिता भी शानदार रही. यह प्रतियोगिता केवल विदेश पर्यटकों के लिए रखी गई थी.

बुधवार को पुष्कर के मेला मैदान में स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के बीच फिल्म लगान स्टाइल में क्रिकेट मैच खेला गया. इस मैच में दोनों टीमों की ओर से आठ-आठ प्रतिभागियों ने भाग लिया. विदेशी पर्यटकों की टीम ने 34 रन बनाकर स्थानीय टीम के सामने छोटा स्कोर रखा, जिसको दो विकेट गंवाकर स्थानीय टीम ने लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लिया. मैच का पर्यटकों ने जमकर आनंद लिया.

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेला (ETV Bharat Ajmer)

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शान-एवं-मुछ प्रतियोगिता बनी विशेष आकर्षण : मेला मैदान में पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित शान-ए-मूंछ प्रतियोगिता हमेशा से विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण रहती है. इस प्रतियोगिता में पाली जिले के मेलावास निवासी राम सिंह राजपुरोहित की मूंछों की शान अव्वल रही. द्वितीय स्थान पर शाहपुरा के इशाक खान और तृतीय स्थान पर जोधपुर के हिमांशु गुर्जर रहे.

युवा अपनी परंपरा और संस्कृति से जुड़े रहें : मूंछ प्रतियोगिता में विजेता रहे पाली जिले के मेलावास निवासी राम सिंह राजपुरोहित मेडिकल डिपार्टमेंट में सरकारी नौकरी में है. राजपुरोहित ने बताया कि 20 वर्ष पहले उन्होंने अपनी मूंछों को बढ़ाना शुरू किया था. उन्होंने बताया कि प्राकृतिक तरीके से ही वह अपने मूंछों की देखभाल करते हैं. उनका मानना है कि मूछें हमारे राजस्थान की आन-बान-शान का प्रतीक है. यहां राजा महाराजा मूंछ रखा करते थे. मूंछ रखने वाले का रौब और इज्जत भी होती थी, लेकिन आजकल युवा पाश्चात्य संस्कृति की ओर आकर्षित हो रहे हैं. युवाओं को यही संदेश है कि वह अपनी जड़ें, अपनी संस्कृति और परंपराओं को न भूलें और इसको आगे बढ़ाने के लिए सजग हों. उन्होंने बताया कि पुष्कर मेले में वह तीसरी बार जीते हैं. राम सिंह राजपुरोहित के अलावा अन्य प्रतिभागी भी कम नहीं थे. एक प्रतिभागी ने तो अपनी लंबी मुछों से पुष्कर का नाम लिख दिया. परंपरागत वेशभूषा में मूंछ प्रतियोगिता में भाग लेने वाले प्रतिभागियों को देखकर विदेशी पर्यटक भी दंग रह गए. विदेशी पर्यटकों के लिए मूंछ प्रतियोगिता खास आकर्षण का केंद्र रही.

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साफा और तिलक प्रतियोगिता : विदेश से भारत आने वाले पर्यटकों को पुष्कर मेला काफी पसंद आता है. यहां की संस्कृति को महसूस करने के लिए विदेशी सैलानी आते हैं. लिहाजा विदेशी सैलानियों को यहां अपनापन लगे और सतरंगी संस्कृति को वे करीब से जान सकें, इसलिए पर्यटन विभाग ने विदेशी पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए कई प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम आयोजित किए हैं. तिलक और साफा राजस्थानी संस्कृति का हिस्सा है. पुष्कर के मेला मैदान में साफा और तिलक प्रतियोगिता केवल विदेशी सैलानियों के लिए रखी गई. इस प्रतियोगिता में विदेशी सैलानियों ने जमकर आनंद लिया. प्रतियोगिता में रशिया की ओलगा नोसिकोवा ने स्पेन के इनरीक्यू सिल्वा को साफा बांध कर तिलक लगाने में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जबकि दूसरे स्थान पर इंग्लैंड की लूसी और जैक एवं तीसरे स्थान पर स्पेन के जोली और अहा रहे.

पुष्कर मेले में आना शानदार अनुभव : आयरलैंड से आई मइड बताती है कि "यह मेरा सौभाग्य है कि मैं यहां पुष्कर मेले में हूं. यहां सभी मेरे लिए आश्चर्यचकित हैं. मैं सभी को कहना चाहूंगी कि वह भी पुष्कर मेले में जरूर आएं." जर्मनी से आई क्रिस्टीना बताती हैं कि "पुष्कर वह दूसरी बार आई हैं, लेकिन मेले का उनका अनुभव पहला है. मैं पुष्कर छुट्टियां मनाने आई हूं. मैं बेंगलुरु में पढ़ रही हूं. यहां सब कुछ बहुत अच्छा है. मूंछ प्रतियोगिता मुझे बहुत पसंद आई और मैंने खूब आनंद लिया." आयरलैंड से आई एन रेगमंड ने बातचीत में बताया कि 2005 में वह पहली बार भारत आई थी और अब 19 साल बाद जिस उम्मीद के साथ आई वह पूरी हो गई. यहां कमाल का अनुभव रहा है. खासकर मूंछ प्रतियोगिता शानदार रही है. यहां बहुत मजेदार समय गुजर रहा है. निश्चित ही यह मेरे लिए जीवन का सुंदर अनुभव है.

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