लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नदी रेत और मोरम के स्थान पर 'एम-सैंड' (मैन्युफैक्चर्ड सैंड) को प्रोत्साहित करने का अफसरों को आदेश दिया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य सरकार एम-सैंड नीति लागू करने जा रही है, जिससे प्राकृतिक रेत और मौरंग के एक नए विकल्प की उपलब्धता होगी.
खनन विभाग के साथ प्रस्तावित नीति पर विमर्श करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि पर्यावरण एवं नदियों के इकोसिस्टम को बिना नुकसान पहुंचाए सस्टनेबल विकास को गति दिया जाए. इस दृष्टि से 'एम-सैंड' एक बेहतर माध्यम है. नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू की सीमित मात्रा और इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए नदी तल से प्राप्त होने वाली बालू के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए. इससे रोजगार के भी नए अवसर सृजित होंगे. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि 'एम-सैंड' के गुणवत्ता मानकों को बनाये रखना अत्यन्त महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें जीवन और सम्पत्ति की सुरक्षा शामिल है. यह सुनिश्चित किया जाए कि सभी 'एम-सैंड' निर्माता अपने उत्पाद के लिये बीआईएस प्रमाणीकरण अनिवार्य रूप से प्राप्त करें. नोडल विभाग के रूप में खनन विभाग 'एम-सैंड' के शीघ्र उत्पादन के लिए राज्य और जिला स्तर पर ठेकेदारों से समन्वय स्थापित कराएं. आम जनता को 'एम-सैंड' सुविधाजनक रूप से उपलब्ध हो सके और कीमत प्राकृतिक मौरंग और बालू से कम हो. इससे जुड़ी इकाइयों में पर्यावरणीय मानकों का कड़ाई से अनुपालन कराया जाना चाहिए.
ओवरलोडिंग रोकने के लिए जीरो प्वाइंट पर करें कार्रवाई
खनन पट्टा धारकों की सुविधा को देखते हुए मुख्यमंत्री ने ई-अभिवहन प्रपत्र (ईएमएम-11) जारी करने की व्यवस्था को और सरल बनाने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि प्रक्रिया जनपद स्तर से ही होनी चाहिए. इसके लिए एक समय सीमा तय होनी चाहिए. निदेशालय से इसकी मॉनीटरिंग की जाए. वर्तमान में खनिज परिवहन से जुड़े वाहनों की ओवरलोडिंग को सफलतापूर्वक रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने जनपदों में टास्क फोर्स को और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि ओवरलोडिंग रोकने के लिए सबसे बेहतर है जीरो पॉइंट पर कार्रवाई की जाए. यानी खनन स्थल पर जहां से बालू, मोरम, गिट्टी आदि उपखनिज वाहन में लोड किया जाता हो, कार्रवाई वहीं होनी चाहिए. जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, परिवहन और खनन विभाग के स्थानीय अधिकारियों की सम्मिलित टीम एक टास्क फोर्स के रूप में प्रभावी कार्रवाई करे. साथ ही, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बालू और मोरंग के परिवहन की जांच करते समय व्यवहारिकता के साथ कार्य किया जाए.
मौरंग और बालू के भंडारण की समीक्षा करें
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि खनिजों के परिवहन करने वाले वाहनों की रियल टाइम ट्रैकिंग के लिए व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग किया जाए. यह सुनिश्चित किया जाए कि वाहन पर जरूरी कागज दिए जाएं. बरसात के मौसम में बालू और मौरंग की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए भंडारण व्यवस्था की भी समीक्षा की जाए. इस दौरान मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि वर्ष 2023-24 में जहां 533 भंडारण स्थल थे. वहीं इस सत्र में 645 भंडारण स्थल हैं.वर्ष 2022-23 में 44,547 प्रवर्तन की कार्रवाई की गई थी, जबकि वर्ष 2023-24 में 57,539 कार्रवाई हुई.