मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: भगवान श्रीराम ने 14 साल के वनवास के दौरान माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ छत्तीसगढ़ के भरतपुर में भी कुछ समय बिताए थे. भरतपुर विकासखंड के ग्राम हरचौका के बाद ग्राम घाघरा के रांपा नदी के तट पर उन्होंने अपना समय बिताया था. बताया जाता है कि तीन दिन, तीन रात राम जी इस तट पर माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रुके थे. तब से इस जगह को भी राम वन गमन घाघरा के नाम से जाना जाता है. मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ प्रवेश के दौरान यह दूसरा स्थान है, जहां श्रीराम पहुचे थे. छत्तीसगढ़ के हरचौका के मवई नदी के तट पर पहले स्थान के बाद लगभग 40 किलोमीटर दूर नदी के तट से होते हुए राम जी यहां पहुचे थे.
माता सीता के नाम पर पड़ा घाघरा सीतामढ़ी नाम: आइए आज हम आप को इस जगह के इतिहास के बारे में बताते है. दरअसल, त्रेता युग में प्रभु श्रीराम को 14 साल का वनवास हुआ था. तब प्रभु राम, माता सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के साथ वन की ओर निकले थे. कुछ समय उनका छत्तीसगढ़ में भी बीता था. बताया जाता है कि भरतपुर के घाघरा के पास रांपा नदी के तट पर वो रुके थे. तब से इस स्थान का नाम सीता माता के नाम पर घाघरा सीतामढ़ी रखा गया.
गुफा में तीन शिवलिंग हैं विराजमान: मनेन्द्रगढ़ जिला मुख्यालय से लगभग 150 किलोमीटर दूर वनांचल क्षेत्र में रांपा नदी किनारे स्थित सीतामढ़ी घाघरा की गुफा में राम, सीता और लक्ष्मण रुके थे. इस दिव्य स्थान को सीता की रसोई के नाम से जाना जाता है. गुफा में 3 शिवलिंग स्थापित हैं. लोगों का मानना है कि गुफा में रहते हुए प्रभु श्री राम एक शिवलिंग स्थापित किए थे. दूसरे शिवलिंग की स्थापना माता सीता ने किया था. जहां माता सीता पूजा करती थीं. इधर, लक्ष्मण ने भी तीसरे शिवलिंग की स्थापना की थी. रांपा नदी का तट जहां भगवान राम रुके थे, वो जगह घाघरा एमसीबी जिले में पड़ता है. जहां भगवान श्री राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ रुके थे. लोगों का मानना है कि इस मंदिर में माता सीता की रसोई है, जहां माता सीता खाना बनाती थीं. इस जगह को माता सीता की रसोई के नाम से जाना जाता है.
क्या कहते हैं जानकार: इस बारे में ईटीवी भारत ने ऐतिहासिक जानकार विद्याधर गर्ग से बातचीत की. उन्होंने बताया कि, "सीतामढ़ी हरचौका में रामजी का आगमन हुआ था. ये उनका दूसरा पड़ाव था. क्योंकि भगवान रामचंद्र जी जान चुके थे कि उनको सब जानने लगे हैं और भीड़ बढ़ने लगी है. यही कारण है कि वो दूसरे स्थान के लिए प्रस्थान करते चले गए. वह थोड़े-थोड़े दिनों के लिए रुकते थे. इसीलिए सीतामढ़ी हरचौका के बाद ये रामजी का दूसरा पड़ाव है."
फिलहाल इस स्थान पर रामभक्त पूजा करते हैं. इसी जगह पर भगवान राम और माता सीता ने विश्राम किया था. यहां मौजूद गुफा के अंदर शिवलिंग के सामने नंदी विराजमान हैं. प्रभु श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हनुमान जी की भी प्रतिमा यहां स्थापित है.