कोटा : साल 2020 के पहले मंडी समिति मंडी परिसर के बाहर होने वाली कई तरह के ट्रेड और कमोडिटी से मंडी टैक्स की वसूली करती थी. भारत सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई थी, जिनके चलते इनको बंद कर दिया गया था. कृषि कानून रद्द कर दिए गए, लेकिन इनकी वसूली नहीं हो रही थी. ऐसे अब राज्य सरकार ने दोबारा गजट नोटिफिकेशन जारी करते हुए आदेशों को संशोधित कर दिया है. इसके बाद अब घी और टिंबर सहित कई आइटम से मंडी शुल्क की वसूली की जाएगी.
कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) में संशोधन किया गया है. इन संशोधन के चलते गुड़, चीनी, घी और टिंबर के दामों में बढ़ोतरी होना लगभग तय है. गुड़ और चीनी से जहां पर 0.5 और घी और टिंबर से 2.1 फीसदी टैक्स की वसूली होगी. : शशि शेखर शर्मा, संयुक्त निदेशक, कृषि विपणन बोर्ड
कृषि कानून के चलते हुए थे निर्देश रद्द : भारत सरकार साल जून 2020 में तीन कृषि कानून लेकर आई थी, जो सितंबर 2020 में पास हो गए और तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन्हें स्वीकृति भी दे दी थी. अन्य कृषि कानून के तहत मंडी के बाहर एपीएमसी एक्ट के तहत मंडी समिति का कार्य क्षेत्र केवल मंडी यार्ड या परिसर तक ही सीमित कर दिया गया था. ऐसे में बाहर होने वाली ट्रेड से मंडी टैक्स की वसूली कम हो गई. हालांकि, कृषि कानून का काफी विरोध रहा, इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2021 को तीनों कृषि कानून को वापस लेने की घोषणा की और 1 दिसंबर 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इन्हें मंजूरी दे दी. एपीएमसी एक्ट के मंडी टैक्स वसूली दोबारा शुरू करने के आदेश कृषि कानून वापस लेने के करीब तीन साल बाद दिए गए हैं.
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गुड़ और चीनी पर सरकार ने हटाया हुआ है मंडी टैक्स : कृषि विपणन बोर्ड के संयुक्त निदेशक शशि शेखर शर्मा का कहना है कि राज्य सरकार ने गुड़ और चीनी पर मंडी टैक्स हटाया हुआ है. ऐसे में इन पर केवल कृषक कल्याण सेस ही लागू होगा. यह 0.5 फ़ीसदी वसूल होगा, जबकि शेष जितनी भी कमोडिटी की बिक्री मार्केट में हो रही है, उन पर मंडी टैक्स और कृषक कल्याण सेस मिलाकर 2.1 फ़ीसदी की वसूली होगी. इसमें मल्टी टैक्स 1.6 फ़ीसदी और केकेसी 0.5 फीसदी है.
पूरी प्लानिंग बनाकर वसूल लेंगे मंडी टैक्स और केकेसी : जॉइंट डायरेक्टर शर्मा का कहना है कि करीब 4 साल से इस तरह के टैक्स की वसूली बंद थी. ऐसे में अब दोबारा इसे शुरू करने की कयावद कर रहे हैं. किस तरह से पहले हमारे कार्य योजना रहती थी और टैक्स वसूला जाता था, उसी तरह से दोबारा इसे वसूल करेंगे. इस संबंध में व्यापारियों से भी बातचीत की जाएगी.
2019-20 के बजट में लगा था कृषक कल्याण उपकर : कृषक कल्याण उपकर राजस्थान में साल 2019-20 के बजट में घोषणा की गई थी. 1000 करोड़ के बजट का इसमें प्रावधान रखा गया था. ऐसे में राजस्थान में 0.50 के दर से कृषक कल्याण सेस वसूला जा रहा है. हालांकि, राज्य सरकार ने केकेसी को बढ़ाकर 1 फीसदी वसूलने का निर्णय किया था, लेकिन व्यापारियों ने राजस्थान में जुलाई महीने में जोरदार विरोध किया. इसको देखते हुए राज्य सरकार ने इस निर्णय को वापस ले लिया था.