सरगुजा : कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट में नाइजर के बीज का उत्पादन किया जा रहा है. बड़ी बात ये है कि ये प्रदेश का एकमात्र कृषि विज्ञान केंद्र है जो नाइजर के बीज का उत्पादन करता है. यहीं से नाइजर सीड्स पूरे प्रदेश में भेजे जाते हैं. बीते वर्ष कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट ने मध्यप्रदेश को भी नाइजर का बीज दिया था. अनुकूल जलवायु और जमीन के कारण यहां नाइजर की खेती संभव है. क्योंकि कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट पठार के नीचे सीतापुर से लगे चलता गांव में है और पहाड़ के नीचे की जमीन नाइजर की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है.
क्या है नाइजर : नाइजर को स्थानीय बोली में जटगी या रामतिल कहा जाता है. इसके बीज से तेल निकाला जाता है. इसका तेल बाजार में 350 से 400 रुपये किलो में बिकता है. रामतिल का बीज भी किसान महंगे दर पर बेच सकते हैं, क्योंकि इसका बीज भी 13 हजार रुपये क्विंटल की दर से बिकता है.
नाइजर के गुण : नाइजर का तेल आम तेल से ये थोड़ा अलग होता है. खाने में स्वादिस्ट होने के साथ ही इसकी न्यूट्रीशनल वेल्यु भी बेहतर हैं. कृषि वैज्ञानिक डॉ सूरज चंद्रा बताते है कि नाइजर में गुड सोर्स आफ फैट, प्रोटीन, एंटी आक्सीडेंट होता है. इसका तेल खाने में लाभकारी होता है. इसकी सफलता के लिए किसान को अधिक मेहनत नही करना पड़ता है.
कम पानी और बिना किसी खाद, पेस्टिसाइड या हर्बीसाइड के इसकी फसल तैयार हो जाती है. इसमें 5 से 6 किलो बीज एक हेक्टेयर में लगता है, 90 से 100 दिन में फसल तैयार हो जाती है. प्रति हेक्टेयर में 6 से 7 क्विंटल का उत्पादन होता है. तीन किलो बीज से एक किलो तेल निकलता है. बीज 13 हजार रूपये क्विंटल बिकता है और तेल 350 रुपये किलो बिकता है- सूरज चंद्रा,कृषि वैज्ञानिक
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. संदीप शर्मा के मुताबिक प्रदेश के 27 कृषि विज्ञान केंद्र में सिर्फ मैनपाट में ही नाइजर सीड्स तैयार किया जाता है. यहीं से पूरे प्रदेश में सप्लाई किया जाता है. पिछले वर्ष यहां से मध्यप्रदेश भी बीज भेजा गया था.
हम लोग मैनपाट और आस पास के किसानों को बीज का ट्रायल देते हैं. उनको नाइजर की खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं. इस वर्ष सौ एकड़ में नाइजर की फसल लगाई गई है. जिससे करीब दो सौ क्विंटल बीज का उत्पादन हुआ है- डॉ संदीप शर्मा, प्रभारी कृषि विज्ञान केंद्र
नाइजर की खेती क्यों है लाभदायक : खेती के कई अलग-अलग सेगमेंट में एक सेगमेंट नाइजर को भी चुना जा सकता हैं.अगर आप पहाड़ी एरिया में रहते हैं. पानी का साधन नही है और ज्यादा मेहनत भी खेत में नहीं करना चाहते,साथ ही खेती में लेबर और दवाइयों का खर्च भी बचाना चाहते है तो आपके लिए नाइजर की खेती फायदेमंद हो सकती है. इस फसल की खेती के लिए आपको कृषि विज्ञान केंद्र मैनपाट से संपर्क करना होगा.ताकि आपको खेती के लिए सही गाइडेंस मिल सके.