मैहर। शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू होने वाले हैं. इसी को देखते हुए 30 सितंबर तक रोप वे का मेंटेनेंस कार्य किया जा रहा है. जिसके चलते रोपवे का संचालन बंद किया गया है. मैहर में 12 महीने भक्तों के आने का सिलसिला लगा रहता है. शारदीय नवरात्रि के दिनों मैहर स्थित आदिशक्ति मां शारदा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर में माता के दर्शन के लिए 1063 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है. ऐसे में लोगों की सुविधा और समय की बचत के लिए रोपवे का संचालन किया जाता है.
वैन सेवा का लाभ लें, बुकिंग काउंटर चालू रहेगा
रोप-वे का समय-समय पर मेंटेनेंस करवाना होता है. आने वाले दिनों में ज्यादा भीड़ का अंदाजा होने से नवरात्रि से पहले मेंटेनेंस का काम करवाया जा रहा है. मां शारदा के दर्शन के लिए पहाड़ी के ऊपर जाने का तीसरा माध्यम वैन सेवा है, जिसके लिए श्रद्धालुओं को टिकट लेनी पड़ती है, जिसमें आने-जाने दोनों का चार्ज जुड़ा होता है. इसकी बुकिंग वहीं पर काउंटर से होती है. वैन की बुकिंग के लिए रोप-वे के पीछे जहां से मंदिर जाने वाली सीढ़ियों की शुरुआत होती है, वहां वैन बुकिंग काउंटर में जाना होगा. वहीं तुरंत ही टिकट लेकर आप वैन से दर्शन के लिए ऊपर जा सकते हैं.
वैन से मंदिर तक पहुंचने की अपनी मान्यता
वैन द्वारा जाने को लेकर भी मान्यता है कि पहाड़ी के चारों ओर से परिक्रमा होती है, जिसे मां के मंदिर परिक्रमा से जोड़कर देखा जाता है. वैन से यात्रा करना काफी मनमोहक लगता है. घुमावदार रास्तों से वैन जब पहाड़ी के शिखर की ओर बढ़ती है सुंदर नजारे देखने के साथ सुकून भी मिलता है. मैहर देवी मंदिर की गिनती भले ही 52 शक्तिपीठों में ना की जाती हो लेकिन इसका महत्व भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश में स्थिति अन्य शक्तिपीठों जैसी ही है.
कैसे पड़ा नाम मैहर, ये है पारंपरिक कहानी
कहते हैं जब भगवान शिव सती का पार्थिव शरीर लेकर तांडव कर रहे थे, तब पार्वतीजी का हार यहीं गिर गया था. मैहर माई का हार इसी कारण यहां का नाम मैहर पड़ा. मान्यता है कि जब प्रातः काल मां शारदा के मंदिर के पट खोले जाते हैं, तब वहां अक्षत, पुष्प और ज्योति जैसे अलग-अलग प्रमाण मिलते हैं. इन्हीं प्रमाणों से माना जाता है कि वीर आल्हा अदृश्य रूप में प्रातः आते हैं और मां शारदा का पूजन कर चले जाते हैं.