भरतपुर. महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर शुक्रवार को सुबह से ही शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. श्रद्धालुओं ने बम बम भोले के जयकारों के साथ महादेव का अभिषेक किया. महाशिवरात्रि के अवसर पर लोगों ने शहर के लोहागढ़ किले के पास सुजान गंगा नहर किनारे स्थित प्राचीन अर्धांगेश्वर महादेव मंदिर में भी पूजा की. मान्यता है कि यह अर्धांगेश्वर महादेव स्वयंभू हैं और यहां पूजा करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है.
स्वंभू अर्धांगेश्वर महादेव: शहर के लोहागढ़ दुर्ग के पास सुजान गंगा नहर के किनारे स्थित अर्धांगेश्वर महादेव मंदिर का शिवलिंग 300 वर्ष से भी ज्यादा प्राचीन बताया जाता है. पंडित प्रेमी शर्मा का कहना है कि सुजान गंगा नहर के किनारे रियासतकाल में खुदाई के दौरान यह शिवलिंग निकला था. तभी से इसे स्वयंभू शिवलिंग माना जाता है.
अद्भुत प्रतिमा: पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि अर्धांगेश्वर शिवलिंग सामान्य शिवलिंगों से बहुत अलग है. 4 फीट ऊंचे इस शिवलिंग पर भगवान शिव और पार्वती का अर्धनारीश्वर रूप उत्कीर्ण है. बलुआ पत्थर से निर्मित शिवलिंग भगवान शिव और मां पार्वती के आधे आधे चेहरे उकेरे हुए हैं. भगवान शिव इसमें मूंछ और जटाओं के साथ और मां पार्वती का नथवेशर रूप उत्कीर्ण है. शिवलिंग के शीर्ष भाग पर प्राचीन भाषा में एक मंत्र भी लिखा हुआ है.
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लाते हैं दांपत्य जीवन में खुशहाली: पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि अर्धांगेश्वर महादेव मंदिर की बहुत मान्यता है. अपने आप में इस तरह का यह दुर्लभ शिवलिंग है जिस पर अर्धनारीश्वर रूप में भगवान शिव और पार्वती को दर्शाया गया है. मान्यता है कि जो श्रद्धालु अर्धांगेश्वर महादेव की पूरे मन से पूजा-अर्चना करते हैं, उनके दांपत्य जीवन में सुख, शांति और खुशहाली आती है. इसी कामना के साथ शुक्रवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने सपरिवार अर्धांगेश्वर महादेव मंदिर में अभिषेक और पूजा की.