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महाशिवरात्रि पर इस विधि से कीजिए भोले बाबा की पूजा, मिलेगा सुख और सौभाग्य

Mahashivratri 2024 हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इसी दिन माता पार्वती और भगवान शिव विवाह के बंधन में बंधे थे. इसके साथ ही भगवान शिव के प्रकाट्य को लेकर भी इस दिन को बेहद खाल माना जाता है. तो आइए जानते हैं कि महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने का क्या महत्व होता है.

Mahashivratri 2024
महाशिवरात्रि व्रत
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 2, 2024, 4:02 AM IST

Updated : Mar 8, 2024, 6:18 AM IST

इस दिन मनाया जाएगा महाशिवरात्रि 2024

रायपुर: महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव और माता को समर्पित माना जाता है. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था. महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा आराधना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. आज ही के दिन माता पार्वती ने कठिन तपस्या से भगवान शिव को पाया था और विवाह के बंधन में बंधे थे. इसलिए भी महाशिवरात्रि का पर्व खासा महत्व रखता है.

किस दिन है महाशिवरात्रि पर्व : हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च की रात्रि 9:59 तक त्रयोदशी तिथि रहेगी. उसके बाद चतुर्दशी की शुरुआत हो जाएगी. साथ ही 9:59 पर भद्रा भी रहेगा, जो अगले दिन यानी 9 मार्च को सुबह 6:17 पर समाप्त होगी. हालांकि भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है. इसलिए 8 मार्च को शुक्रवार को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा.

महाशिवरात्रि व्रत का महत्व: ऐसी मान्यता है कि आज के दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती की तपस्या सफल हुई थी. भगवान भोलेनाथ से माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. महाशिवरात्रि का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी रखती हैं.

महाशिवरात्रि से जुड़ी मान्यताएं: महाशिवरात्रि पर्व दो महत्वपूर्ण कारणों से विशेष माना जाता है. कहते हैं कि इस तिथि पर महादेव ने वैराग्य जीवन को छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. इस दिन रात में शिवजी और माता पार्वती का विवाह हुआ था. वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग 64 अलग-अलग जगह पर प्रकट हुए थे. मान्यता है कि इस दिन शिव पूजा करने से समस्त संकट दूर हो जाते हैं और भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है.

महाशिवरात्रि की पूजन विधि: महाशिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव और माता को प्रणाम करके पूजा का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद गंगाजल मिलाकर पानी से स्नान करना चाहिए. नये और साफ स्वच्छ वस्त्र पहनने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य देना चाहिए.

  1. पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल वस्त्र रखकर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए.
  2. कच्चे दूध या गंगाजल से पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती का अभिषेक करें.
  3. भगवान शिव को भांग धतूरा फल मदार के पत्ते बेलपत्र आदि अर्पित करें.
  4. शिव चालीसा या शिव स्त्रोत का पाठ भी करें. भगवान शिव के मंत्रो का जाप करें.
  5. अगले दिन सामान्य पूजा पाठ करके अपने व्रत का पारण करना चाहिए.
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रायपुर: महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान शिव और माता को समर्पित माना जाता है. इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था. महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा आराधना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. आज ही के दिन माता पार्वती ने कठिन तपस्या से भगवान शिव को पाया था और विवाह के बंधन में बंधे थे. इसलिए भी महाशिवरात्रि का पर्व खासा महत्व रखता है.

किस दिन है महाशिवरात्रि पर्व : हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च की रात्रि 9:59 तक त्रयोदशी तिथि रहेगी. उसके बाद चतुर्दशी की शुरुआत हो जाएगी. साथ ही 9:59 पर भद्रा भी रहेगा, जो अगले दिन यानी 9 मार्च को सुबह 6:17 पर समाप्त होगी. हालांकि भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है. इसलिए 8 मार्च को शुक्रवार को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा.

महाशिवरात्रि व्रत का महत्व: ऐसी मान्यता है कि आज के दिन माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती की तपस्या सफल हुई थी. भगवान भोलेनाथ से माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था. महाशिवरात्रि का व्रत महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी रखती हैं.

महाशिवरात्रि से जुड़ी मान्यताएं: महाशिवरात्रि पर्व दो महत्वपूर्ण कारणों से विशेष माना जाता है. कहते हैं कि इस तिथि पर महादेव ने वैराग्य जीवन को छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. इस दिन रात में शिवजी और माता पार्वती का विवाह हुआ था. वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे. शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था. महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग 64 अलग-अलग जगह पर प्रकट हुए थे. मान्यता है कि इस दिन शिव पूजा करने से समस्त संकट दूर हो जाते हैं और भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है.

महाशिवरात्रि की पूजन विधि: महाशिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव और माता को प्रणाम करके पूजा का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद गंगाजल मिलाकर पानी से स्नान करना चाहिए. नये और साफ स्वच्छ वस्त्र पहनने के बाद सूर्य देव को अर्ध्य देना चाहिए.

  1. पूजा स्थल पर एक चौकी पर लाल वस्त्र रखकर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए.
  2. कच्चे दूध या गंगाजल से पूरे विधि विधान से भगवान शिव और माता पार्वती का अभिषेक करें.
  3. भगवान शिव को भांग धतूरा फल मदार के पत्ते बेलपत्र आदि अर्पित करें.
  4. शिव चालीसा या शिव स्त्रोत का पाठ भी करें. भगवान शिव के मंत्रो का जाप करें.
  5. अगले दिन सामान्य पूजा पाठ करके अपने व्रत का पारण करना चाहिए.
भिलाई में महाशिवरात्रि के अवसर पर भगवान भोलेनाथ की निकलेगी बारात !
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Last Updated : Mar 8, 2024, 6:18 AM IST
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