भोपाल। मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने 5 मामलों में जिम्मेदार अधिकारियों से जवाब तलब किया है. सीहोर के चरखा लाइन जैन मंदिर के पास जर्जर भवन गिरने से 75 वर्षीय महिला की मलबे में दबने से मौत हो गई. दो साल पहले जर्जर भवन को तोडने के लिये अनुमति मांगी गई थी, किंतु नगर पालिका ने कोई निर्णय नहीं लिया. बीते शनिवार की सुबह जर्जर भवन धराशायी हो गया. इस मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं सीएमओ नगर पालिका से मामले की जांच कराकर 3 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है.
भोपाल में महिलाओं को नहीं मिली प्रसूति राशि
भोपाल शहर के सरकारी अस्पतालों में डिलीवरी के बाद भी महिलाएं प्रसूति राशि के लिये परेशान हो रहीं हैं. इन महिलाओं को पिछले एक साल से प्रसूति राशि नहीं मिली. ऐसी 800 से ज्यादा महिलाएं रोजाना अस्पतालों के चक्कर काट रही हैं. इस मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने आयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं संचालनालय से 3 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही इंदौर एवं भोपाल शहर में कोचिंग के मामलों को लेकर भी आयोग सख्त है. दोनों शहर में कई ऐसी जगहें हैं जहां हादसे का खतरा है. कोचिंग संचालक दिल्ली हादसे से सबक नहीं ले रहे हैं.
कोचिंग सेंटर्स में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सख्ती
कोचिंग संस्थानों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने भोपाल व इंदौर कलेक्टर के साथ ही दोनों नगर निगम आवश्यक व्यवस्थाएं करने को कहा है. इस बारे में आयोग ने 3 सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है. वहीं, झाबुआ में पुलिस कस्टडी में ग्रामीण की मौत के मामले को भी आयोग ने संज्ञान में लिया है. झाबुआ जिले की हरिनगर चौकी पुलिस ग्राम छायन में बीते शनिवर को वारंटी को पकडने पहुंची. जब वारंटी नहीं मिला तो पुलिस उसके पिता को उठाकर चौकी ले आई. उसकी संदिग्ध परिस्थतियों में मौत हो गई. परिजनों ने शव को चौकी में रख दिया और तोड़फोड़ की. इस मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है.
ग्वालियर में सीवर चैंबर हादसे को लेकर नोटिस जारी
ग्वालियर के आनंदनगर-बहोडापुर मुख्य मार्ग पर एक्टिवा सवार 3 युवक सीवर चैंबर के खुले गढ्ढे में गिर गये, जिनमें से एक युवक की मौत हो गई, जबकि दो गंभीर रूप से घायल हैं. एसडीएम ने थाना प्रभारी को जांच के निर्देश दिये हैं कि जो भी दोषी हो, उस पर एक्शन लिया जाये. इस मामले में आयोग ने पुलिस अधीक्षक एवं आयुक्त नगर निगम प्रतिवेदन 3 सप्ताह में मांगा है.