MP School Teachers New Target: मध्यप्रदेश में आचार संहिता हटने के बाद अतिथि शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है, लेकिन इसके लिए विभाग द्वारा जोड़ी गई एक शर्त ने अतिथि शिक्षकों की परेशानी को बढ़ा दिया है. अतिथि शिक्षकों को अब स्कूल में रखे जाने के पहले बीते साल में विषय और कक्षा के रिजल्ट को देखा जाएगा. यदि विषय और कक्षा में रिजल्ट 30 फीसदी से कम है तो उन्हें अतिथि शिक्षक के रूप में किसी भी स्कूल में आमंत्रित नहीं किया जाएगा. इधर, कर्मचारी संगठन ने शासन की इस शर्त का विरोध किया है.
पिछले साल के रिजल्ट के आधार पर नियुक्ति
राज्य सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलां में अतिथि शिक्षकों को रखे जाने के लिए गाइडलाइन जारी कर दी है. पिछले दिनों लोक शिक्षक संचालनालय ने इस संबंध में सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसके बाद आदेश जारी कर दिए गए हैं. इसमें कहा कि गया है कि अब जीरो से 30 फीसदी तक के परीक्षा परिणाम देने वाले अतिथि शिक्षकों को किसी भी स्कूल में पढ़ाने के लिए नहीं रखा जाएगा. अतिथि शिक्षकों को स्कूल में रखे जाने के पहले उनके विषय या कक्षा का पिछले साल के परीक्षा परिणाम को देखने के निर्देश दिए गए हैं.
प्रिंसिपल के लिए भी चेतावनी जारी
यदि अतिथि शिक्षकों का रिजल्ट 30 फीसदी से कम है तो उन्हें पढ़ाने का मौका नहीं दिया जाएगा. यदि इस गाइडलाइन का किसी प्रिंसिपल द्वारा उल्लंघन किया गया तो उनके खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. इसके तहत चयन प्रक्रिया के दौरान अतिथि शिक्षकों को वचनपत्र देना होगा कि उनके द्वारा पढ़ाई गई सभी कक्षा और विषय का परिणाम 30 फीसदी से ज्यादा रहा है.
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कर्मचारी संगठन बोले- सभी पर लागू हो यह नियम
इधर, उधर राज्य सरकार के इस नियम को लेकर संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने कहा "स्कूल का रिजल्ट कई परिस्थितियों पर निर्भर करता है. इसलिए इसके लिए सिर्फ अतिथि शिक्षकों पर नियम थोपे जाना ठीक नहीं है. रिजल्ट बिगड़ा तो है तो अतिथि शिक्षकों के साथ स्कूलों में पढ़ाने वाले सरकारी टीचर और जिले के अधिकारियों तक की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए." गौरतलब है कि प्रदेश में करीबन 70 हजार से ज्यादा अतिथि शिक्षकों की भर्ती होनी है.