सीतापुर: तीर्थ नैमिषारण्य अनादि काल का तीर्थ है और लोक आस्था का केंद्र भी है. जब बहुत पुण्य का उदय होता है, तब मानव ऐसे तीर्थ का दर्शन करता है. यह बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तीर्थ नैमिषारण्य स्थित नवनिर्मित श्री जगदम्बा राजराजेश्वरी स्कन्द आश्रम में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में सम्मिलित होने के बाद उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहीं.
सीएम योगी आदित्यनाथ मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के साथ स्कन्द आश्रम के पास बने हेलीपैड पर उतरे. यहां मिश्रिख सांसद अशोक रावत, विधायक रामकृष्ण भार्गव, एमएलसी पवन सिंह और भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश शुक्ला ने सीएम योगी व अन्य अतिथियों का स्वागत किया. इसके बाद सीएम योगी का काफिला आश्रम के महंत षडमुखानंद पुरी के साथ सीधे आश्रम पहुंचा. सीएम योगी ने वैदिक मंत्रोंच्चार के बीच नवनिर्मित माता राजराजेश्वरी के चिद द्वार का उद्घाटन किया. फिर मंदिर के गर्भगृह में जाकर माता परम्बा का पूजन किया. आश्रम संस्थापक षडमुखानंद पुरी ने अंग वस्त्र भेटकर सीएम का अभिनंदन किया.
मध्य प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र तोमर ने नैमिष की दिव्य भूमि को प्रणाम करते हुए कहा कि आप लोग भाग्यशाली हैं कि आपको योगी जैसा एक संत मुख्यमंत्री के रूप में मिला. षडमुखानंद पुरी के आदेश पर उन्होंने योगी जी से नैमिष चलने का निवेदन किया. इस पर उन्होंने उसे तुरंत स्वीकार कर लिया. सीएम योगी ने नैमिष की महिमा का गुणगान करते हुए कहा कि हम सबकी ये जिम्मेदारी है कि भारतीय सनातन परंपरा को मजबूत करने के लिए सदैव संकल्पित रहें. आज मोदी के नेतृत्व में देश के विभिन्न मंदिरों का उद्धार हो रहा है. चाहे बनारस हो, उज्जैन हो, उत्तराखंड स्थित केदारनाथ व बद्रीनाथ धाम सभी का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि अयोध्या का कहना ही क्या, राम मंदिर का निर्माण तो आप सब के सामने ही है. सीएम योगी ने कहा कि रामलाल के विराजने के बाद अयोध्या गया तो वहां के व्यापारियों ने हर्ष जताते हुए बताया था कि उनका व्यापार 30 गुना अधिक हो गया है. इसी तरह इस नैमिष नगरी का भी विकास हो रहा है, जिससे समाज का हर तबका लाभान्वित होगा. सीएम ने नैमिषारण्य की महिमा का बखान करते हुए कहा कि ऋषियों ने तप करके वैदिक ज्ञान की अमूल्य धरोहर दी. देवासुर संग्राम में महर्षि दधीचि ने अपनी अस्थियां इसी पवित्र भूमि पर दान दी थीं. सूतजी ने 18 पुराणों का वर्णन ऋषियों को यहीं सुनाया था. तुलसीदास ने रामचरित मानस में जिक्र किया है कि 'तीरथवर नैमिष विख्याता, अति पुनीत साधक सिधि दाता' का वर्णन करते हुए कहा कि इस स्थल की महिमा अपरम्पार है.
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