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योगी का वज्र प्लान ; अब हर सर्किल पर खड़ा होगा दंगा नियंत्रण वाहन, खर्च होंगे 9 करोड़ 84 लाख रुपये - Riot control vehicle in UP

योगी सरकार ने प्रदेश में दंगा नियंत्रण के लिए खास प्लान बनाया है. इसके तहत 41 दंगा रोधी वाहन खरीद को मंजूरी दी गई है. ये वाहन हर तीन या चार थानों के लिए हर वक्त उपलब्ध रहेगा. Riot control vehicle in UP

योगी का दंगा नियंत्रण प्लान.
योगी का दंगा नियंत्रण प्लान. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 20, 2024, 7:53 AM IST

लखनऊ : वर्ष 2022 को जब CAA व NRC को लेकर पूरे भारत में दंगे हो रहे थे, तब यूपी में एक दो घटनाओं को छोड़ हर ओर शांति थी. यही वजह रही कि हर राज्य की सरकारों ने दंगों को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ कि पॉलिसी को सराहा, लेकिन इन दिनों हुई कुछ घटनाओं में कानपुर और और प्रयागराज हिंसा जैसी भी घटना दोबारा न हो उसके लिए योगी सरकार एक और मजबूत मॉडल तैयार कर रही है. इसके चलते यदि किसी ने भी दंगा या हिंसा करने कि कोशिश कि तो महज कुछ मिनट में दंगा रोधी वाहन पहुंच दंगाइयों के हौसलों को पस्त कर देगी. आइए जानते हैं कि दंगाईयों पर मजबूत कार्रवाई के लिए क्या है योगी का प्लान?



दंगाइयों से निपटने में नहीं लगेगा समय : उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने शासनादेश जारी करते हुए 41 दंगा रोधी वाहन (दंगा नियंत्रण वाहन) की खरीद करने कि मंजूरी दी है. इन्हें खरीदने में 9 करोड़ 84 लाख रुपये खर्च होंगे. इसमें खास यह है कि ये सभी 41 वाहन सीओ सर्किल स्तर के लिए खरीदे जाएंगे. यानि एक दंगा नियंत्रण वाहन हर तीन या चार थानों के लिए हर वक्त उपलब्ध रहेगा. अब तक मुख्यालय स्तर पर सिर्फ दो से तीन होते थे. हालांकि पहले चरण में खरीदे जा रहे 41 दंगा नियंत्रण वाहन अति संवेदनशील जिलों के सीओ क्षेत्र को दिए जाएंगे. सीओ या एसीपी इन वाहनों को लेकर फैसले लेंगे.






दंगा नियंत्रण वाहन : दंगा नियंत्रण या दंगा रोधी वाहन, सामूहिक घटना, हिंसा या दंगा नियंत्रण करने वाला वाहन होता है. इन वाहनों में आंसू गैस, रासायनिक योजक, पानी और अन्य हथियार व उपकरण होते हैं. इनमें विस्फोटक डिस्पोजल सामग्री के अलावा इधन टैंक होते हैं. दंगा रोधी वाहन में अग्निशमन यत्र, स्ट्रेचर भी मौजूद रहते हैं. सीओ सर्किल स्तर पर दंगा नियंत्रण वाहन 3 से 4 थानों पर मौजूद रहेगा. दंगा या हिंसा भड़कने की स्थति में मुख्यालय से वाहनों को नहीं बुलाना पड़ेगा.





पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन कहते हैं कि बीते कुछ वर्षों में यूपी में दंगे हो ही नहीं रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो की रिपोर्ट में इसका हवाला देखा जा सकता है. हालांकि सख्ती बाद भी छुटपुट हिंसा हो जाती है. इसकी वजह है दंगा रोधी टीम का देर से पहुंचना है. ऐसे में यदि सरकार सर्किल स्तर पर दंगा रोधी वाहनों की खरीद रही है तो बड़ी उपलब्धि होगी.




लखनऊ : वर्ष 2022 को जब CAA व NRC को लेकर पूरे भारत में दंगे हो रहे थे, तब यूपी में एक दो घटनाओं को छोड़ हर ओर शांति थी. यही वजह रही कि हर राज्य की सरकारों ने दंगों को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ कि पॉलिसी को सराहा, लेकिन इन दिनों हुई कुछ घटनाओं में कानपुर और और प्रयागराज हिंसा जैसी भी घटना दोबारा न हो उसके लिए योगी सरकार एक और मजबूत मॉडल तैयार कर रही है. इसके चलते यदि किसी ने भी दंगा या हिंसा करने कि कोशिश कि तो महज कुछ मिनट में दंगा रोधी वाहन पहुंच दंगाइयों के हौसलों को पस्त कर देगी. आइए जानते हैं कि दंगाईयों पर मजबूत कार्रवाई के लिए क्या है योगी का प्लान?



दंगाइयों से निपटने में नहीं लगेगा समय : उत्तर प्रदेश गृह विभाग ने शासनादेश जारी करते हुए 41 दंगा रोधी वाहन (दंगा नियंत्रण वाहन) की खरीद करने कि मंजूरी दी है. इन्हें खरीदने में 9 करोड़ 84 लाख रुपये खर्च होंगे. इसमें खास यह है कि ये सभी 41 वाहन सीओ सर्किल स्तर के लिए खरीदे जाएंगे. यानि एक दंगा नियंत्रण वाहन हर तीन या चार थानों के लिए हर वक्त उपलब्ध रहेगा. अब तक मुख्यालय स्तर पर सिर्फ दो से तीन होते थे. हालांकि पहले चरण में खरीदे जा रहे 41 दंगा नियंत्रण वाहन अति संवेदनशील जिलों के सीओ क्षेत्र को दिए जाएंगे. सीओ या एसीपी इन वाहनों को लेकर फैसले लेंगे.






दंगा नियंत्रण वाहन : दंगा नियंत्रण या दंगा रोधी वाहन, सामूहिक घटना, हिंसा या दंगा नियंत्रण करने वाला वाहन होता है. इन वाहनों में आंसू गैस, रासायनिक योजक, पानी और अन्य हथियार व उपकरण होते हैं. इनमें विस्फोटक डिस्पोजल सामग्री के अलावा इधन टैंक होते हैं. दंगा रोधी वाहन में अग्निशमन यत्र, स्ट्रेचर भी मौजूद रहते हैं. सीओ सर्किल स्तर पर दंगा नियंत्रण वाहन 3 से 4 थानों पर मौजूद रहेगा. दंगा या हिंसा भड़कने की स्थति में मुख्यालय से वाहनों को नहीं बुलाना पड़ेगा.





पूर्व डीजीपी अरविंद कुमार जैन कहते हैं कि बीते कुछ वर्षों में यूपी में दंगे हो ही नहीं रहे हैं. राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो की रिपोर्ट में इसका हवाला देखा जा सकता है. हालांकि सख्ती बाद भी छुटपुट हिंसा हो जाती है. इसकी वजह है दंगा रोधी टीम का देर से पहुंचना है. ऐसे में यदि सरकार सर्किल स्तर पर दंगा रोधी वाहनों की खरीद रही है तो बड़ी उपलब्धि होगी.




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