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यूपी के पर्यटन स्थलों को नुकसान से बचाने के लिए आईसीआरटी करेगा मदद - tourist places in uttar pradesh

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग और आईसीआरटी के बीच एमओयू के तहत यूपी के पर्यटन स्थलों को नुकसान से बचाने के लिए कवायद शुरू की गई है. एमओयू पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह (Tourism Minister Jaiveer Singh) की उपस्थिति में हुआ.

उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग व आईसीआरटी के बीच एमओयू .
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग व आईसीआरटी के बीच एमओयू . (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 14, 2024, 8:10 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विकास करने वाला राज्य है. ऐसे में प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आने से वहां पर्यावरण में बदलाव, प्रदूषण और इन जैसी समस्याओं को किस तरह से रोका जाए. इसके लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) के साथ एमओयू साइन किया है.

इस अवसर पर मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि प्रभु राम-श्रीकृष्ण की यह धरती देश के पर्यटकों की पहली पसंद है. यहां आने वाले पर्यटकों के सुविधाओं, पर्यटन स्थलों और पर्यटक सुविधाओं के निरंतर विकास का कार्य किया जा रहा है. पर्यटन या उससे जुड़े विकास कार्यों को इस तरह से करना जो लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायक हो एवं पर्यटन स्थल के पर्यावरणीय संरक्षण व सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सतत (सस्टेनेबल) पर्यटन को बढ़ाए. इसका लक्ष्य पर्यटन स्थलों की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, साथ ही स्थानीय समुदायों को पर्यटन से होने वाले लाभ में भागीदार बनाना है. इसी को पूरा करने के लिए एमओयू किया गया है. इस अवसर पर प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया व आईसीआरटी की इंडिया हेड मनीषा पांडे उपस्थित रहीं.

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि भारत में रिस्पांसिबल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आईसीआरटी इंडिया फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2017 में की गई. इसे एक गैर लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया. जिसका मुख्यालय भोपाल में है. इस संस्था से रिस्पांसिबल टूरिज्म से जुड़े टूर-ट्रेवेल व्यवसायी, होटल व्यवसायी और पर्यटन के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले प्रोफेशनल्स जुड़े हैं. इस एमओयू के बाद आईसीआरटी हमारे पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों के वहा आने से हर सेक्टर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही उन जगहों पर पर्यटन गतिविधियों के बढ़ने से वहाँ के पर्यावरण पर क्या असर हो रहा, कहीं उसको नुकसान तो नहीं हो रहा है. साथ ही लोकल लोगों के जीवन पर कहां प्रभाव पड़ रहा है यह भी जानने का मौका मिलेगा.

आईसीआरटी के बारे में इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पॉसिबल टूरिज्म आईसीआरटी ऐसे लोगों का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है. जिसमें अनेक ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय संगठन, एजेंसियां एवं व्यक्ति शामिल हैं. ये पर्यटन के क्षेत्र में केपटाउन की घोषणा का समर्थन करते हैं. आईसीआरटी को पर्यटन क्षेत्र के सबसे अच्छे नेटवर्क के रूप में जाना जाता है. इसका मुख्यालय यूनाइटेड किंगडम (यूके) में है.

यह भी पढ़ें : पर्यटकों की संख्या के हिसाब से यूपी में होगा सुविधाओं का विकास: जयवीर सिंह - Facilities for tourists in UP

यह भी पढ़ें : प्रयागराज टूरिज्म कान्क्लेव: कुंभ मेला 2025 में एडवेंचर जोन समेत होंगे ये खास इंतजाम - Prayagraj Tourism Conclave

लखनऊ : उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से विकास करने वाला राज्य है. ऐसे में प्रदेश के सभी पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आने से वहां पर्यावरण में बदलाव, प्रदूषण और इन जैसी समस्याओं को किस तरह से रोका जाए. इसके लिए उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पांसिबल टूरिज्म (आईसीआरटी) के साथ एमओयू साइन किया है.

इस अवसर पर मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि प्रभु राम-श्रीकृष्ण की यह धरती देश के पर्यटकों की पहली पसंद है. यहां आने वाले पर्यटकों के सुविधाओं, पर्यटन स्थलों और पर्यटक सुविधाओं के निरंतर विकास का कार्य किया जा रहा है. पर्यटन या उससे जुड़े विकास कार्यों को इस तरह से करना जो लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास में सहायक हो एवं पर्यटन स्थल के पर्यावरणीय संरक्षण व सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए सतत (सस्टेनेबल) पर्यटन को बढ़ाए. इसका लक्ष्य पर्यटन स्थलों की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, साथ ही स्थानीय समुदायों को पर्यटन से होने वाले लाभ में भागीदार बनाना है. इसी को पूरा करने के लिए एमओयू किया गया है. इस अवसर पर प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति मुकेश कुमार मेश्राम, विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया व आईसीआरटी की इंडिया हेड मनीषा पांडे उपस्थित रहीं.

प्रमुख सचिव पर्यटन मुकेश मेश्राम ने बताया कि भारत में रिस्पांसिबल टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए आईसीआरटी इंडिया फाउंडेशन की स्थापना वर्ष 2017 में की गई. इसे एक गैर लाभकारी संस्था के रूप में पंजीकृत किया गया. जिसका मुख्यालय भोपाल में है. इस संस्था से रिस्पांसिबल टूरिज्म से जुड़े टूर-ट्रेवेल व्यवसायी, होटल व्यवसायी और पर्यटन के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले प्रोफेशनल्स जुड़े हैं. इस एमओयू के बाद आईसीआरटी हमारे पर्यटन स्थलों पर आने वाले पर्यटकों के वहा आने से हर सेक्टर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही उन जगहों पर पर्यटन गतिविधियों के बढ़ने से वहाँ के पर्यावरण पर क्या असर हो रहा, कहीं उसको नुकसान तो नहीं हो रहा है. साथ ही लोकल लोगों के जीवन पर कहां प्रभाव पड़ रहा है यह भी जानने का मौका मिलेगा.

आईसीआरटी के बारे में इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिस्पॉसिबल टूरिज्म आईसीआरटी ऐसे लोगों का अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है. जिसमें अनेक ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय संगठन, एजेंसियां एवं व्यक्ति शामिल हैं. ये पर्यटन के क्षेत्र में केपटाउन की घोषणा का समर्थन करते हैं. आईसीआरटी को पर्यटन क्षेत्र के सबसे अच्छे नेटवर्क के रूप में जाना जाता है. इसका मुख्यालय यूनाइटेड किंगडम (यूके) में है.

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