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सीएम योगी की सख्ती बेअसर; सात माह में भी नहीं शुरू हो पाई ARTO रोड सेफ्टी पद पर तैनाती की प्रक्रिया - Road Safety in UP

उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों (Road Safety in UP) पर रोक लगाने के दिशा में योगी सरकार लगातार प्रयासरत है. इसके लिए प्रदेश में 75 एआरटीओ सड़क सुरक्षा के पदों के सृजन का प्रस्ताव तैयार किया है. हालांकि इस प्रस्ताव पर सरकार की हरी झंडी के बाद अब शासन स्तर के अधिकारियों के पास फाइल अटकी है.

आरटीओ कार्यालय लखनऊ.
आरटीओ कार्यालय लखनऊ. (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 13, 2024, 7:07 AM IST

Updated : Aug 13, 2024, 8:14 AM IST

लखनऊ : सड़क हादसों के मामले में उत्तर प्रदेश देश पहले स्थान पर है. दुर्घटनाएं कम करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सख्ती दिखा रहे हैं, लेकिन शासन सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है. सात माह पहले सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर निर्देश दिए थे कि दुर्घटनाएं रोकने के लिए सभी जिलों में एक-एक एआरटीओ (रोड सेफ्टी) की तैनाती की जाए. इस पद का सृजन किया जाए. अनुमति सरकार देगी, लेकिन सात माह से ज्यादा का समय होने के बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती से अब तक सभी 75 जिलों में एआरटीओ (सड़क सुरक्षा) पद का सृजन तक नहीं हो पाया है. एक भी जिले में इस पद पर तैनाती की प्रक्रिया नहीं शुरू हो पाई है. बहरहाल मंगलवार (आज) को अपर मुख्य सचिव (वित्त) की मीटिंग में इन पदों के सृजन पर मुहर लगने की उम्मीद है.

वर्ष 2023 के आखिरी माह में सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एआरटीओ रोड सेफ्टी की हर जिले में तैनाती की घोषणा की थी. आरटीओ रोड सेफ्टी का काम पूरी तरह से सड़क हादसों पर नियंत्रण स्थापित करने का होगा. मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद परिवहन विभाग ने अपना प्लान बना लिया और पदों को लेकर प्रस्ताव शासन को भेज दिया, लेकिन शासन स्तर पर अफसरों की सुस्ती से योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. सात माह का समय हो चुका है, लेकिन एआरटीओ रोड सेफ्टी पद के सृजन पर मुहर लगाने के लिए शासन दो कदम भी नहीं बढ़ पाया है. बहरहाल अब मंगलवार को होने वाली एसीएस वित्त की बैठक में इन पदों के सृजन पर मुहर लगने की उम्मीद है.

एमवीआई में परिवर्तित होगा आरआई का पद : उत्तर प्रदेश में तैनात 66 आरआई के पद को एमवीआई में परिवर्तित होना है. जिससे यह अधिकारी भी सड़क पर तकनीकी रूप से अनफिट चल रहे वाहनों की जांच कर उन पर नियंत्रण स्थापित कर सकें. जिससे सड़क हादसों में कमी आए, लेकिन इस पर भी शासन की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

351 एएमवीआई के पदों पर भी लगनी है मुहर : उत्तर प्रदेश की विभिन्न तहसीलों में भी सड़क दुर्घटनाओं पर ध्यान देने के लिए अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पदों पर भी तैनाती होनी है. 351 अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर का प्रस्ताव परिवहन विभाग की तरफ से शासन को भेजा गया है, लेकिन इस पर भी शासन ने कोई फैसला नहीं लिया है.

सड़क हादसों में हो रही बढ़ोतरी : सड़क दुर्घटनाओं में 37 प्रतिशत तो मृतकों में 42 और घायलों में 23 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल 2022 में उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में 1.95 फीसदी और मृत्यु दर में 0.26 प्रतिशत की मामूली गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन इसके बाद 2023 और 2024 में बड़े-बड़े हादसे हुए. साल 2024 में अब तक कई स्थानों पर सड़क हादसों में एक साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं.

साल 2014 में 31 हजार 34 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 16 हजार 287 लोगों की मौत हुई. 22 हजार 337 लोग घायल हुए. 2015 में 32 हजार 385 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 17 हजार 666 लोगों की मौत हुई. 23 हजार 205 लोग घायल हुए. 2016 में 35 हजार 612 सड़क हादसे हुए. 19 हजार 320 लोगों की मौत हुई. 25 हजार 96 लोग घायल हुए. 2017 में 38 हजार 811 हादसे हुए. 20 हजार 142 मौतें हुईं. 27 हजार 507 लोग घायल हुए. 2018 में 42 हजार 568 सड़क हादसे हुए. 22 हजार 256 लोगों की मौत हुई. 29 हजार 664 लोग घायल हुए.

2019 में 42 हजार 572 सड़क हादसे हुए. 22 हजार 655 लोगों की मौत हो गई. 28 हजार 932 लोग घायल हुए. 2020 में 34 हजार 243 हादसे हुए. 19 हजार 149 लोगों की मौत हुई. 22 हजार 410 लोग घायल हुए. 2021 में 37 हजार 729 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 21 हजार 227 लोगों की मौत हुई. 24 हजार 897 लोग घायल हुए. 2022 में 41 हजार 746 लोग सड़क हादसे का शिकार हुए. इनमें से 22 हजार 595 लोग खत्म हो गए. 28 हजार 541 लोग घायल हुए. साल 2023 में 44 हजार 534 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 23 हजार 652 लोगों की मौत हुई. 31 हजार 98 लोग घायल हो गए. साल 2024 में लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे पर बड़ी घटना हुई. उन्नाव में हुए सड़क हादसे में स्लीपर बस से यात्रा कर रहे यात्रियों की मौत हो गई. इसमें 18 लोगों की जान गई.

एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (रोड सेफ्टी) पुष्पसेन सत्यार्थी का कहना है कि 75 जनपदों में एक-एक एआरटीओ (रोड सेफ्टी) की तैनाती होने से सड़क दुर्घटनाओं में कमी जरूर लाई जा सकेगी, क्योंकि इन अफसरों का काम ही रोड सेफ्टी को लेकर प्लान बनाना और उनको अमलीजामा पहनाना होगा. यह उनकी जिम्मेदारी होगी. लापरवाही बरतने पर कार्रवाई होगी. तहसीलों में अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर तैनात होंगे तो अनफिट वाहनों को सड़क पर चलने से रोका जा सकेगा. यही वाहन हादसे का बड़ा कारण बनते हैं.

यह भी पढ़ें : एक्सप्रेस वे पर सड़क हादसे रोकने में यूपीडा फेल, CCTV कैमरों से निगरानी और पेट्रोलिंग के दावे हवा हवाई - UPDA fails prevent road accidents

यह भी पढ़ें : सड़क सुरक्षा के नाम पर फिर होगी खानापूरी, हादसे रोकने के लिए नहीं हो रहे सही उपाय

लखनऊ : सड़क हादसों के मामले में उत्तर प्रदेश देश पहले स्थान पर है. दुर्घटनाएं कम करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सख्ती दिखा रहे हैं, लेकिन शासन सरकार की उम्मीदों पर पानी फेर रहा है. सात माह पहले सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर निर्देश दिए थे कि दुर्घटनाएं रोकने के लिए सभी जिलों में एक-एक एआरटीओ (रोड सेफ्टी) की तैनाती की जाए. इस पद का सृजन किया जाए. अनुमति सरकार देगी, लेकिन सात माह से ज्यादा का समय होने के बावजूद परिवहन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती से अब तक सभी 75 जिलों में एआरटीओ (सड़क सुरक्षा) पद का सृजन तक नहीं हो पाया है. एक भी जिले में इस पद पर तैनाती की प्रक्रिया नहीं शुरू हो पाई है. बहरहाल मंगलवार (आज) को अपर मुख्य सचिव (वित्त) की मीटिंग में इन पदों के सृजन पर मुहर लगने की उम्मीद है.

वर्ष 2023 के आखिरी माह में सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एआरटीओ रोड सेफ्टी की हर जिले में तैनाती की घोषणा की थी. आरटीओ रोड सेफ्टी का काम पूरी तरह से सड़क हादसों पर नियंत्रण स्थापित करने का होगा. मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद परिवहन विभाग ने अपना प्लान बना लिया और पदों को लेकर प्रस्ताव शासन को भेज दिया, लेकिन शासन स्तर पर अफसरों की सुस्ती से योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. सात माह का समय हो चुका है, लेकिन एआरटीओ रोड सेफ्टी पद के सृजन पर मुहर लगाने के लिए शासन दो कदम भी नहीं बढ़ पाया है. बहरहाल अब मंगलवार को होने वाली एसीएस वित्त की बैठक में इन पदों के सृजन पर मुहर लगने की उम्मीद है.

एमवीआई में परिवर्तित होगा आरआई का पद : उत्तर प्रदेश में तैनात 66 आरआई के पद को एमवीआई में परिवर्तित होना है. जिससे यह अधिकारी भी सड़क पर तकनीकी रूप से अनफिट चल रहे वाहनों की जांच कर उन पर नियंत्रण स्थापित कर सकें. जिससे सड़क हादसों में कमी आए, लेकिन इस पर भी शासन की तरफ से अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है.

351 एएमवीआई के पदों पर भी लगनी है मुहर : उत्तर प्रदेश की विभिन्न तहसीलों में भी सड़क दुर्घटनाओं पर ध्यान देने के लिए अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पदों पर भी तैनाती होनी है. 351 अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर का प्रस्ताव परिवहन विभाग की तरफ से शासन को भेजा गया है, लेकिन इस पर भी शासन ने कोई फैसला नहीं लिया है.

सड़क हादसों में हो रही बढ़ोतरी : सड़क दुर्घटनाओं में 37 प्रतिशत तो मृतकों में 42 और घायलों में 23 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल 2022 में उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं में 1.95 फीसदी और मृत्यु दर में 0.26 प्रतिशत की मामूली गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन इसके बाद 2023 और 2024 में बड़े-बड़े हादसे हुए. साल 2024 में अब तक कई स्थानों पर सड़क हादसों में एक साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं.

साल 2014 में 31 हजार 34 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 16 हजार 287 लोगों की मौत हुई. 22 हजार 337 लोग घायल हुए. 2015 में 32 हजार 385 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 17 हजार 666 लोगों की मौत हुई. 23 हजार 205 लोग घायल हुए. 2016 में 35 हजार 612 सड़क हादसे हुए. 19 हजार 320 लोगों की मौत हुई. 25 हजार 96 लोग घायल हुए. 2017 में 38 हजार 811 हादसे हुए. 20 हजार 142 मौतें हुईं. 27 हजार 507 लोग घायल हुए. 2018 में 42 हजार 568 सड़क हादसे हुए. 22 हजार 256 लोगों की मौत हुई. 29 हजार 664 लोग घायल हुए.

2019 में 42 हजार 572 सड़क हादसे हुए. 22 हजार 655 लोगों की मौत हो गई. 28 हजार 932 लोग घायल हुए. 2020 में 34 हजार 243 हादसे हुए. 19 हजार 149 लोगों की मौत हुई. 22 हजार 410 लोग घायल हुए. 2021 में 37 हजार 729 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 21 हजार 227 लोगों की मौत हुई. 24 हजार 897 लोग घायल हुए. 2022 में 41 हजार 746 लोग सड़क हादसे का शिकार हुए. इनमें से 22 हजार 595 लोग खत्म हो गए. 28 हजार 541 लोग घायल हुए. साल 2023 में 44 हजार 534 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. 23 हजार 652 लोगों की मौत हुई. 31 हजार 98 लोग घायल हो गए. साल 2024 में लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे पर बड़ी घटना हुई. उन्नाव में हुए सड़क हादसे में स्लीपर बस से यात्रा कर रहे यात्रियों की मौत हो गई. इसमें 18 लोगों की जान गई.

एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर (रोड सेफ्टी) पुष्पसेन सत्यार्थी का कहना है कि 75 जनपदों में एक-एक एआरटीओ (रोड सेफ्टी) की तैनाती होने से सड़क दुर्घटनाओं में कमी जरूर लाई जा सकेगी, क्योंकि इन अफसरों का काम ही रोड सेफ्टी को लेकर प्लान बनाना और उनको अमलीजामा पहनाना होगा. यह उनकी जिम्मेदारी होगी. लापरवाही बरतने पर कार्रवाई होगी. तहसीलों में अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर तैनात होंगे तो अनफिट वाहनों को सड़क पर चलने से रोका जा सकेगा. यही वाहन हादसे का बड़ा कारण बनते हैं.

यह भी पढ़ें : एक्सप्रेस वे पर सड़क हादसे रोकने में यूपीडा फेल, CCTV कैमरों से निगरानी और पेट्रोलिंग के दावे हवा हवाई - UPDA fails prevent road accidents

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Last Updated : Aug 13, 2024, 8:14 AM IST
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