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भारत और ताजिकिस्तान का सांस्कृतिक शब्दकोष तैयार करेगा लखनऊ विश्वविद्यालय, एमओयू पर हुए साइन - MOU BETWEEN TAJIK INSTITUTIONS

लखनऊ विश्वविद्यालय ने ताजिक राज्य शैक्षणिक विश्वविद्यालय और सोतिमा उलुगज़ोदा ताजिक अंतरराष्ट्रीय विदेशी भाषा विश्वविद्यालय से एमओयू साइन किया.

लखनऊ विश्वविद्यालय और ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच एमओयू.
लखनऊ विश्वविद्यालय और ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच एमओयू. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 17, 2025, 5:45 PM IST

लखनऊ : भारत और ताजिकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों का शब्दकोष तैयार होगा. दोनों देशों की साझा संस्कृति, लोक कला, कृषि संबंधित त्योहार पर शिक्षक कार्य करेंगे. जिससे दोनों देशों के छात्र एक दूसरे की संस्कृति से जुड़ सकें. इसे लैक्सीकोग्राफी शब्दकोष निमार्ण की कला भी कहते हैं. यह न केवल शब्दकोष का निमार्ण होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी निर्माण होगा.

लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों का दल ताजिकिस्तान के उच्च शिक्षा संस्थानों के उन्नयन, ज्ञान के विनिमय और संस्कृति के सेतु को जोड़ने का कार्य कर रहा है. इसके लिए सांस्कृतिक शब्दकोष का भी निर्माण किया जाएगा. 1991 में सोवियत संघ के पतन की पूर्व संध्या पर ताजिकिस्तान गिरती अर्थव्यवस्था और आर्थिक सुधार की धुंधली संभावनाओं से पीड़ित देश था. जहां प्रति हजार युवाओं की आबादी पर स्नातक शिक्षितों की तादात दुनिया में सबसे कम थी. समय के साथ ताजिक युवाओं ने बेहतर शिक्षा के लिए भारतीय शैक्षिक संस्थानों की ओर रुख किया तो भारतीय संस्थानों ने उनका भरपूर स्वागत किया है.



स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र : ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्धारा नियुक्त शिक्षकों के माध्यम से कथक, तबला, संस्कृत, हिंदी का पाठ़यक्रम चला रहा है. अब योग, प्राकृतिक चिकित्सा और ज्योतिर्विज्ञान के पाठ़यक्रम भी आरंभ होंगे.


लखनऊ विश्वविद्यालय और ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच नई तकनीकों को लेकर भी सहयोग आगे बढ़ेगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मार्केट शोध, लाजिस्टियन, इंजीनियरिंग आदि विषयों पर विश्वविद्यालय और ताजिक शिक्षा संस्थान ज्ञान का विनिमय करेंगे.


दोहरी डिग्री का फायदा भी मिलेगा : लखनऊ विश्वविद्यालय ने ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग) पर हस्ताक्षर किया है. अब छात्रों को दोहरी डिग्री का लाभ मिलेगा. छात्र लविवि और ताजिक दोनों संस्थानों की डिग्रियां हासिल कर सकेंगे. शोध और विभिन्न पाठ्यक्रमों में विद्यार्थी विनिमय की रूपरेखा भी बनेगी.


लविवि दल ताजिक राजनयिकों से मिला : लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति समेत छह सदस्यों का दल इन दिनों ताजिकिस्तान के दौरे पर है. प्रतिनिधिमंडल ने राजनयिकों और अधिकारियों से विकासपरक मुद्दों पर चर्चा की है. राजधानी दुशांबे स्थित भारतीय दूतावास का दौरा करके भारतीय राजदूत और अन्य राजनयिकों से मुलाकात की. ताजिकिस्तान के दो विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक सहयोग के लिए एम. नज़रशॉव के नाम पर खोरोग स्टेट विश्वविद्यालय के रेक्टर कोमिलबेक अमिड योरबेक के साथ वार्ता का आयोजन किया.

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आलोक कुमार राय ने बताया कि हम ताजिकिस्तान में अपने प्रवास के हर मिनट का उपयोग कर रहे हैं. भारतीय शिक्षा प्रणाली, एनईपी 2020 के आदर्शों, द्विपक्षीय संबंधों के लिए मजबूत वैचारिक सेतु बनाने और लखनऊ विश्वविद्यालय और हमारी महान भारत भूमि की अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अधिक प्रभावी उपस्थिति दिखाने में कर रहे हैं.



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लखनऊ : भारत और ताजिकिस्तान के बीच सांस्कृतिक संबंधों का शब्दकोष तैयार होगा. दोनों देशों की साझा संस्कृति, लोक कला, कृषि संबंधित त्योहार पर शिक्षक कार्य करेंगे. जिससे दोनों देशों के छात्र एक दूसरे की संस्कृति से जुड़ सकें. इसे लैक्सीकोग्राफी शब्दकोष निमार्ण की कला भी कहते हैं. यह न केवल शब्दकोष का निमार्ण होगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संबंधों का भी निर्माण होगा.

लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षकों का दल ताजिकिस्तान के उच्च शिक्षा संस्थानों के उन्नयन, ज्ञान के विनिमय और संस्कृति के सेतु को जोड़ने का कार्य कर रहा है. इसके लिए सांस्कृतिक शब्दकोष का भी निर्माण किया जाएगा. 1991 में सोवियत संघ के पतन की पूर्व संध्या पर ताजिकिस्तान गिरती अर्थव्यवस्था और आर्थिक सुधार की धुंधली संभावनाओं से पीड़ित देश था. जहां प्रति हजार युवाओं की आबादी पर स्नातक शिक्षितों की तादात दुनिया में सबसे कम थी. समय के साथ ताजिक युवाओं ने बेहतर शिक्षा के लिए भारतीय शैक्षिक संस्थानों की ओर रुख किया तो भारतीय संस्थानों ने उनका भरपूर स्वागत किया है.



स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र : ताजिकिस्तान की राजधानी दुशांबे में स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद द्धारा नियुक्त शिक्षकों के माध्यम से कथक, तबला, संस्कृत, हिंदी का पाठ़यक्रम चला रहा है. अब योग, प्राकृतिक चिकित्सा और ज्योतिर्विज्ञान के पाठ़यक्रम भी आरंभ होंगे.


लखनऊ विश्वविद्यालय और ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच नई तकनीकों को लेकर भी सहयोग आगे बढ़ेगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मार्केट शोध, लाजिस्टियन, इंजीनियरिंग आदि विषयों पर विश्वविद्यालय और ताजिक शिक्षा संस्थान ज्ञान का विनिमय करेंगे.


दोहरी डिग्री का फायदा भी मिलेगा : लखनऊ विश्वविद्यालय ने ताजिक उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैडिंग) पर हस्ताक्षर किया है. अब छात्रों को दोहरी डिग्री का लाभ मिलेगा. छात्र लविवि और ताजिक दोनों संस्थानों की डिग्रियां हासिल कर सकेंगे. शोध और विभिन्न पाठ्यक्रमों में विद्यार्थी विनिमय की रूपरेखा भी बनेगी.


लविवि दल ताजिक राजनयिकों से मिला : लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति समेत छह सदस्यों का दल इन दिनों ताजिकिस्तान के दौरे पर है. प्रतिनिधिमंडल ने राजनयिकों और अधिकारियों से विकासपरक मुद्दों पर चर्चा की है. राजधानी दुशांबे स्थित भारतीय दूतावास का दौरा करके भारतीय राजदूत और अन्य राजनयिकों से मुलाकात की. ताजिकिस्तान के दो विश्वविद्यालयों के बीच शैक्षणिक सहयोग के लिए एम. नज़रशॉव के नाम पर खोरोग स्टेट विश्वविद्यालय के रेक्टर कोमिलबेक अमिड योरबेक के साथ वार्ता का आयोजन किया.

लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आलोक कुमार राय ने बताया कि हम ताजिकिस्तान में अपने प्रवास के हर मिनट का उपयोग कर रहे हैं. भारतीय शिक्षा प्रणाली, एनईपी 2020 के आदर्शों, द्विपक्षीय संबंधों के लिए मजबूत वैचारिक सेतु बनाने और लखनऊ विश्वविद्यालय और हमारी महान भारत भूमि की अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अधिक प्रभावी उपस्थिति दिखाने में कर रहे हैं.



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