लखनऊ: यूपी की राजधानी लखनऊ में सिल्क के वस्त्रों का अद्भुत संसार सज गया है. इस सिल्क एग्जीबिशन में 18 राज्यों के व्यापारी और कारीगर आए हैं और अपने राज्य के विशेष सिल्क परिधानों की नुमाइश कर रहे हैं. इसमें कांजीवरम, उपाड़ा, गढ़वाल पटोला, बैंगलोर सिल्क, कांथा वर्क, डकारी जामदानी, पैठानी, बनारसी, भागलपुरी की साड़ियों, कश्मीरी पश्मीना साड़ी, सूट शॉल जैकेट स्टोल आदि बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. सिल्क एक्स्पो में देशभर से आए बुनकरों व डिजाइनरों ने अपने-अपने प्रदेश की संस्कृति, काव्य और त्योहारों को सिल्क वस्त्रों पर उकेरा है.
असम से आए ऋषि राज वर्मा ने बताया कि वह अपने यहां से हैंडलूम साड़ी लेकर के सिल्क उत्सव में आए हैं. इसमें साड़ी, सूट और शाल उपलब्ध है. यह सिर्फ असम में ही मिलेगा मूंगा सिल्क परी सिल्क इस तरह के पांच सिल्क हैं. इस तरह की साड़ियों को बनाने में 3 महीना लगता है. इसकी कीमत 2500 रुपए से शुरुआत है. सबसे महंगी लगभग 60 से 70 हजार रुपए की साड़ी उपलब्ध है.
उन्होंने बताया कि इस कंपनी को मेरी मां चल रही हैं और मेरी मां ने कम से कम 35 महिलाओं को रखा है, जो हाथों से पूरी कढ़ाई करती हैं. यह बहुत ही बारीकी से की जाती है. इतने महीन तरीके से होती है कि इसे करने में महीनों बीत जाता है. इसके जरिए महिलाओं सशक्त और आत्मनिर्भर भी बना रहे हैं.
गुजरात (पाटन) से आए गोविंद ने बताया कि हम पटोला सिल्क साड़ी लेकर के आए हैं. वह बहुत ही ज्यादा खास है, क्योंकि इस साड़ी को बनाने में 6 महीना लग जाता है. बहुत ही बारीकी से इसमें सिलाई बुनाई कढ़ाई की जाती है. एक-एक रेशा बहुत ही भारी की से भरा जाता है सारे धागे पहले दी होते हैं, फिर उसके बाद उसकी बनाई होती है. 241 बुनकर मिल कर काम करते हैं.
पूरे विश्व में इस तरह की कारीगरी वाली पटोला सिल्क की साड़ी कहीं भी नहीं मिलेगी, क्योंकि यह सिर्फ गुजरात की कला है. जिसे कारीगर बहुत ही मेहनत और शिद्दत से एक-एक धागा की बुनाई करके बनाते हैं. सबसे महंगी साड़ी तीन से चार लाख की है इसके अलावा सबसे सस्ती साड़ी 5000 रुपए से शुरुआत होती है.
तमिलनाडु से आए गोकुन्द दास ने बताया कि विश्व भर में कांजीवरम सिल्क साड़ी बहुत ही प्रसिद्ध है. हर महिला इस साड़ी को पहनना चाहती है. राजधानी लखनऊ में जब सिल्क उत्सव में हम आते हैं तो बहुत ही चाव से महिलाएं इसे खरीदती हैं. कांजीवरम साड़ी के पल्लू पर पूरा वर्क होता है. बहुत ही बारीकी से इसकी कढ़ाई की जाती है. ज्यादातर साड़ी सिल्वर जरी के साथ आती हैं.
पल्लू के अलावा पूरी साड़ी में कांजीवरम का वर्क होता है. यही इसकी खूबसूरती है. इसके अलावा मैसूर शिल्प क्रैप है. इसकी कीमत 40 हजार से शुरुआत होती है. बाकी निर्भर करता है कि ग्राहक कौन सी साड़ी पसंद करता है. यह पूरी तरह से हैंडलूम साड़ी होती है. इसमें किसी प्रकार की कोई मशीन का इस्तेमाल नहीं होता है. हाथों से इसकी पूरी कढ़ाई की जाती है. इसे बनने में 4 से 5 महीना आराम से लग जाता है.
ग्राहक रिचल ने बताया कि पिछले काफी सालों से लगातार मैं इस सिल्क मेले में आती हूं. यहां पर तमिलनाडु से लोग आते हैं और वहां के कांजीवरम की साड़ी मुझे बहुत ज्यादा पसंद है. जिसे मैं दीपावली पर इस बार पहनने वाली हूं. यहां पर बहुत अच्छा कलेक्शन है. मैं खुद भी एक इनफ्लुएंसर हूं. हर दिन मुझे अलग-अलग डिजाइनर कपड़े पहनने होते हैं. लखनऊ की तहजीब में देखेंगे और तमाम राज्यों से आए उनके खास कारीगरी को भी देखेंगे.
शमी मिश्रा ने बताया कि इस समय फेस्टिवल सीजन चल रहा है. यहां पर सिल्क मेला लगा हुआ है. हर बार यह लगता है कभी-कभी साल में दो बार लगता है और जब भी लगता है. मैं जरूर आता हूं अपनी मां के लिए मैं शॉपिंग करती हूं. यहां पर मुझे सबसे अच्छी साड़ियों का कलेक्शन कश्मीरी पशमीना का लगा जिससे मैंने खरीद भी है और मेरे पास साड़ियों का बहुत सारा स्टॉक है.
प्रियांशी ने बताया कि यहां पर सूट और साड़ी दोनों ही मिल रहे हैं और बहुत अच्छा कलेक्शन है. सिल्क में एक से बढ़कर एक चीज यहां पर उपलब्ध है. सूट, साड़ी और शॉल सभी चीजें है. मैं अभी तक जितना भी घूमा हूं उसमें सबसे अच्छा सिल्क के सूट लगा है. यहां पर लखनऊ की प्रसिद्ध चिकन कारीगरी वाली कुर्तियां भी है जिसे एक नजर में देखकर खरीदने का जी चाहता है. यह एक ऐसी जगह है जहां पर सभी राज्यों की स्पेशल सिल्क कलेक्शन एक ही जगह पर मिल जाती है.
उमंग फाउंडेशन के सदस्य संजय ने बताया कि गुरुवार से सिल्क उत्सव की शुरुआत हुई है. जो लखनऊ के हजरतगंज के मोतीमहल लॉन में लगा है. प्रदर्शनी में गुजरात की पटोला सिल्क, तेलांगना की उपाड़ा, सिल्क तमिलनाडु की कांजीवरम सिल्क, महाराष्ट्र की पैठानी सिल्क, पर गई कलाकारी लोगो को अपनी ओर खींच रही है. इस प्रदर्शनी में पश्चिम बंगाल के काला हस्ती से आए बुनकर ने भगवान श्रीकृष्ण के नोका विहार का दृश्य सिल्क पर पेंट किया किया है. साड़ियों पर बनी डिजाइनों में कश्मीरी केशर की डिजाइन के साथ ही कश्मीरी कहवा भी है.
उन्होंने बताया कि प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ से कोसा, घिचा, मलबरी रॉ सिल्क, एब्लॉक प्रिंटेड सिल्क साड़ी गुजरात से बंधनी, पटोला कच्छ एम्ब्रायडरी, मिरर वर्क एवं डिजाइनर कुर्ती, मध्य प्रदेश से चंदेरी, महेश्वरी काटन एण्ड सिल्क साड़ी सूट, डकारी जामदानी एवं बनारसी सिल्क, तान्चोयी सिल्क, मैसूर सिल्क की साड़ियों के साथ धर्मावरम तस्सर, ढाका, वही डिजाइनर ब्लाउज , सलवार सूट, पंजाब की फुलकारी वर्क सूट व साडी हैदराबाद की हैवी नेकलेस, नोज पिन , रिंग, बैंगल्स, मांग टीका , कमरबंद, और मुंबई वेस्टर्न पैटर्न ज्वैलरी व पालकी ज्वैलरी भी है.
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